अचानक नजर एक खबर पर आकर अटक गई। शीर्षक था- चिट्ठी में भी आ सकते हैं बम। लोग तो बाद में डरेंगे, पहले तो मुझे ही डरना था आखिर रोजमर्रा का मेरा काम ही चिट्ठियों को लाना और ले जाना है। खबर कुछ यूँ थी- ‘‘अपनों का कुशल मंगल बताने वाली चिट्ठी भी अमंगल का कारण बन सकती है। इन पर अब आतंकियों की नजर हैं। सितंबर (9/11) बीत चुका है लेकिन नवंबर (11/26) नजदीक है। ऐसे में पूरी दुनिया आतंकी हमलों को लेकर चैकस है। हाल में अमेरिका और यूरोप की बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने भारतीय प्रबंधन को खास निर्देश दिए हैं, जिसमें कहा गया है कि कोई भी कर्मचारी कार्यालय के पते पर व्यक्तिगत पत्र, पार्सल या कूरियर नहीं मंगवाएगा। सुरक्षा एजेंसियों के खुलासों के बाद कंपनियों को खतरा है कि चिट्ठियों के जरिए आतंकी विस्फोटक भेज सकते हैं। नोएडा में इंग्लैंड की एक कंपनी के मानव संसाधन विभाग ने अपने कर्मचारियों को आदेश दिया है कि व्यक्तिगत पत्र व्यवहार कार्यालय के पते पर नहीं करें। ऐसे पत्र, पार्सल और कूरियर के लिए अपने घर का पता इस्तेमाल करें। वस्तुतः बहुराष्ट्रीय कंपनियों में 90 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी भारतीय हैं। विदेशी कर्मचारियों के लिए आने वाले पत्रों की जांच हवाई अड्डों पर हो जाती है। लेकिन स्थानीय पत्रों की जांच नहीं होती।‘‘
....... आपको वह दिन तो याद होंगे जब चिट्ठियों के माध्यम से एन्थ्रेक्स को फैलाये जाने की अफवाहें हर तरफ थीं। कानपुर में तो एक बार एक व्यक्ति ने लगभग सैकड़ा चिट्ठियाँ तमाम अधिकारियों-नेताओं को भेज दी और उनमें कुछ बारूदनुमा पदार्थ था। वास्तव में यह क्या था, यह तो नहीं पता चला पर चिट्ठी जरूर बदनाम हो गई। मेरी आप सबसे यही गुजारिश है कि चिट्ठियां लोगों की संवेदनाओं से जुड़ीं होतीं हैं और कृपा करके उन्हें विस्फोटक मत बनाइये।
...अजी हम तो डर ही गए.
ReplyDeleteकहते है आतंक का कोई सिरा नहीं होता...पर यह दुर्भाग्यशाली है.
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