Friday, June 5, 2009

कभी फिलेटली था राजाओं का शौक

डाक-टिकटों का संग्रह अर्थात फिलेटली मानव के लोकप्रिय शौकों में से एक रहा है। इसे अपनी व्यापकता एवं सुन्दरता के चलते ‘शौकों का राजा’ कहा जाता है। एक जमाना था कि फिलेटली को सिर्फ राजाओं का शौक माना जाता था। इंग्लैण्ड के सम्राट जार्ज पंचम इस शौक के बहुत मुरीद थे। जार्ज पंचम के फिलेटली शौक के बारे में सर हेराल्ड निकोलसन ने लिखा है कि -''For seventeen years he did nothing at all but kill animals and stick in stamps.'' यही नहीं, एक बार सम्राट जार्ज पंचम को किसी डाक टिकट विक्रेता के यहाँ से डाक टिकट खरीदते उनके रिश्तेदार ने देख लिया और इसकी शिकायत उनकी पत्नी महारानी मेरी से की। इसके उत्तर में महारानी मेरी ने कहा- ‘मुझे पता है कि मेरे पति शौक हेतु डाक टिकट खरीदते हैं और यह अच्छा भी है, क्योंकि यह शौक उन्हें अन्य बुरी प्रवृतियों से दूर रखता है।’ महारानी मेरी का यह कथन एक शौक के रूप में डाक टिकट संग्रह की अद्भुत प्रासंगिकता पर भी प्रकाश डालता है। आज भी विश्व में डाक-टिकटों का सबसे बडा संग्रह ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पास है। इसी प्रकार आस्ट्रिया के राजकुमार चाल्र्स (1882-1922) का जब राज्याभिषेक किया जा रहा था तो उन्होंने मजाक में कहा कि - ‘‘इसकी क्या जरूरत है। बेहतर होगा कि सिंहासन पर मेरी मुखाकृति अंकित एक डाक टिकट रख दी जाये।’’ बदलते वक्त के साथ राजाओं का शौक कही जाने वाली इस विधा ने आज सामान्य जनजीवन में भी उतनी ही लोकप्रियता प्राप्त कर ली है। भारत में करीब पचास लाख लोग व्यवस्थित रूप से डाक-टिकटों का संग्रह करते हैं।

9 comments:

  1. सही है,यह शौक बढियां है .

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  3. मुझे भी डाक-टिकट संग्रह करने का शौक है. आपके ब्लॉग पर आकर तमाम नई-नई जानकारियां मिलती हैं.

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  4. इतने सुन्दर प्रसंगों द्वारा आपने सिद्ध कर दिया कि फिलेटली को राजाओं का शौक क्यों कहा जाता है.

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  5. इतने सुन्दर प्रसंगों द्वारा आपने सिद्ध कर दिया कि फिलेटली को राजाओं का शौक क्यों कहा जाता है.

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  6. आस्ट्रिया के राजकुमार चाल्र्स (1882-1922) का जब राज्याभिषेक किया जा रहा था तो उन्होंने मजाक में कहा कि - ‘‘इसकी क्या जरूरत है। बेहतर होगा कि सिंहासन पर मेरी मुखाकृति अंकित एक डाक टिकट रख दी जाये।’’...हा..हा..हा...मजेदार बात बताई आपने.

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  7. डाक-टिकटों पर बहुत सारे ब्लोगों पर लिखा जा रहा है, पर यह उनमें सर्वोत्तम है.

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  8. अब तो डाक-टिकट महंगे भी होने लगे हैं...उन्हें इकठ्ठा करने के लिए पूंजी भी तो चाहिए.

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