Tuesday, August 17, 2010

राखी का त्यौहार आया....

राखी का त्यौहार भारतीय संस्कृति का एक प्रमुख त्यौहार है जो प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में मनाया जाता है। इस वर्ष भाई-बहन के प्यार का प्रतीक यह पर्व 24 अगस्त को पड़ रहा है। आज इस आधुनिकता एवम विज्ञान के दौर में संसार मे सब कुछ हाईटेक हो गया है। वहीं हमारे त्यौहार भी हाईटेक हो गए है। इन्टरनेट व एस0एम0एस0 के माध्यम से आप किसी को कहीं भी राखी की बधाई दे सकते है। किन्तु जो प्यार, स्नेह, आत्मीयता एवं अपनेपन का भाव बहन द्वारा भाई की कलाई पर राखी बाँधने पर है वो इस हाईटेक राखी में नही है। इस सम्बन्ध में हिन्दी फिल्म का एक मशहूर गाना याद आता है-‘‘बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बाँधा है, कच्चे धागे से सारा संसार बाँधा है।‘‘ इन पंक्तियों में छुपा भाव इस पर्व की सार्थकता में चार चाँद लगा देता है। डाकिया बाबू इन भावनाओं को हर साल आपके दरवाजे तक पहुँचाता है, सो इस साल भी तैयार है।

बहनों द्वारा राखियों को सुरक्षित एवं सुगमता से भेजने के लिए डाक विभाग ने विभिन्न रंग-रूपों में विशेष तरह के लिफाफे जारी किये गये हैं। ये लिफाफे पूर्णतया वाटर प्रूफ, मजबूत, पारगमन के दौरान न फटने, रंगबिरंगे एवं राखी की विभिन्न डिजाइनों से भरपूर है। इसके चलते जहाँ राखी प्राप्त करने वाले को प्रसन्नता होगी, वहीं इनकी छंटाई में भी आसानी होगी। यही नहीं राखी डाक को सामान्य डाक से अलग रखा जा रहा है। लोगों की सुविधा के लिए डाकघरों में अलग से डलिया लगाई गयी हैं, जिन पर स्थान का नाम लिखा है। पोस्ट की गई राखियों को उसी दिन विशेष बैग द्वारा सीधे गंतव्य स्थानों को प्रेषित कर दिया जा रहा है, ताकि उनके वितरण में किसी भी प्रकार की देरी न हो। ऐसे सभी भाई जो अपने घर से दूर है तथा देश की सीमा के सजग प्रहरी हमारे जवान जो बहुत ही दुर्गम परिस्थियो मे भी देश की सुरक्षा मे लगे है उन सभी की कलाई पर बँधने वाली राखी को सुरक्षित भेजे जाने के लिए भी डाक विभाग ने विशेष प्रबन्ध किये हैं। तो आप भी रक्षाबन्धन का इन्तजार कीजिए और इन्तजार कीजिए डाकिया बाबू जो आपकी राखी को आप तक पहुँचाना सुनिश्चित करेंगे और भाई-बहन के इस प्यार भरे दिवस के गवाह बनेंगे।

Thursday, August 12, 2010

अब एड्रेस प्रूफ कार्ड भी बनाएगा डाक-विभाग

डाक विभाग अभी तक लोगों के पते पर चिट्ठियाँ ही पहुँचाता रहा है, पर अब लोगों के लिए एड्रेस प्रूफ कार्ड भी बनाएगा। इस कार्ड का विभिन्न कार्यों हेतु इस्तेमाल किया जा सकेगा। यह कार्ड कोई भी वैध भारतीय नागरिक जिसकी उम्र 18 वर्ष से ऊपर है, बनवा सकता है। इसके लिए सम्बंधित वितरण डाकघर से 10 रूपये का एक फार्म लेकर भरना होगा, जिसमें व्यक्ति का पूरा नाम, माता-पिता/पति-पत्नी इत्यादि का नाम, जन्म तिथि, वर्तमान पता व इस पते पर रहने की अवधि, स्थाई पता, किरायेदार की स्थिति में मकान मालिक के बारे में जानकारी, रोजगारपरक होने पर उसकी जानकारी व परिचय पत्र की फोटो काॅपी, रोजगार प्रदाता का पता व ईमेल आई0 डी0, व्यक्ति का टेलीफोन नम्बर, बल्ड ग्रुप, पहचान का चिन्ह इत्यादि जानकारियाँ एकत्र की जाएंगी। यह फार्म संबंधित वितरण डाकघर से ही खरीदा व जमा किया जाएगा। फार्म के साथ दो फोटो भी जमा करवाने होंगे। इन सब अपचैरिकताओं के बाद जनसंपर्क निरीक्षक (डाक) द्वारा फार्म में भरी गई सूचनाओं को सत्यापित किया जाएगा ओर तत्पश्चात सभी जानकारियां सही पाए जाने पर एड्रेस प्रूफ कार्ड जारी किया जाएगा।
इस सारी प्रक्रिया के लिए 240 रूपये का शुल्क डाकघर में जमा करवाना होगा। डाक विभाग के लिए यह कार्ड मेंसर्स यू0 टी0 आई0 टेक्नालाॅजी सर्विज लिमेटड द्वारा तैयार किया जाएगा जो कि अल्ट्रा टच फिनिश पर आधारित होगा। यह कार्ड तीन वर्ष के लिए वैध होगा और पुनः नवीनीकरण 140 रूपये जमाकर कराया जा सकता है। डुप्लीकेट कार्ड हेतु 90 रूपये डाकघर में जमा करने होंगे। एड्रेस प्रूफ कार्ड पर एक यूनिक नम्बर दर्ज होगा जिसमें संबंधित प्रधान डाकघर का संक्षिप्त नाम और चार अंकों का क्रमांक एवं जारी होने का वर्ष दर्ज होगा। गौरतलब है कि यह योजना पहली बार तमिलनाडु सर्किल द्वारा आरम्भ की गई थी। वहाँ पर इसे काफी अच्छा रिस्पांस मिला। इसके बाद इसे अखिल भारतीय स्तर पर लागू किया जा रहा है।

Saturday, August 7, 2010

जहाँ ईश्वर को लिखी जाती है पाती

आपने वो वाली कहानी तो सुनी ही होगी, जिसमें एक किसान पैसों के लिए भगवान को पत्र लिखता है और उसका विश्वास कायम रखने के लिए पोस्टमास्टर अपने स्टाफ से पैसे एकत्र कर उसे मनीआर्डर करता है। दुर्भाग्यवश, पूरे पैसे एकत्र नहीं हो पाते और अंतत: किसान डाकिये पर ही शक करता है कि उसने ही पैसे निकाल लिए होंगे, क्योंकि भगवान जी कम पैसे कैसे भेज सकते हैं.

सवाल आस्था से जुड़ा हुआ है. कहते हैं आस्था में बड़ी ताकत होती है. अपनी आस्था प्रदर्शित करने के हर किसी के अपने तरीके हैं. कुछ लोग शांति के साथ पूजा करते हैं, तो कुछ मंत्रोच्चार के साथ अथवा भजन गाकर। लेकिन उड़ीसा के खुर्दा जिले में एक मंदिर ऐसा भी है, जहाँ लोग ईश्वर को पत्र लिखकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए आराधना करते हैं। भुवनेश्वर से 50 किलोमीटर दूर यह मंदिर हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का भी प्रतीक है। गुंबद पर जहाँ अर्द्धचंद्राकार कृति है, वहीं चक्र भी बना हुआ है।

इस मंदिर में पत्र लिखने की परंपरा की शुरुआत कब हुई, इसकी जानकारी तो किसी को नहीं है, लेकिन ऐसी मान्यता है कि पत्र लिखकर आप कोई इच्छा व्यक्त करते हैं, तो आपकी मनोकामना पूरी होगी। आपकी जो भी मनोकामना हो उसे लिख डालें और फिर उसे मंदिर की दीवार पर लगा दें। 17 वीं शताब्दी के इस बोखारी बाबा के मंदिर में प्रतिदिन हजारों लोग पहुंचते हैं। इसे सत्य पीर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हिन्दू और मुस्लिम दोनों संप्रदाय के लोग पहुंचते हैं।

इस मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ का पुजारी मुसलमान है, लेकिन दूध, और केले से बने भोग को हिन्दू तैयार करते हैं। यहाँ के धांदू महापात्र बड़े गर्व से बताए हैं कि हमारा परिवार पीढ़ियों से मंदिर में फूल पहुंचाता रहा है और अब मैं भी उसी परंपरा का निर्वाह कर रहा हूँ. यह स्थल सांप्रदायिक सद्भाव की जीती-जागती मिसाल है। यहाँ मुस्लिम श्रद्धालु चादर चढ़ाते हैं तो हिन्दू श्रद्धालु पुष्प अर्पित करते हैं। मंदिर के पुजारी सतार खान बताते हैं कि इस मंदिर में विभिन्न धर्मों के लोग आतें हैं।वे यहाँ कागज के टुकड़े पर अपनी मनोकामना लिखते हैं और फिर उसे दीवार पर लगा देते हैं। जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो दोबारा आते हैं और बोखारी बाबा को चादर अथवा फूल चढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि जो श्रद्धालु यहाँ आने में असमर्थ होते हैं, वे यहाँ पत्र भेज देते हैं और हम उसे दीवार पर लगा देते हैं। वाकई हम 21 वीं सदी में विज्ञानं के बीच भले ही जी रहे हों, पर ईश्वरीय आस्था जस की तस कायम है. यही हमारी परम्परा है, आस्था है, संस्कृति है...!!

Wednesday, August 4, 2010

कामनवेल्थ खेलों पर जारी डाक-टिकटों का क्रेज

भारत इस वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन कर रहा है और काॅमनवेल्थ खेल-2010 को आकर्षक व यादगार बनाने के लिए भारतीय डाक विभाग ने भी दो स्मारक डाक टिकट जारी किए हैं। गौरतलब है कि क्वीन्स बैटन के साथ रत्नजड़ित बक्से में ब्रिटेन के महारानी के संदेश को रखा गया है और इस संदेश को प्राचीन भारतीय पत्रों के प्रतीक 18 कैरट सोने की पत्ती में लेजर से मीनिएचर के रूप में उकेरा गया है ताकि इसे आसानी से प्रयोग किया जा सके। इन डाक टिकटों पर क्वीन्स बैटन एवं दूसरे डाक टिकट में दिल्ली के इंडिया गेट की पृष्ठभूमि में गौरवान्वित शेरा को बैटन पकड़े हुए चित्रित किया गया है। क्रमशः 20 और 5 रू0 में जारी ये डाक टिकट इंडिया सिक्योरिटी प्रेस नासिक में फोटोग्रेव्याॅर तकनीक द्वारा मुद्रित है एवं कुल 8 लाख डाक टिकट जारी किए गए हैं। इन डाक टिकटों के साथ-साथ मिनिएचर शीट भी जारी की गई है, जिसकी कीमत रू0 25/- है। यह डाक टिकट 25 जून 2010 को जारी किए गए, जिस दिन क्वीन्स बैटन सभी राष्ट्रमंडल देशों में भ्रमण के बाद भारत पहुँची। फ़िलहाल लोगों में इन डाक टिकटों का खूब क्रेज देखा जा रहा है !!