Thursday, September 6, 2012

मुन्शीराम डाकिया


लेकर पीला पीला थैला,
पत्र बाँटने आता,
यह है मुन्शीराम डाकिया,
सब की चिठ्ठी लाता ।।

सर्दी हो चाहे गर्मी,
पानी गिरता झरझर,
चला जाएगा नही रुकेगा,
चिठ्ठी देता घरघर ।।

बड़े डाकखाने से आता,
लाता कभी रुपैया,
कभी किताबें दे जाता है,
मुझ को हँस हँस भैया ।।

गाँव गाँव जाता है,
पर कभी नहीं है थकता
लाता है सब की खुशखबरी,
सब के मन को भाता ।।

(कभी यह कविता पाठ्य-पुस्तक में पढ़ी थी. इसके रचनाकार का नाम नहीं पता, आपको पता हो तो बताइयेगा)

5 comments:

Unknown said...

bahut sundar kavita..!!

PRAVIN DAITHANKAR said...

My school days 5th class poem

Manoj Khandre said...

जी हां, हमेंभी यह कविता पाॅंचवी कक्षामेंही थी.

Satya Karkera said...

Wow beautiful and nostalgic too

Vandana Nachiket said...

आज मुझे भी याद आयी यह कविता.
अग्रेशीत करने के लिये धन्यवाद 🙏🙏