भारतीय डाकघर अपनी साधारण छवि के साथ 150 वर्षों से अधिक समय से राष्ट्र को सेवाएं प्रदान कर रहा है। सामुदायिक जीवन में संचार के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में इस समय डाकघर को प्रौद्योगिकी के नवीनतम माध्यमों से कड़ी प्रतिस्पर्धा करनी पड़ रही है, जिन्होंने ‘कनेक्टिविटी‘ को पुनर्परिभाषित किया है। विश्व के सबसे बड़े नेटवर्क, 1।55 लाख डाकघरों के साथ तमाम कड़ी प्रतिस्पद्र्धा के बावजूद सामाजिक प्रतिबद्धता को पूरा करने की दिशा में डाक विभाग निरन्तर प्रयासरत हैं। सामान्यतया देखा गया है कि इतने बड़े नेटवर्क के बावजूद डाकघरों की कोई ब्राण्डिंग नहीं है एवं न ही एकरूपता है। हर डाकघर की अपनी अलग संरचना है। इसी के मद्देनजर युवा संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिन्धिया ने आई0टी0 के इस दौर में नई पहल करते हुए डाकघरों को ‘‘प्रोजेक्ट एरो‘‘ अवधारणा से एकरूप करने का बीड़ा उठाया है। इसके तहत चयनित डाकघरों की कार्यप्रणाली को सभी क्षेत्रों में सुधार एवं उच्चीकृत करके पारदर्शी, सुस्पष्ट एवं उल्लेखनीय प्रदर्शन के आधार पर और आधुनिक बनाया जा रहा है। डाक वितरण, डाकघरों के बीच धन प्रेषण, बचत बैंक सेवाओं और ग्राहकों की सुविधा पर जोर के साथ नवीनतम टेक्नोलाजी, मानव संसाधन के समुचित उपयोग एवं आधारभूत अवस्थापना में उन्नयन द्वारा विभाग अपनी ब्राण्डिंग पर भी ध्यान केन्द्रित कर रहा है। भारतीय डाक विभाग प्रोजेक्ट एरो के तहत प्रथम चरण में पूरे देश में 50 एवं द्वितीय चरण में 450 डाकघरों को नवीनीकृत कर चुका है। तृतीय चरण में 4500 डाकघरों को चिन्हित किया गया है।
एरो के मूलतः दो भाग हैं- कार्यों का सम्यक रूप में सम्पादन एवं डाकघरों के लुक एवं फील को आधुनिक बनाना। प्रथम के अन्तर्गत डाक वितरण, पे्रषण, बचत बैंक एवं आफिस सर्विस में सुधार पर जोर है तो लुक एवं फील के अन्तर्गत डाकघरों की ब्राण्ंिडग, आई0टी0 पर जोर, मानव संसाधन का सम्यक विकास एवं आधारभूत संसाधनों में सुधार अपेक्षित है।
प्रोजेक्ट एरो के माध्यम से डाक विभाग पुनः अपनी मूल सेवा डाक वितरण पर विशेष रूप से जोर दे रहा है। डाक वितरण के तहत प्राप्ति के दिन ही सभी प्रकार की डाक चाहे वह साधारण, पंजीकृत, स्पीड पोस्ट या मनीआर्डर हो का उसी दिन शतप्रतिशत वितरण व डिस्पैच, लेटर बाक्सों की समुचित निकासी और डाक को उसी दिन की डाक में शामिल करना, डाक बीटों के पुनर्निर्धारण द्वारा वितरण को और प्रभावी बनाना एवं डाक वितरण की प्रतिदिन मानीटरिंग द्वारा इसे और भी प्रभावी बनाया जा रहा है। यही नहीं आवश्यकतानुसार वितरण का समय और भी पहले किया जा रहा है एवं टेªन व बसों पर डाक के पारागमन हेतु निर्भरता की बजाय मेल मोटर द्वारा इसे त्वरित बनाया जा रहा है।
बचत बैंक सेवाओ को पूर्णतया कम्प्यूटराइज्ड कर उनकी शतप्रतिशत डाटा फीडिंग और सिगनेचर स्कैनिंग भी कराई जा रही है, ताकि मैनुअली ढंग से कार्य संपादित करने पर होने वाली देरी से बचा जा सके। खातों के स्थानान्तरण में लगने वाले समय और ब्याज की त्वरित गणना पर भी जोर है। लोगों की सुविधा हेतु अब कम्प्यूटराइज्ड पास बुकंे जारी की जायेंगी। मृतक दावों का त्वरित निस्तारण भी प्रोजेक्ट एरो के तहत प्राथमिकता पर है। बचत बैंक संबंधी कार्यो हेतु लोगों को भटकना न पड़े, इसके लिए सिटीजन चार्टर का क्रियान्वयन, वेब आधारित ग्राहक शिकायत निस्तारण प्रणाली, सभी बचत बैंक फार्मों के भरे हुए प्रारूपों का पब्लिक हाल में डिस्प्ले किया गया है।
प्रोजेक्ट एरो द्वारा डाकघरों का कायाकल्प होने के साथ ही दूर-दराज ग्रामीण अंचलों में इसके लेखान्तर्गत स्थित डाकघरों की कार्यप्रणाली में भी काफी पारदर्शिता आयेगी। जनोपयोगी सूचना को पब्लिक हाल में उपलब्ध कराना, समुचित पेयजल, टायलेट व बैठने की व्यवस्था इत्यादि सहित तमाम महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर इस प्रोजेक्ट में क्रियान्वयन किया है। इसके अलावा कारपोरेट लुक के तहत काउण्टर स्टाफ हेतु यूनीफार्म का निर्धारण एवं काउण्टर्स की ब्रांडिंग भी की गयी है। डाक विभाग की विभिन्न सेवाओं एवं उनकी दरों के लिए लोगों को असुविधा का सामना न करना पड़े, इसके लिए पब्लिक हाल में टच-स्क्रीन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। टच स्क्रीन सुविधा द्वारा जहाॅ सभी डाक सेवाए एवं उनकी दरें निर्दिष्ट की गयी हैं, वहीं इसमें क्विज की रोचक सुविधा भी मुहैया करायी गयी है। इस टच स्क्रीन में नेट सर्फिंग का भी प्रावधान है।
सुन्दर जानकारी दी आपने. इसी बहाने डाकघरों का हुलिया तो बदलेगा.
ReplyDeleteप्रोजेक्ट एरो के मूलतः दो भाग हैं- कार्यों का सम्यक रूप में सम्पादन एवं डाकघरों के लुक एवं फील को आधुनिक बनाना। प्रथम के अन्तर्गत डाक वितरण, पे्रषण, बचत बैंक एवं आफिस सर्विस में सुधार पर जोर है तो लुक एवं फील के अन्तर्गत डाकघरों की ब्राण्ंिडग, आई0टी0 पर जोर, मानव संसाधन का सम्यक विकास एवं आधारभूत संसाधनों में सुधार अपेक्षित है.....Really Wonder !!
ReplyDeleteइसके लिए पब्लिक हाल में टच-स्क्रीन की सुविधा उपलब्ध करायी गयी है। टच स्क्रीन सुविधा द्वाराजहाॅ सभी डाक सेवाए एवं उनकी दरें निर्दिष्ट की गयी हैं, वहीं इसमें क्विज की रोचक सुविधा भी मुहैया करायी गयी है। इस टच स्क्रीन में नेट सर्फिंग का भी प्रावधान है। ...Ati Sundar.
ReplyDeleteसुंदर जानकारी
ReplyDelete... अच्छी जानकारी प्रदाय की है।
ReplyDeleteइतना बढ़िया विवरण पढ़कर दिल खुश हो गया. डाकिया जी जी तुसी ग्रेट हो यार !!
ReplyDeleteहमारे इलाहबाद में भी यह परिवर्तन दिख रहा है. चलिए डाक विभाग को डाक घरों की सुध तो आई.
ReplyDeleteडाक व्यवस्था अभी भी संचार-तंत्र का ग्रामीण इलाकों में मजबूत आधार है. इसमें परिवर्तन के दूरगामी प्रभाव होंगे.
ReplyDeleteडाकिया बाबू, जो कुछ आपने लिखा हॆ यदि वह सच होने जा रहा हॆ तो आपके मुंह में घी-शक्कर.अभी तो दिल्ली जॆसे शहर में डाकघरों का यह हाल हॆ कि-मासिक आय खाते से ब्याज निकालने जाओ, तो लाईन में दो-दो घंटे में नंबर आता हॆ.काउंटर पर बॆठे बाबू की हालत को देखकर दया आती हॆ-एक ही काउंटर पर इतने तरह के काम.सुना हॆ विभाग के अधिकारी अपनी पोस्ट तो बढा लेते हे, लेकिन वास्तव में काम करने वाले(वर्ग-ग)कर्मचारियों की पोस्ट नहीं बढाते.विभाग को चाहिए कि वह अपने कर्मचारियों पर इतना ज्यादा कार्य-भार न डाले कि वे जनता को अच्छी सेवा न दे सके.
ReplyDeleteडाकिया बाबू, जो कुछ आपने लिखा हॆ यदि वह सच होने जा रहा हॆ तो आपके मुंह में घी-शक्कर.अभी तो दिल्ली जॆसे शहर में डाकघरों का यह हाल हॆ कि-मासिक आय खाते से ब्याज निकालने जाओ, तो लाईन में दो-दो घंटे में नंबर आता हॆ.काउंटर पर बॆठे बाबू की हालत को देखकर दया आती हॆ-एक ही काउंटर पर इतने तरह के काम.सुना हॆ विभाग के अधिकारी अपनी पोस्ट तो बढा लेते हे, लेकिन वास्तव में काम करने वाले(वर्ग-ग)कर्मचारियों की पोस्ट नहीं बढाते.विभाग को चाहिए कि वह अपने कर्मचारियों पर इतना ज्यादा कार्य-भार न डाले कि वे जनता को अच्छी सेवा न दे सके.
ReplyDeleteयुवा शक्ति को समर्पित हमारे ब्लॉग पर भी आयें और देखें कि BHU में गुरुओं के चरण छूने पर क्यों प्रतिबन्ध लगा दिया गया है...आपकी इस बारे में क्या राय है ??
ReplyDeleteबहुत सुन्दर जानकारी..आभार.
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