Thursday, February 24, 2011

पोस्टकार्ड की दुनिया...

पोस्टकार्ड की दुनिया भी निराली है। सब कुछ खुला-खुला, कुछ भी छुपा नहीं. दूसरे शब्दों में कहें तो पारदर्शिता का सबसे सुन्दर उदहारण. दाम भी सबकी हैसियत के अन्दर. वैसे यह भी अजीब लगता है कि एक पचीस या पचास पैसे का पोस्टकार्ड इतनी कम लागत पर पूरे भारत की सैर कर लेता है. पोस्टकार्ड भी कई तरह के हो गए- साधारण पोस्टकार्ड, जवाबी पोस्टकार्ड, मेघदूत पोस्टकार्ड, प्रिंटेड पोस्टकार्ड, कम्पटीशन पोस्टकार्ड. हर पोस्टकार्ड की अपनी खूबियाँ हैं. मसलन, मेघदूत पोस्टकार्ड के एक ही हिस्से में लिखा जा सकता है, दूसरी ओर विज्ञापन होता है. तभी तो यह सबसे सस्ता अर्थात मात्र पचीस पैसे का है. कम्पटीशन पोस्टकार्ड किसी भी प्रतियोगिता सम्बन्धी जवाब के लिए प्रयुक्त होता है. अब कोई पहले भी कह ले कि पोस्टकार्ड का उतना चलन नहीं रहा, पर साहित्य की दुनिया तो इसके बिना अधूरी है. किसी पत्र-पत्रिका में कोई कविता, कहानी या लेख पसंद आया तो झट से पोस्टकार्ड पर दो लाइन लिखकर भेज दिया. कवि और लेखक भी खुश कि उनके चाहने वाले हैं और पोस्टकार्ड से ही आभार भी व्यक्त कर दिया. अब तो सुप्रीम कोर्ट भी पोस्टकार्ड द्वारा भेजी गई शिकायतों का संज्ञान लेता है. तमाम राजनैतिक दल और एन. जी. ओ. भी पोस्टकार्ड पर सन्देश लिखकर लोगों को जागरूक बनाये रखते हैं. जब भी कभी किसी मुद्दे पर आवाज़ उठानी हो तो हजारों पोस्टकार्ड पर सन्देश लिखकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री इत्यादि के पास पोस्ट करवा देते हैं.

आज की व्यस्त भरी दुनिया में पोस्टकार्ड बड़े काम की चीज है. कोई कहेगा कि एस. एम. एस. सस्ता होता है, पर मोबाईल खरीदने का झंझट और फिर हर किसी का मोबाईल नंबर हर किसी के पास हो जरुरी भी नहीं. ई-मेल करने के लिए कम्यूटर और इंटरनेट-कनेक्शन होना चाहिए पर पोस्टकार्ड के लिए ऐसा कुछ भी नहीं. किसी को भी सुन्दर से शब्द लिखिए और टहलते-टहलते नजदीक के लेटर-बाक्स में पोस्ट कर आइये. इसी बहाने थोडा घूमना-फिरना भी हो जायेगा वरना इस ई-मेल और मोबाईल ने तो आदमी को जड़ ही बना दिया है. इंस्टेंट होने के चक्कर में न जाने कितनी बीमारियाँ व्यक्ति को घेरे जा रही हैं. कभी गुरु जी लोग बच्चों की राइटिंग देखकर उसके होनहार गुणों को पहचान लेते थे और ज्योतिषी इसी आधार पर लोगों का व्यक्तित्व भी गढ़ देते थे, पर अब तो सुलेखन बीते दिनों की बात हो गई. तो आइये न एक बार फिर से किसी को सुन्दर सा पोस्टकार्ड लिखते हैं की वह रायटिंग देखकर दूर से ही पहचान ले कि किसने यह सुन्दर सा पोस्टकार्ड भेजा है !!

Friday, February 18, 2011

एयर मेल सर्विस के 100 साल


डाक सेवा का विचार सबसे पहले ब्रिटेन में और हवाई जहाज का विचार सबसे पहले अमेरिका में राइट बंधुओं ने दिया वहीं चिट्ठियों ने विश्व में सबसे पहले भारत में हवाई उड़ान भरी। यह ऐतिहासिक घटना 18 फरवरी 1911 को इलाहाबाद में हुई। संयोग से उस साल कुंभ का मेला भी लगा था। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार उस दिन एक लाख से अधिक लोगों ने इस घटना को देखा था जब एक विशेष विमान ने शाम को साढ़े पांच बजे यमुना नदी के किनारों से उड़ान भरी और वह नदी को पार करता हुआ 15 किलोमीटर का सफर तय कर नैनी जंक्शन के नजदीक उतरा जो इलाहाबाद के बाहरी इलाके में सेंट्रल जेल के नजदीक था। आयोजन स्थल एक कृषि एवं व्यापार मेला था जो नदी के किनारे लगा था और उसका नाम ‘यूपी एक्जीबिशन’ था। इस प्रदर्शनी में दो उड़ान मशीनों का प्रदर्शन किया गया था। विमान का आयात कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने किया था। इसके कलपुर्जे अलग अलग थे जिन्हें आम लोगों की मौजूदगी में प्रदर्शनी स्थल पर जोड़ा गया।

आंकड़ों के अनुसार कर्नल वाई विंधाम ने पहली बार हवाई मार्ग से कुछ मेल बैग भेजने के लिए डाक अधिकारियों से संपर्क किया जिस पर उस समय के डाक प्रमुख ने अपनी सहर्ष स्वीकृति दे दी।
मेल बैग पर ‘पहली हवाई डाक’ और ‘उत्तर प्रदेश प्रदर्शनी, इलाहाबाद’ लिखा था। इस पर एक विमान का भी चित्र प्रकाशित किया गया था। इस पर पारंपरिक काली स्याही की जगह मैजेंटा स्याही का उपयोग किया गया था। आयोजक इसके वजन को लेकर बहुत चिंतित थे, जो आसानी से विमान में ले जाया जा सके। प्रत्येक पत्र के वजन को लेकर भी प्रतिबंध लगाया गया था और सावधानीपूर्वक की गई गणना के बाद सिर्फ 6,500 पत्रों को ले जाने की अनुमति दी गई थी। विमान को अपने गंतव्य तक पहुंचने में 13 मिनट का समय लगा। विमान को फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट ने उड़ाया।

(चित्र में : प्रथम एयर मेल की स्वर्ण जयंती पर जारी प्रथम दिवस आवरण और डाक टिकट का विरूपण, कर्नल वाई विंधाम , भारतीय डाक द्वारा वर्तमान में प्रयुक्त फ्रेटर)

Monday, February 14, 2011

खादी का डाक टिकट प्रदर्शनी का आकर्षण

राजधानी दिल्ली के प्रगति मैदान में शनिवार से शुरू हुई डाक टिकटों की विश्वस्तरीय प्रदर्शनी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पसंदीदा व स्वदेशी की पहचान ‘खादी’ पर छपा डाक टिकट मुख्य आकर्षण बना हुआ है।

राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने प्रगति मैदान में सप्ताह भर चलने वाले ‘इंडीपेक्स-2011’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि महात्मा गांधी पर पहली बार एक विशेष खादी का डाक टिकट जारी किया जा रहा है और इसे जारी कर मैं खुद सम्मानित हुई हूं।

प्रदर्शनी के आयोजक, भारतीय डाक ने कहा कि कुल 71 देशों से कोई 595 टिकट संग्राहक इस प्रदर्शनी में हिस्सा ले रहे हैं। इसके अलावा टिकट संग्रह से जुड़े दुनिया भर के 28 व्यापारी और 31 डाक प्रशासन भी हिस्सा ले रहे हैं। इसके पहले भारत ने 1954 और 1997 के बीच इस तरह की पांच प्रदर्शनियों का आयोजन किया था।

खादी डाक टिकट वास्तव में घरेलू स्तर पर तैयार किए गए खादी के कपड़े पर छपा है, जिस पर मोहनदास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी का चित्र है।

यह टिकट एक सीमित संस्करण है, जो एक विशेष संग्राहक के पास उपलब्ध है। इस टिकट की कीमत 250 रुपये है और इंडीपेक्स की वेबसाइट पर इसे ऑनलाइन बुक किया जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अधिकतम 10 टिकटों का आर्डर दे सकता है। इस टिकट की पहली खेप यहां चंद मिनटों में ही बिक गई।

भारतीय डाक ने कहा कि कई देशों ने डाक टिकट छापने के लिए सिल्क जैसी वैकल्पिक सामग्रियों के साथ प्रयोग किया है। भारतीय डाक ने हालांकि सिर्फ कागज पर टिकट छापें हैं। इसमें तीन सेट सुगंधित टिकट भी शामिल हैं। लेकिन पहली बार खादी पर छपा एक विशेष डाक टिकट जारी हुआ है।

भारतीय डाक ने कहा है कि प्रदर्शनी का दूसरा आकर्षण ‘मेरे डाक टिकट’ है। इस टिकट पर कोई व्यक्ति अपने चित्र छपा हुआ पा सकता है और इसका इस्तेमाल सगाई व बेटे के जन्म दिन का उत्सव मनाने या किसी को शुभकामना संदेश भेजने में किया जा सकता है।

इसके अलावा सूर्य, विमान, रेल इंजन, वन्य जीव, ताज महल और भारतीय लोक कथा, पंचतंत्र से लिए गए चित्रों वाले टिकट शीट भी उपलब्ध हैं। एक टिकट शीट की कीमत 150 रुपये है।

प्रदर्शनी का अन्य आकर्षण होगा भारतीय सिनेमा की छह महान अभिनेत्रियों पर जारी होने वाले डाक टिकटों का सेट। इन अभिनेत्रियों में मीना कुमारी, नूतन, कानन देवी, देविका रानी, लीला नायडू और सावित्री देवी शामिल हैं। ये टिकट रविवार को जारी होंगे।

साभार : हिंदुस्तान

डाक टिकट में देखें अपनी तस्वीर


देश में पहली बार लांच हुई ‘माई स्टाम्प’ तकनीक लोगों के लिए खासा रोमांचक और आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इस स्कीम के तहत अपनी पसंद के थीम टिकटों पर अपनी तस्वीर लगवा सकते हैं। INDIPEX-2011 में 17 थीम बनाई गई हैं।

महात्मा गांधी और जवाहर लाल नेहरू जैसी महान हस्तियों की फोटो वाली डाक टिकटें तो सभी ने देखी होगी, लेकिन इन टिकटों पर गांधी जी और पंडित नेहरू की जगह खुद की तस्वीर अंकित हो जाए तो यह आपके लिए अनूठा अनुभव होगा। इन दिनों कुछ ऐसा ही प्रगति मैदान के हॉल संख्या 9 में हो रहा है। दिल्लीवाले अपनी इस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए भारी संख्या में यहां पहुंच रहे हैं। शुक्रवार से प्रगति मैदान में शुरू हुए विश्व फिलाटेलिक प्रदर्शनी INDIPEX-2011 में यह नजारा देखने को मिल रहा है।

यहां देश में पहली बार लांच हुई ‘माई स्टाम्प’ तकनीक लोगों के लिए खासा रोमांचक और आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। लोग अपनी पसंद के थीम टिकटों पर अपनी तस्वीर लगवा रहे हैं। बच्चे जहां पंचतंत्र और हवाई जहाज जैसी थीम को पसंद कर रहे हैं तो वहीं कई लोग राशिफल और ताजमहल वाली थीम को चुन रहे हैं। यहां ऐसी 17 थीम बनाई गई हैं।

राजौरी गार्डन से आए रोशन ने बताया कि उन्हें टिकट कलेक्शन का शौक है। डाक तकनीक ‘माई स्टाम्प’ मेरे कलेक्शन में नई जान डाल देगी। पर्सनलाइज्ड स्टाम्प के नाम से मशहूर इस रोमांचक तकनीक से लोग अपने यादगार लम्हों को भी टिकट के रूप में छपवा रहे हैं।

66 वर्षीय अरुण ने बताया कि यह तकनीक लम्हों को सम्हालने और यादगार बनाने के लिए एक बढ़िया माध्यम है। इसलिए वह अपने बचपन की फैमिली फोटो छपवाना चाहते हैं। इसके अलावा यहां हॉल संख्या 8-11 में 70 देशों के प्रतिनिधि अपने देश के डाक टिकटों को लाए हुए हैं। इसके अलावा यहां पूरे विश्व के दुर्लभ डाक टिकट, लिफाफे और सिक्कों की विस्तृत प्रदर्शनी भी दिल्ली वालों के लिए खासा आकर्षण का केंद्र है। इंडीपेक्स-2011 के प्रबंधकों ने बताया कि डाक टिकट किसी भी देश के इतिहास, संस्कृति, कला, व्यक्तित्वों और संसाधनों के बारे में जानने का रोमांचक तरीका है। यहां दिल्लीवासियों को अलग-अलग देशों की टिकटों से यह सब जानने को मिलेगा। इसके अलावा डाक टिकट कलेक्शन के रोमांचक शौक को युवाओं और बच्चों में लोकप्रिय बनाना भी है।

पिछले साल आयोजित दिसम्बर में सेव द टाइगर थीम पर आधारित पत्र लेखन प्रतियोगिता और डाक टिकट डिजाइनिंग प्रतियोगिता के विजेताओं के नाम भी घोषित किए गए और लोगों को देखने के लिए उनकी इन कृतियों को यहां विशेष रूप से प्रदर्शित भी किया गया है।

बता दें कि भारत में यह प्रदर्शनी इससे पहले आजादी की पचासवीं वर्षगांठ के अवसर पर 1997 में यहां लगाई गई थी। इस प्रदर्शनी का मजा यहां 18 फरवरी तक लिया जा सकेगा।

साभार : दैनिक भास्कर

Friday, February 11, 2011

कई मायनों में यादगार होगा INDIPEX-2011

दिल्ली के प्रगति मैदान में कल 12 से 18 फरवरी तक होने वाली अंतरराष्ट्रीय डाक टिकट प्रदर्शनी-इंडिपेक्स 2011 'INDIPEX-2011'कई मायनों में यादगार होगी. इस दौरान डाक विभाग तमाम नए आयाम स्थापित करने की कोशिश करेगा, वहीँ डाक टिकटों के प्रति लोगों में क्रेज पैदा करने और देखने का भी यह सुनहरा अवसर है. गौरतलब है कि भारत में पहली अन्तराष्ट्रीय डाक टिकट (फिलेटलिक) प्रदर्शनी का आयोजन 1954 में डाक टिकटों की शताब्दी वर्ष में हुआ था.

इंडिपेक्स 2011 'INDIPEX-2011' का उद्घाटन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल करेंगी। इस प्रदर्शनी में 70 देशों से 595 प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। इस प्रदर्शनी में स्वीडन के दुर्लभ डाक टिकट ट्रेस्किलिंग एलो को भी रखा जाएगा जिसका बाजार में अनुमानित मूल्य 16 लाख पौंड है। भारतीय डाक टिकटों में सबसे कीमती 1854 में जारी चार आना टिकट है।

इंडिपेक्स 2011 'INDIPEX-2011' डाक टिकट प्रदर्शनी का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि भारत ने ही दुनिया में सर्वप्रथम इलाहबाद से नैनी के मध्य प्रतीकात्मक रूप में एयर-मेल सेवा आरंभ की. यह ऐतिहासिक घटना 18 फरवरी 1911 को इलाहाबाद में हुई। अर्थात जिस दिन 'INDIPEX-2011' के आयोजन का अंतिम दिन होगा, उसी दिन इस ऐतिहासिक घटना के 100 साल भी पूरे हो जायेंगें. इस दौरान छोटे सोमर हवाई जहाज से इलाहाबाद से नैनी तक 6,500 चिठ्ठियां ले जाने वाली दुनिया की पहली आधिकारिक एयरमेल सेवा पर भी तीन विशेष डाक टिकट जारी किए जाएंगे। इस छोटे हवाई जहाज को 18 फरवरी 1911 को फ्रांस के पायलट हेनरी पेक्वेट ने उड़ाया था। इस विमान के माध्यम से भेजी गई चिठ्ठियों में पंडित जवाहरलाल नेहरू के अलावा कई गणमान्य लोगों के पत्र शामिल थे। भारतीय वायुसेना की ओर से इस अवसर पर 12 फरवरी को इलाहाबाद से नैनी तक विशेष विमान उड़ान भरेगा।

प्रदर्शनी के दौरान ग्राहकों की पसंद का डाक टिकट तैयार करने की शुरूआत भी हो रही है। माई स्टाम्प नामक इस योजना का मकसद डाक टिकटों के माध्यम से डाक विभाग की आय बढ़ाना है। ऐसे प्रत्येक स्टाम्प की कीमत 150 रूपए होगी। इस तरह की सेवा ब्रिटेन की रायल मेल, फ्रांस की ला पोस्ट, जर्मनी की डोएचे पोस्ट, अमेरिकी पोस्टल सर्विस में पहले से उपलब्ध है।

दुनिया के कई देशों ने कागज के अलावा वस्त्रों सहित अन्य वस्तुओं पर भी डाक टिकट जारी किए हैं लेकिन भारत में अब तक कागज पर डाक टिकट जारी करने का चलन है। लेकिन पहली बार कागज के अतिरिक्त खादी के वस्त्र पर डाक टिकट जारी किए जा रहे हैं। इस तरह के पहले टिकट खादी के कपड़े पर जारी किए जा रहे हैं जो महात्मा गांधी को समर्पित होंगे। इसकी कीमत 250 रूपए रखी गई है।

भारतीय डाक विभाग द्वारा समय-समय पर भारतीय अभिनेताओं पर तमाम डाक टिकट जारी किए गए हैं, मगर अभिनेत्रियों में अभी तक मात्र यह सौभाग्य नर्गिस और मधुबाला को मिला है. दिल्ली के प्रगति मैदान में कल 12 से 18 फरवरी तक होने वाली अंतरराष्ट्रीय डाक टिकट प्रदर्शनी-इंडिपेक्स 2011 में छह अभिनेत्रियों पर भी डाक टिकट जारी किये जायेंगें. रूपहले पर्दे पर अपने सशक्त अभिनय और अप्रतिम सौन्दर्य से मंत्रमुग्ध करने वाली गुजरे जमाने की अदाकारा सावित्री, लीला नायडू, देविका रानी, कानन देवी, नूतन और मीना कुमारी के सम्मान में ये डाक टिकट जारी होंगे।

प्रदर्शनी में भारतीय सिनेमा एक प्रमुख आकर्षण होगा जहां सावित्री, लीला नायडू, देविका रानी, कानन देवी, नूतन और मीना कुमारी पर जारी डाक टिकट भी रखे जाएंगे। पूर्व में मधुबाला, राजकपूर, गुरूदत्त, के एल सहगल, मुकेश, किशोर कुमार, मोहम्मद रफी, हेमंत कुमार और बेगम अख्तर पर जारी डाक टिकट भी यहां प्रदर्शित होंगे।

मीना कुमारी, नूतन, देविका रानी.. अब डाक टिकटों पर

भारतीय डाक विभाग द्वारा समय-समय पर भारतीय अभिनेताओं पर तमाम डाक टिकट जारी किए गए हैं, मगर अभिनेत्रियों में अभी तक मात्र यह सौभाग्य नर्गिस और मधुबाला को मिला है. दिल्ली के प्रगति मैदान में कल 12 से 18 फरवरी तक होने वाली अंतरराष्ट्रीय डाक टिकट प्रदर्शनी-इंडिपेक्स 2011 में छह अभिनेत्रियों पर भी डाक टिकट जारी किये जायेंगें. रूपहले पर्दे पर अपने सशक्त अभिनय और अप्रतिम सौन्दर्य से मंत्रमुग्ध करने वाली गुजरे जमाने की अदाकारा सावित्री, लीला नायडू, देविका रानी, कानन देवी, नूतन और मीना कुमारी के सम्मान में ये डाक टिकट जारी होंगे।

पहली बार खादी पर डाक टिकट

दिल्ली के प्रगति मैदान में कल 12 से 18 फरवरी तक होने वाली अंतरराष्ट्रीय डाक टिकट प्रदर्शनी-इंडिपेक्स 2011 में पहली बार डाक विभाग खादी के कपड़े पर गांधी जी की फोटो छपा विशेष डाक टिकट जारी करने वाला है। खादी पर स्याही फैलने के कारण छपाई अधिकारियों के सामने यह काम एक चुनौती था। इसके लिए देश के भिन्न भागों में पैदा होने वाले कपास के तैयार खादी पर छपाई करके देखी गई। अधिकारियों के खुशी का ठिकाना न रहा जब उन्होंने पाया कि पश्चिम बंगाल के कपास से बुनी गई खादी पर स्याही नहीं फैली। भारतीय डाक विभाग ने खादी पर गांधी जी की फोटो वाले एक लाख टिकट छापे हैं। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल इस अदभुत डाक टिकट का प्रदर्शनी के दौरान अनावरण करेंगी।

अब खुद का फोटो डाक टिकट पर

डाक टिकट पर छपा महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, जगदीशचंद्र बोस या ऐसी अन्य हस्तियों का फोटो क्या कहता है। अब इन प्रतिष्ठित शख्सियतों में एक और नाम जुड़ने वाला है- आपका। जी हां, आप भी इस प्रतिष्ठा के हकदार बन पाएंगे और अपनी तस्वीर वाली डाक टिकट छपवाने की आपकी हसरत पूरी हो पाएगी। जी हाँ , अब कोई भी व्यक्ति जब चाहे डाक टिकट पर अपनी फोटो छपवा सकता है, वह भी मात्र 10 मिनट में। भारतीय डाक विभाग 'माई पोस्ट' नाम की यह योजना शुरू कर रहा है।

दिल्ली के प्रगति मैदान में कल 12 से 18 फरवरी तक होने वाली अंतरराष्ट्रीय डाक टिकट प्रदर्शनी-इंडिपेक्स 2011 में यह योजना शुरू होगी।इस योजना का उद्घाटन होने के बाद डाकघर जाने के बाद अपनी फोटो वाली डाक टिकट पाने के इच्छुक व्यक्ति 10 मिनट में यह टिकट अपने हाथ में पाएगा। अपना यह शौक पूरा करने लिए आपको मात्र 150 रुपये देने होंगे। गौरतलब है कि यह योजना दुनिया भर में लोकप्रिय है मगर सुरक्षा कारणों से अब इसे भारत में शुरू नहीं किया गया था। तो देर किस बात कि, आप भी पहुँचिये डाक टिकटों पर अपनी फोटो देखने के लिए...!!

विश्व डाक टिकट प्रदर्शनी INDIPEX-2011 12 से 18 फरवरी तक

'INDIPEX-2011' का आयोजन 12-18 फरवरी, 2011 के मध्य प्रगति मैदान, दिल्ली में किया जा रहा है. भारत में पहली अन्तराष्ट्रीय डाक टिकट (फिलेटलिक) प्रदर्शनी का आयोजन 1954 में डाक टिकटों की शताब्दी वर्ष में हुआ था. इस डाक टिकट प्रदर्शनी का महत्त्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि भारत ने ही दुनिया में सर्वप्रथम इलाहबाद से नैनी के मध्य प्रतीकात्मक रूप में एयर-मेल सेवा आरंभ की. यह ऐतिहासिक घटना 18 फरवरी 1911 को इलाहाबाद में हुई। अर्थात जिस दिन 'INDIPEX-2011' के आयोजन का अंतिम दिन होगा, उसी दिन इस ऐतिहासिक घटना के 100 साल भी पूरे हो जायेंगें. 'INDIPEX-2011' के बारे में ज्यादा जानकारी के लिए इन लिंकों पर जाएँ-
'INDIPEX-2011'
'INDIPEX-2011'

भारत के चार राजघराने वाले राज्यों पर डाक टिकटों का सैट

डाक विभाग ने इंडिपेक्स 2011 विश्व डाक टिकट संग्रह प्रदर्शनी के कर्टन रेजर के रूप में भारत के राजघरानों के बारे में चार डाक टिकटों का सैट जारी किया। यह प्रदर्शनी 12 फरवरी से 18 फरवरी, 2011 तक प्रगति मैदान, नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी। इन टिकटों को दिल्ली क्षेत्र की मुख्य पोस्टमास्टर जनरल सुश्री रामेश्वरी हांडा ने पहले संसद मार्ग मुख्य डाकघर में जारी किया था। चार स्मारक डाक टिकटों के इस सैट में सिरमौर, इंदौर, बामरा तथा कोचीन द्वारा जारी डाक टिकटों को दर्शाया गया है। ये डाक टिकटें दुनिया भर की दुर्लभ और बहुमूल्य डाक टिकटों की श्रेणी में आती हैं।

स्वतंत्रता से पूर्व भारत में 568 राज्य थे जिनका स्वतंत्रता के बाद अस्तित्व समाप्त हो गया। यहां यह उल्लेखनीय है कि पांच सौ से अधिक राज्यों में से केवल चालीस राज्यों ने अपनी सार्वभौमिकता की निशानी के रूप में डाक टिकटें जारी की थीं। इन राज्यों द्वारा जारी डाक टिकटों में राजाओं और राज कुमारों तथा राजसी प्रतीकों को चित्रित किया गया है। इन पर अनेक पध्दतियों तथा रंगों का प्रयोग करके छपाई की गई। कहा जा सकता है कि राज घराने वाले कुछ राज्यों ने एक पैतृक संपत्ति छोड़ी है जो डाक टिकट संग्रहण क्षेत्र के लिए बहुमूल्य है।

यह इस क्रम में दूसरा सैट है जैसा कि दिल्ली, शिमला, उदगमंडलम, कूच बिहार, नागपुर तथा लखनऊ मुख्य डाकघरों सहित प्राचीन डाक भवनों के छ: टिकटों का पहला सैट 12 मई 2010 को जारी किया गया था। इसका उद्देश्य विश्व के समक्ष भारतीय डाक की गौरवपूर्ण विरासत को प्रदर्शित करना था।

Tuesday, February 1, 2011

पोस्टमैन

(कविवर सोहन लाल द्विवेदी ने भी डाकिया को अपने शब्दों में ढाला है। मार्च 1957 में प्रकाशित उनकी कविता ‘पोस्टमैन‘ वाकई एक बेहतरीन कविता है। )

किस समय किसे दोगे क्या तुम
यह नहीं किसी को कभी ज्ञान
उत्सुकता में, उत्कंठा में
देखा करता जग महान
आ गई लाटरी निर्धन की
कैसी उसकी तकदीर फिरी
हो गया खड़ा वह उच्च भवन
तोरण, झंडी सुख की फहरी
यह भाग्य और दुर्भाग्य
सभी का फल लेकर तुम जाते
कोई रोता कोई हँसता
तुम पत्र बाँटते ही जाते
इस जग का सारा रहस्य
तुम थैले में प्रतिदिन किए बंद
आते रहते हो तुम पथ में
विधि के रचते से नए छंद।