Monday, September 28, 2009

विजयदशमी की बधाई !!

दशहरे की परम्परा भगवान राम द्वारा त्रेतायुग में रावण के वध से भले ही आरम्भ हुई हो, पर द्वापरयुग में महाभारत का प्रसिद्ध युद्ध भी इसी दिन आरम्भ हुआ था। विजयदशमी सिर्फ इस बात का प्रतीक नहीं है कि अन्याय पर न्याय अथवा बुराई पर अच्छाई की विजय हुई थी बल्कि यह बुराई में भी अच्छाई ढूँढ़ने का दिन होता है।....विजयदशमी की हार्दिक बधाई !!

Saturday, September 26, 2009

अब डाकघरों में भी कोर बैंकिंग और ए0टी0एम0

नेटवर्क की दृष्टि से डाकघर बचत बैंक देश का सबसे बड़ा रीटेल बैंक (लगभग 1.5 लाख शाखाओं, खातों और वार्षिक जमा-राशि का संचालन, 31 मार्च 2007 को कुल जमा राशि-3,515,477.2 मिलियन रूपये) है। यह अनुमान लगाया गया था कि वर्ष 2001 में डाकघर में बचत की कुल राशि भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 7 प्रतिशत बनती है। (विश्व बैंक अध्ययन की अंतिम रिपोर्ट, अगस्त, 2002)। 172 मिलियन से अधिक खाताधारकों के ग्राहक आधार और 1,54,000 शाखाओं के नेटवर्क के साथ डाकघर बचत बैंक देश के सभी बैंकों की कुल संख्या के दोगुने के बराबर है। डाकघर से बचत खाता, आवर्ती जमा, सावधि जमा, मासिक आय स्कीम, लोक भविष्य निधि, किसान विकास पत्र, राष्ट्रीय बचत पत्र और वरिष्ठ नागरिक बचत स्कीम की खुदरा बिक्री की जाती है।

डाकघर ही एक मात्र ऐसी संस्था है जो देश के सुदूरतम कोनों को जोड़ती है और इस तरह ऐसे क्षेत्रों में रह रहे लोगों को वित्तीय सुविधा मिलनी सुनिश्चित हो जाती है। अब, यह भांति-भांति की बैंकिंग एवं बीमा सेवाओं जैसे सावधि जमा, म्युचुअल फंडों, पेंशन आदि प्रदान करने का वन-स्टाॅप स्थान है। नरेगा के तहत कुशल/अर्ध-कुशल/अकुशल मजदूरों के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में भारत सरकार को सहयोग देते हुए डाकघर मजदूरी का भुगतान करने का माध्यम भी बन चुका है।

अब डाक विभाग वर्तमान 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत कोर बैंकिंग साल्यूशन के तहत एनीव्हेयर, एनीटाइम, एनीब्रान्च बैंकिंग लागू करने जा रहा है। प्रथम फेज के तहत 2009-10 में 500 प्रधान डाकघरों को चुना गया है, जिन्हें 100, 100 और 300 के उपग्रुपों में विभाजित किया गया है। इसके तहत सभी खातों की डाटा फीडिंग, सिगनेचर स्कैनिंग, कम्प्यूटराइज्ड उपडाकघरों का प्रधान डाकघरों में इलेक्ट्रानिकली डाटा ट्रान्सफर, बचत बैंक नियंत्रण संगठन को प्रतिदिन रिटर्न का प्रेषण, सभी बचत सेवाओं का कम्प्यूटराइज्ड कन्सोलीडेटेड जर्नल, अनपोस्टेड आइटम, माइनस बैंलेन्स व आब्जेक्शन का निस्तारण, प्रतिदिन वाउचर चेकिंग, लेजर एग्रीमेण्ट व तदोपरान्त ब्याज का तत्काल जारी होना शामिल है। इसके तहत स्टाफ को प्रशिक्षित भी किया जायेगा।

डाकघरों में कोर बैंकिंग साल्यूशन लागू होने पर वर्तमान संचय पोस्ट साफ्टवेयर रिप्लेस हो जायेगा। इसके माध्यम से तमाम नई सेवायें मसलन नेशनल इलेक्ट्रानिक फण्ड ट्रान्सफर, इलेक्ट्रानिक क्लीयरेन्स सिस्टम, रियल टाइम ग्राॅस सेटेलमेन्ट इत्यादि लागू की जा सकेगी और एटीएम, इण्टरनेट बैंकिंग व मोबाइल बैंकिंग डाकघरों में भी आरम्भ किया जा सकेगा।

तो अब इन्तजार कीजिए कि आप डाकघरों में एटीएम, इण्टरनेट बैंकिंग व मोबाइल बैंकिंग का आनंद ले सकें। पर हाँ, अपने डाकिया बाबू को नहीं भूलिएगा। भूल गये तो ये सब बातें कौन बताएगा।

Monday, September 14, 2009

14 सितम्बर : संचयिका दिवस

14 सितंबर को संचयिका दिवस मनाया जाता है। संचयिका यानी स्कूली बच्चों की बचत बैंक योजना, जिसमें वे अपनी छोटी-छोटी बचतें करना सीखते हैं. कहते भी हैं-बूंद-बूंद से भरता सागर. बचत आदत नहीं संस्कार है, जो आजीवन काम आती है. पहले संचयिका योजना राष्ट्रीय बचत संगठन (कालांतर में राष्ट्रीय बचत संस्थान) के अधीन संचालित होती थी,वर्ष 2002 के आखिर में केंद्र सरकार ने इसे राज्य सरकारों को सौंप दिया। ..तो आइये हम भी इस दिन अपने बच्चों को बचत का क..ख..ग...सिखाएं व उनमें बचत की आदत विकसित करें. स्कूलों के माध्यम से खुले संचायिका खाते वाकई एक सुखद भविष्य की ओर इशारा करते हैं, बस इन्हें समझने की देरी है.

Saturday, September 12, 2009

जेब खर्च का जरिया बने प्रेम-पत्र

आपने वह कहानी तो सुनी होगी कि एक प्रेमिका प्रतिदिन अपने प्रेमी को डाकिया बाबू द्वारा प्रेम पत्र लिखवाती थी और अन्ततः एक दिन उसे उस डाकिया बाबू से ही प्रेम हो गया। पिछले दिनों अख़बार में एक वाकया देखा तो इस प्रसंग की याद आ गई. यह वाकया भी कुछ इसी तरह का है पर यहाँ डाकिया बाबू की भूमिका में कोई और है।

यह वाकया है चीन के एक कालेज स्टूडेंट वाग ली का। इन महाशय ने अपना जेब खर्च निकालने का अद्भुत तरीका निकाला है कि ये अपने साथ पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए प्रेम पत्र लिखते हैं। आखिर इनकी राइटिंग खूबसूरत जो है और लच्छेदार भाषा व प्रवाह पर मजबूत पकड़ भी। वैलेन्टाइन डे पर तो इनकी चांदी रहती है क्योंकि इनके पास एडवांस बुकिंग रहती है। फिलहाल इस वाकये में दिलचस्प तथ्य यह है कि सबके लिए प्रेम पत्र लिखने वाले वाग ली कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। पर इन महाशय के साथ भी डाकिया बाबू जैसा कुछ हो जाय इसकी गारन्टी देना सम्भव नहीं। प्रेम-पत्र लिखते-लिखते ये जनाब कभी लोगों के पत्र बांटने भी लगे तो कोई अजूबा नहीं होगा।