Wednesday, July 8, 2009
क्रान्तिकारियों के निशाने पर रहे डाकघर
स्वतन्त्रता आन्दोलन में कानपुर की प्रमुख भूमिका रही है। 1857 के बाद से डाकघर बराबर क्रान्तिकारियों के निशाने पर रहे और आगजनी तथा लूटपाट का दौर कानपुर के डाकघरों ने भी देखा। इस दौर में तमाम क्रान्तिकारी नायकों ने भी बड़ी संख्या में हरकारों की भर्ती कर रखी थी, जो उनके लिए गुप्त खबरें भी लाते थे। कानपुर में नाना साहब के दरबार में एक हरकारे गिरधारी ने ही मेरठ विद्रोह की खबर सर्वप्रथम पहुँचाई थी, जिसे बाद में अंग्रेजों ने मौत के घाट उतार दिया। 1857 की क्रान्ति के दौरान जब क्रान्तिकारियों ने कानपुर में अंग्रेजों की संचार व्यवस्था ध्वस्त कर दी तो सेनापति कोलिन थेंप विल ने पत्र द्वारा गर्वनर जनरल लार्ड केनिंग को यहाँ के बारे में सूचित करते हुए सलाह दी कि जब तक अंग्रेजी सेनायें अवध को काबू में नहीं करेंगी, तब तक क्रान्ति की चिंगारी यँू ही फैलती रहेगी। कालान्तर में भी डाक सेवायें लोगों के निशाने पर रहीं, क्योंकि अंग्रेजों के पास संचार माध्यम का यह सबसे सशक्त साधन था। 1940 के दौरान राजस्थान के देवली नामक स्थान में बनाये गये कैम्प में समग्र भारत से लगभग 400 क्रान्तिकारियों को अंग्रेजी हुकूमत ने बन्द कर दिया था, जिसमें कानपुर के भी तमाम लोग थे। इसके विरोध में 8 नवम्बर 1940 को कानपुर में छात्रों ने देवली दिवस की घोषण कर जुलूस निकाले। डी0ए0वी0 से चले जुलूस को सिरकी मोहाल चैकी के पीछे वाली गली में पहुँचने पर पुलिस ने दोनों ओर से घेर कर लाठीचार्ज किया और कुछ लोगों को गिरतार भी कर लिया। इससे आक्रोशित होकर 16 वर्षीय छात्र सूरजबली नादिरा ने अपने साथी शिवशंकर सिंह और अन्य के साथ बड़ा चैराहा स्थिति डाकघर में धावा बोलकर 1,36,000 रूपये अपने कब्जे में कर लिये और पुलिस द्वारा घिर जाने पर नोट लुटाते भाग गये। यद्यपि बाद में पुलिस ने नादिरा को गिरतार कर लिया। इसी प्रकार भारत छोड़ो आन्दोलन के आवह्यन के अगले दिन 10 अगस्त 1942 को आन्दोलित भीड़ ने मेस्टन रोड डाकघर में हमला बोलकर 50,000 रूपये की नकदी लूट ली व सारा सामान आग के हवाले कर दिया। नयागंज डाकखाने का भी सारा सामान लूट लिया गया और जनरलगंज व नरौना एक्सचेन्ज डाकघरों में आग लगाने के साथ-साथ तमाम लेटरबाक्सों को भी नुकसान पहुँचाया गया।
सुन्दर डाक-टिकट लगाई है.
ReplyDeleteबहुत अच्छी ऐतिहासिक जानकारी .
ReplyDeleteआजादी के दौर में डाकघर निशाने पर थे क्योंकि तब यही संचार का सुलभ माध्यम था.
ReplyDeleteAchha likha apne.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसुन्दर जानकारी.
ReplyDelete