Thursday, October 27, 2016

राजस्थान के सर्वोच्च पर्वत शिखर 'गुरु शिखर' और 'नक्की झील' पर डाक विभाग ने जारी किया विशेष आवरण (लिफाफा) और विरूपण




माउण्ट आबू में स्थित 'गुरु शिखर'  राजस्थान ही नहीं, अरावली पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी है। प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ एक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भी विख्यात माउण्ट आबू को राजस्थान का स्वर्ग माना जाता है। उक्त उद्गार राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने डाक विभाग द्वारा माउंट आबू में आयोजित दो दिवसीय डाक टिकट प्रदर्शनी 'आबूपेक्स-2016'  के  दौरान 25 अक्टूबर  2016 को राजस्थान के सर्वोच्च पर्वत शिखर 'गुरु शिखर' पर एक विशेष आवरण (लिफाफा) और विरूपण  जारी करते हुए कहा। 



डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव  ने कहा कि गुरु शिखर पर बना मंदिर भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय को समर्पित है तो यहाँ स्थित पीतल की घंटी माउंट आबू को देख रहे संतरी का आभास कराती है। स्वास्थ्यवर्धक जलवायु के साथ पौराणिक परिवेश से परिपूर्ण गुरु शिखर जीवन को नए अर्थ भी देता है। ऐसे में  5 रूपये मूल्य वर्ग में जारी इस विशेष आवरण को देश के तमाम प्रमुख फिलेटलिक ब्यूरो  में उपलब्ध कराया जायेगा।

डाक टिकट प्रदर्शनी के पहले दिन आबू स्थित नक्की झील और सेण्ट मेरीज हाई स्कूल पर भी विशेष आवरण (लिफाफा) और विरूपण  जारी किए गए।





कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे श्री सुरेश थिंगर, सभापति नगर पालिका आबू ने कहा कि डाक विभाग की यह अनूठी पहल माउन्ट आबू को पर्यटन की दृष्टि से नए आयाम देगी। 

इस अवसर पर सिरोही  मंडल के  डाक अधीक्षक श्री  देवाराम पुरोहित, जॉर्ज मैथ्यू, प्रधानाचार्य, सेंट जोसेफ स्कूल, आबू, ज्यूरी सदस्य  श्री जगत किशोर परिहार  व श्री आर.के. भूतड़ा, सहायक डाक अधीक्षक अक्खा राम, डाक निरीक्षक मुकेश कुमार, पारसमल सुथार, पोस्टमास्टर आबू जे.एल. माली, वी.के. दवे, जी.एस. मिश्र सहित तमाम फिलेट्लिस्ट, स्कूली विद्यार्थी और प्रबुद्धजन उपस्थित थे।



सभ्यता, संस्कृति एवं विरासत के संवाहक हैं डाक टिकट - डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव

डाक टिकट किसी भी राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति एवं विरासत के संवाहक हैं, जिनके माध्यम से वहाँ के इतिहास, कला, विज्ञान, व्यक्तित्व, वनस्पति, जीव-जन्तु, राजनयिक सम्बन्ध एवं जनजीवन से जुडे़ विभिन्न पहलुओं की जानकारी मिलती है। हर डाक टिकट के पीछे एक कहानी छुपी हुई है और इस कहानी से आज की युवा पीढ़ी को जोड़ने की जरूरत है। उक्त उद्गार राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने डाक विभाग द्वारा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, माउंट आबू (सिरोही), राजस्थान  में आयोजित दो दिवसीय डाक टिकट प्रदर्शनी 'आबूपेक्स-2016'  के  समापन समारोह में 25 अक्टूबर  2016 को बतौर मुख्य अतिथि अपने उद्बोधन में व्यक्त किये।  


डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव  ने कहा कि डाक टिकट सिर्फ भौतिक दूरियों को ही नहीं नापता बल्कि आत्मीयता भी बढ़ाता है। छोटा सा कागज का टुकड़ा दिखने वाले डाक टिकट वक्त के साथ एक ऐसे अमूल्य दस्तावेज बन जाते हैं, जिनकी कीमत लाखों से करोड़ों रुपए में होती है। भारत में 1852 में जारी प्रथम डाक टिकट 'सिंदे टिकट' की कीमत आज 4 लाख से 35 लाख रुपए तक है तो दुनिया का सबसे महंगा डाक टिकट ब्रिटिश गुयाना द्वारा  सन् 1856 में जारी किया गया एक सेण्ट का डाक-टिकट है जो वर्ष 2014 में रिकॉर्ड 9.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर में बिका। श्री यादव ने कहा कि डाक टिकट वास्तव में एक नन्हा राजदूत है, जो विभिन्न देशों का भ्रमण करता है एवम् उन्हें अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से अवगत कराता है। यही कारण है कि ई-मेल और सोशल मीडिया के इस दौर में भी आज हाथों से लिखे पत्रों और डाक टिकटों की लाखों-करोड़ों में नीलामी होती है। 

 डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव  ने प्रदर्शनी में राजस्थान के सर्वोच्च पर्वत शिखर 'गुरु शिखर' पर एक विशेष आवरण (लिफाफा) और विरूपण भी जारी किया। श्री यादव ने कहा कि आबू में स्थित 'गुरु शिखर'  राजस्थान ही नहीं, अरावली पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी है। प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ एक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक केंद्र के रूप में भी विख्यात माउण्ट आबू को राजस्थान का स्वर्ग माना जाता है। गुरु शिखर पर बना मंदिर भगवान विष्णु के अवतार दत्तात्रेय को समर्पित है तो यहाँ स्थित पीतल की घंटी जो माउंट आबू को देख रहे संतरी का आभास कराती है। स्वास्थ्यवर्धक जलवायु के साथ पौराणिक परिवेश से परिपूर्ण गुरु शिखर जीवन को नए अर्थ भी देता है। ऐसे में  5 रूपये मूल्य वर्ग में जारी इस विशेष आवरण को देश के तमाम प्रमुख फिलेटलिक ब्यूरो  में उपलब्ध कराया जायेगा।

 सिरोही  मंडल के  डाक अधीक्षक श्री  देवाराम पुरोहित  ने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से सिरोही मंडल में डाक टिकट संग्रहकर्ताओं को नए आयाम मिले हैं। जिस तरह डाक टिकटों के क्षेत्र में नित अनूठे परिवर्तन हो रहे हैं, वह सराहनीय हैं।

 कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे श्री सुरेश थिंगर, सभापति नगर पालिका आबू ने कहा कि डाक विभाग भारत के सबसे पुराने विभागों में है और इस प्रकार की पहल फिलेटली को युवाओं के और नजदीक लाती है।  


 आबूपेक्स-2016  के समापन अवसर पर डाक टिकट प्रदर्शनी प्रतियोगिता के विजेताओं को निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव द्वारा पुरस्कृत किया गया। इनमें  सीनियर सवंर्ग में  सर्वश्री वकार भाई, नारायण सिंह डाबी व अरविन्द शाह को क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त हुआ व जूनियर सवंर्ग में  सर्वश्री यशवंत रावल व कुशांक को क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। स्कूली विद्यार्थियों  हेतु आयोजित पत्र लेखन प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में हवन दवे व निशांत माली एवम जूनियर वर्ग में रिन्जल पटेल व प्रांजल गौतम को क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। डाक टिकट डिजाइन प्रतियोगिता में कक्षा 1-5 तक के वर्ग में समीर व  रावल सिंह,  कक्षा 6-8 तक के वर्ग में कृष्णा जयसिंह व नील पटेल को क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ। प्रश्नोतरी प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में स्नेह बारोठ व प्रह्लाद को क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ एवं जूनियर वर्ग में प्रांजल गौतम व अर्जित सिंह ने क्रमश: प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त किया।




इस अवसर पर श्री जॉर्ज मैथ्यू, प्रधानाचार्य, सेंट जोसेफ स्कूल, आबू, ज्यूरी सदस्य  श्री जगत किशोर परिहार  व श्री आर.के. भूतड़ा, सहायक डाक अधीक्षक अक्खा राम, डाक निरीक्षक मुकेश कुमार, पारसमल सुथार, पोस्टमास्टर आबू जे.एल. माली, वी.के. दवे, जी.एस. मिश्र सहित तमाम फिलेट्लिस्ट, स्कूली विद्यार्थी और प्रबुद्धजन उपस्थित थे।


प्रदर्शनी के दौरान निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव विभिन्न  स्कूली बच्चों से भी रूबरू हुये और एक हॉबी के रूप में डाक टिकट संग्रह  के अध्ययन पर ज़ोर दिया। उन्होने विद्यार्थियों और उनके अध्यापकों को फिलेटली से जुड़े प्रोजेक्ट्स भी अपनी कार्यशालाओं में शामिल करने की बात कही। माई स्टैम्प सेवा का लाभ उठाने हेतु भी उन्होंने बच्चों और युवाओं को प्रेरित किया।










Saturday, October 22, 2016

'डाकिया डाक लाया' टॉप हिंदी ब्लॉग्स में शामिल

इंटरनेट पर हिंदी के व्यापक प्रचार-प्रसार और ब्लागिंग के माध्यम से देश-विदेश में अपनी रचनाधर्मिता को विस्तृत आयाम देने वाले ब्लॉगर दम्पति राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर  के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव और उनकी पत्नी आकांक्षा  यादव के ब्लॉग क्रमश: "डाकिया डाक लाया" (http://dakbabu.blogspot.in/) और "शब्द-शिखर" (http://shabdshikhar.blogspot.in/) को  टॉप हिंदी ब्लॉग्स में शामिल किया गया है। वर्ष 2008 से ब्लॉगिंग में सक्रिय एवम  ''दशक के श्रेष्ठ हिंदी ब्लॉगर दम्पति'' और  सार्क देशों के सर्वोच्च ''परिकल्पना ब्लॉगिंग सार्क शिखर सम्मान'' से सम्मानित  दम्पति के दोनों ब्लॉगों को इंडियन टॉप ब्लॉग्स द्वारा 2015-16 के  लिए हाल ही में जारी हिंदी के सर्वश्रेष्ठ 130 ब्लॉगों की डायरेक्टरी में स्थान दिया गया है। वर्तमान में हिंदी में एक लाख से ज्यादा ब्लॉग संचालित हैं।

डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव और उनकी पत्नी आकांक्षा यादव  नेपाल, भूटान और श्रीलंका सहित तमाम देशों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मेलन में सम्मानित हो चुके हैं। जर्मनी के बॉन शहर में होने वाले ग्लोबल मीडिया फोरम (2015) के दौरान 'पीपुल्स चॉइस अवॉर्ड' श्रेणी में  आकांक्षा यादव के ब्लॉग 'शब्द-शिखर'  को हिंदी के सबसे लोकप्रिय ब्लॉग के रूप में भी सम्मानित किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा वर्ष  2012 में इस दम्पति को  ”न्यू मीडिया एवं ब्लाॅगिंग” में उत्कृष्टता के लिए ''अवध सम्मान'' से भी विभूषित किया जा  चुका  है। सौ से ज्यादा देशों में देखे-पढ़े जाने वाले इनके ब्लॉग 'डाकिया डाक लाया' और 'शब्द-शिखर' पर अब तक 738 और 512 पोस्ट प्रकाशित हैं।

ब्लॉगिंग के साथ-साथ कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव साहित्य और लेखन में भी सक्रिय हैं।  विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने के साथ-साथ,  अब तक श्री यादव की 7 पुस्तकें और नारी सम्बन्धी मुद्दों पर प्रखरता से लिखने वालीं आकांक्षा यादव की 3 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। देश-दुनिया में शताधिक सम्मानों से विभूषित यादव दम्पति एक लंबे समय से ब्लॉग और सोशल  मीडिया के माध्यम से हिंदी साहित्य एवं विविध विधाओं में अपनी रचनाधर्मिता को प्रस्फुटित करते हुये अपनी व्यापक पहचान बना चुके हैं।

Tuesday, October 18, 2016

सोजत (पाली) की विश्व प्रसिद्ध मेंहदी पर डाक विभाग ने जारी किया विशेष आवरण

डाक विभाग द्वारा राजस्थान के पाली जिले में दो दिवसीय डाक टिकट प्रदर्शनी 'पालीपेक्स -2016'  का आयोजन  5 व 6 अक्टूबर  2016  को किया गया। इस अवसर पर जहाँ तमाम डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगाई गई, वहीं प्रथम दिन पाली स्थित जंवाई बाँध और दूसरे दिन सोजत (पाली) की विश्व प्रसिद्ध मेंहदी पर विशेष आवरण और विरूपण जारी किया गया। 

प्रदर्शनी के दूसरे  दिन 6  अक्टूबर  2016  को राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने  ''सोजत (पाली) की विश्व प्रसिद्ध मेंहदी'' पर विशेष आवरण और विरूपण जारी किया। श्री यादव ने कहा कि पाली का सोजत नगर भारत में मेंहदी उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी है और शादी-विवाह से लेकर तमाम शुभ कार्यों में इसका बहुतायत से उपयोग होता है।  दुनिया भर के पर्यटकों से लेकर तमाम नामचीन हस्तियाँ तक सोजत की मेंहदी की खुशबू और इसकी कलात्मकता की मुरीद हैं। ऐसे में  5 रूपये मूल्य वर्ग में जारी इस विशेष आवरण को देश के तमाम प्रमुख फिलेटलिक ब्यूरो  में उपलब्ध कराया जायेगा।


 विशेष आवरण : पाली जिले के सोजत क्षेत्र की विश्व प्रसिद्ध मेंहदी को दर्शाया गया है। 
Special Cover: The World Fame Henna of Sojat Area in Pali District has been depicted. 

विशेष विरूपण : पाली जिले के सोजत क्षेत्र की विश्व प्रसिद्ध मेंहदी के पौध का फोटो दर्शाया गया है। 
Special Cancellation:Depicts logo of Herbs of  World Fame Henna of Sojat Area in Pali District

SPECIAL COVER on SOJAT KI MEHANDI

Sojat, also called Henna city (Mehandi Nagari) is India’s largest henna cultivating and producing city. Due to its favourable climatic conditions and soils. Sojat is the only region in India where henna is grown and exported worldwide.

It imparts rich dark reddish stains on hands and feet and also acts as a good natural conditioner for hair. It has high content of lawsone (a dying agent in henna powder) of 0.5-2.5% in dry henna leaves, which attaches itself strongly to proteins and as a result the dye is very fast. Everyday about 140-150 metric tons of henna leaves are sold in Sojat city. Recently a multinational cosmetic company of France has desired to research on it regarding its dying quality.

डाक विभाग ने पश्चिम राजस्थान के सबसे बड़े जवाई बांध पर जारी किया विशेष आवरण और विरूपण


डाक विभाग द्वारा राजस्थान के पाली जिले में दो दिवसीय डाक टिकट प्रदर्शनी 'पालीपेक्स -2016'  का आयोजन  5 व 6 अक्टूबर  2016  को किया गया। इस अवसर पर जहाँ तमाम डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगाई गई, वहीं प्रथम दिन पाली स्थित जंवाई बाँध पर विशेष आवरण और विरूपण भी जारी किया गया। 


प्रदर्शनी के पहले दिन 5 अक्टूबर  2016  को राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र की पोस्टमास्टर जनरल श्रीमती शिउली बर्मन और निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने उद्घाटन करते हुए ''पाली स्थित जंवाई बाँध'' पर विशेष आवरण और विरूपण जारी किया। पाली जिले में स्थित पश्चिम राजस्थान के सबसे बड़े जवाई बांध को 1957 में जोधपुर के महाराज उम्मेद सिंह ने निर्मित कराया था। वर्तमान में पाली और जालोर के किसानों के लिए जीवन रेखा माने जाने वाला जवाई बांध देश-दुनिया से आने वाली अनेकों पक्षियों का बसेरा भी है और एक खूबसूरत प्राकृतिक सैरगाह भी। 


विशेष आवरण : पश्चिमी राजस्थान के पाली जिले में स्थित जंवाई बांध का फोटो दर्शाया गया है। 
Special Cover: The Scene of Jawai dam in Pali District of Western Rajasthan has been depicted. 

विशेष विरूपण : पाली जिला स्थित जंवाई बांध का फोटो दर्शाया गया है। 
Special Cancellation: Depicts logo of Jawai Dam, Pali District. 

Jawai dam is a dam built across the Jawai river, a tributary of Luni River. It is situated near Sumerpur town of Pali district in Rajasthan. The dam was built by Maharaja Umaid Singh of Jodhpur in 1957. This is the biggest dam in western region of capacity 7887.5 million cubic feet with height 61.25 feet.

It is the main water supply source for Jodhpur city and parts of Pali and Jalore district. Besides being a winter paradise for migratory birds, crocodile and leopard sanctuaries are also located nearby.

Monday, October 17, 2016

To take weather reports to farmers, Meteorological Department turns to Postmen

The India Meteorological Department (IMD) has a new job for postmen. Looking to collect and deliver weather information to remote villages, the IMD’s Agricultural Meteorology Division, or AgriMet, wants them to step in and help.

“The postman will be given a template form when he goes to a village. It will have basic questions, like cropping pattern of the village, land usage, etc. He has to fill the form and get phone numbers of some farmers,” Dr Nabansu Chattopadhyay, deputy director general at AgriMet, said.

The postal department will feed this information to their servers, and IMD officials will then access it to churn out circle-level, custom-made weather and crop forecast.

Chattopadhyay said the decision to rope in the Postal Department was taken during a brainstorming session last month on how to disseminate AgriMet advisories to farmers.

“Timely and precise weather-based advisories are invaluable for farmers to plan their crop cycle. Through the Kisan portal and other services, we have managed to reach 19 million farmers. But we aim to reach all 90 million farmers in India with custom-made weather and crop advisories,” he said.

Chattopadhyay said that in places where even mobile network does not exist, a postman could make all the difference.
The IMD also plans to mount LED screens at village post offices, where weather and crop information would be shown through the day. “All the screens will be connected to the remote server, and information collected by postmen will be used to churn out the advisories,” Chattopadhyay said.

At the moment, five villages — in Gujarat, Uttar Pradesh, Uttarkhand, Punjab and Andhra Pradesh — have been selected for the trial run of the project, and a budget is being worked out.

According to Chattopadhyay, of the 1,54,239 post offices in India, 1,39,222 are in rural areas.

Referring to an economic impact analysis study by the National Council of Applied Economic Research, Chattopadhyay said that at least 25 per cent of the farmers who relied on AgriMet reported an increase in their net income. “The service has the potential of generating net economic benefit of up to Rs 3.3 lakh crore when such advisories are fully utilised by all 90 million farmers,” he said.

Apart from the postal department, AgriMet plans to use services such as farmer’s cooperatives and agricultural produce market committees to ensure their advisories reach all corners.

Friday, October 14, 2016

पत्रों के साथ-साथ डाक जीवन बीमा के क्षेत्र में भी डाक विभाग की धाक- डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव


डाक विभाग पत्रों के वितरण के साथ-साथ जीवन बीमा के क्षेत्र में भी एक लम्बे समय से कार्यरत है। 1 फरवरी 1884 को आरंभ 'डाक जीवन बीमा' भारत में सरकारी व अर्द्ध सरकारी कर्मचारियों के लिए सबसे पुरानी बीमा योजना है। उक्त उद्गार राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने 'राष्ट्रीय डाक सप्ताह' के तहत 14 अक्टूबर को जोधपुर में आयोजित ”डाक जीवन बीमा दिवस” पर व्यक्त किए। 

निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि जीवन बीमा आज के दौर की एक अनिवार्य आवश्यकता है। डाक विभाग अपने विस्तृत नेटवर्क के माध्यम से सुदूर क्षेत्र में रह रहे लोगों को भी बीमित करने के लिए संकल्प है। 'डाक जीवन बीमा' के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए डाक विभाग ने 'ग्रामीण डाक जीवन बीमा' भी आरम्भ की हुई है।  डाक जीवन बीमा में  अधिकतम बीमित सीमा  50 लाख और ग्रामीण  डाक जीवन बीमा में 20 लाख है।

डाक जीवन बीमा के अन्तर्गत लाभों की चर्चा करते हुए डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि निवेश की सुरक्षा पर सरकार की गांरटी, धारा 88 के तहत आयकर में छूट, कम प्रीमियम व अधिक बोनस, पालिसी पर लोन की सुविधा, देश के किसी भी डाकघर में प्रीमियम जमा करने की सुविधा और अग्रिम प्रीमियम पर छूट दी जाती है। जमा प्रीमियम पर किसी तरह का किसी प्रकार के एजेन्ट कमीशन का भार प्रस्तावक पर नहीं पड़ता है।

डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि बीमा के क्षेत्र में भी डाक विभाग नित नये आयाम स्थापित कर रहा है। राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर  में वर्तमान में कुल  7 लाख, 88  हजार 131 पॉलिसियाँ संचालित हैं, जिनमें  डाक जीवन बीमा और ग्रामीण डाक जीवन बीमा में क्रमश : 76, 548 और 7,11,583 पॉलिसियाँ हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष में कुल 3,500 पॉलिसियाँ जारी की गईं, जिनमें कुल बीमित राशि 1 अरब 25 करोड़ के सापेक्ष 1 करोड़ 90 लाख रूपये का  नया प्रीमियम और 65 करोड़ रूपये का कुल प्रीमियम अर्जित किया गया।

श्री यादव ने कहा कि अधिकाधिक लोगों  को बीमित करने हेतु हर डाक मण्डल में गाँवों को चिन्हित करके उन्हें ग्रामीण डाक जीवन बीमा ग्राम के रूप में कवर किया जा रहा है वही शहरों में प्रमुख सरकारी विभागों को डाक जीवन बीमा संगठन के तहत लाया जा रहा है। सामाजिक सरोकारों के तहत चयनित गाँवों में डाक विभाग स्वच्छता अभियान के तहत स्कूलों में शौचालय भी बनवा रहा है।

जोधपुर  मंडल के प्रवर डाक अधीक्षक श्री बी. आर. सुथार  ने कहा कि डाकघरों में लोगों की आयु और आवश्यकता के हिसाब से जीवन बीमा की तमाम योजनायें हैं, जिनमें सुरक्षा, संतोष, सुविधा, युगल सुरक्षा, सुमंगल व चिल्ड्रेन  पालिसी शामिल हैं।

इस अवसर पर डाक निदेशक श्री यादव ने लोगों को बीमा बॉण्ड सौंप करके उनके समृद्ध भविष्य की कामना कीI इस दौरान राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के अंतर्गत विभिन्न जगहों पर डाक बीमा मेले का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों  को इसके बारे में जागरूक किया गया और लोगों का बीमा भी किया गया। इस अवसर पर सीनियर पोस्टमास्टर एल.एस. पटेल, सहायक अधीक्षक उदय शेजू, विनय कुमार खत्री, निरीक्षक रमेश जांगिड़, देवी चंद्र कटारिया, सहित डाक विभाग के तमाम अधिकारी-कर्मचारी, व नागरिकजन उपस्थित रहे।