Wednesday, January 26, 2011
Friday, January 7, 2011
अंडमान-निकोबार में पर्यटन को बढ़ावा देते पोस्टकार्ड
(सेलुलर जेल)
(बैरन द्वीप और बैरन ज्वालामुखी)
(राॅस और स्मिथ द्वीप)
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भारतीय डाक विभाग ने अंडमान में पर्यटन को बढ़ावा देने वाले मेघदूत पोस्टकार्ड जारी किए हैं. गौरतलब है कि जहाँ सामान्य पोस्टकार्ड 50 पैसे में उपलब्ध होते हैं वहीँ मेघदूत पोस्टकार्ड मात्र 25 पैसे में उपलब्ध होते हैं। मेघदूत पोस्टकार्ड के पते वाले साइड में कुछ लिखा नहीं जा सकता वहाँ पर विभिन्न प्रकार के विज्ञापन या प्रचार सामग्री मुद्रित की जाती है। उक्त मेघदूत पोस्टकार्ड बिक्री हेतु भारत के विभिन्न हिस्सों में उपलब्ध है।
इस विज्ञापन में कभी काला पानी के लिए मशहूर पर अब ऐतिहासिक राष्ट्रीय स्मारक सेलुलर जेल, बैरन द्वीप और यहाँ स्थित भारत के एकमात्र सक्रिय बैरन ज्वालामुखी एवं राॅस और स्मिथ द्वीपों इत्यादि के चित्रों को प्रदशित किया गया है. राॅस और स्मिथ द्वीपों की यह विशेषता है कि ज्वार आने पर यह दोनों द्वीप आपस में मिल जाते हैं और भाटा के समय अलग हो जाते हैं. इसी कारण इन्हें सिस्टर-आइलैंड भी कहा जाता है. गौरतलब है कि इन मेघदूत पोस्टकार्डों को सूचना-प्रसार एवं पर्यटन निदेशालय, अंडमान व निकोबार प्रशासन द्वारा विज्ञापित किया गया है।
उक्त मेघदूत पोस्टकार्डों की डाकघरों में काफी माँग है और वर्तमान में टूरिस्ट सीजन होने के चलते तमाम विदेशी और भारतीय पर्यटक इन पर पत्र लिखकर अपने परिजनों को भेज रहे हैं. यहाँ से भेजे जाने के कारण इन पर अंडमान के डाकघरों की मुहर भी लगी होती है, इस कारण इनकी फिलेटलिक वैल्यू भी बढ़ जाती है. देश-विदेश से लोग अंडमान में पर्यटन के बहाने आते हैं और एक बार उस सेलुलर जेल के दर्शन जरुर करते हैं जहाँ देशभक्तों ने इतनी यातनाएं सहीं. डाक विभाग भी इसके प्रति सचेत है और यहाँ के पोर्टब्लेयर प्रधान डाक घर से बाहर जाने वाले पत्रों पर जो मुहर लगाई जाती है, उस पर सेलुलर जेल का चित्र अंकित है. ऐसे में इन पत्रों को लोग यादगार के रूप में सहेज कर रखते हैं.
यहाँ भी पढ़ें-स्वतंत्र आवाज़. काम , स्वर्गविभा, युगमानस
Wednesday, January 5, 2011
जंगलों के संरक्षण पर बच्चों ने लिखीं चिठ्ठयां : UPU पत्र लेखन प्रतियोगिता
पोर्ट ब्लेयर। अंडमान निकोबार द्वीप समूह के डाक विभाग ने स्कूली बच्चों के लिए पोर्ट ब्लेयर में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन पत्र लेखन प्रतियोगिता आयोजित की जिसमें बच्चों ने एक दूसरे को इस विषय पर पत्र लिखे कि जंगलों का संरक्षण क्यों जरूरी है। बच्चों की विषय में गहरी दिलचस्पी दिखाई दी। प्रतियोगिता के बाद की उत्साहजनक आपसी बातचीत में बच्चों ने संबंधित विषय पर अपने लेखन की चर्चा की और कहा कि उन्होंने विभिन्न शैलियों में जंगलों को मानव जीवन और पर्यावरण के लिए वरदान और वन्य प्राणियों के लिए उनका घर एवं जीवन जीने का एकमात्र स्रोत लिखा है। प्रतियोगिता में जहां बच्चों की लेखनशैली प्रतिभा सामने आई वहीं उनकी जंगलों वृक्षों और उनके सहारे वन्यजीवन के फलने फूलने की उनकी मार्मिक भावनाओं का अच्छे शब्दों में प्रकटीकरण हुआ।
पोर्ट ब्लेयर के राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 40वीं यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। प्रतियोगिता का शुभारंभ अंडमान निकोबार द्वीप समूह के डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने किया। बच्चों को पत्र लेखन का महत्व समझाकर खूब लिखने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि पत्र खुशनुमा अहसास के साथ संवेदनाओं को जीवंत रखते हैं। बच्चों को पत्र लेखन का विषय दिया गया था कि 'वे अपने को जंगल का एक पेड़ मानते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें कि जंगलों का संरक्षण क्यों जरूरी है।'
कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि डाक विभाग की पत्र लेखन की यह अनूठी पहल किशोरों को डाक सेवाओं के स्वर्णिम आयामों से परिचय कराती है। उनका कहना था कि अभी भी पत्र लेखन का काफी महत्व है और इसमें भावनाओं का जिस प्रकार प्रकटीकरण होता है वह संचार के अन्य साधनों में नहीं है। पत्र लेखन सिर्फ एक विधा ही नहीं है बल्कि इसमें रिश्तों की मिठास हो़ती है और पत्रों की भाषा में एक खुशनुमा अहसास होता है जिससे संवेदनाएं जीवंत रहती हैं। यादव ने कहा कि पत्र लेखन सोचने की क्षमता और शब्द ज्ञान में भी वृद्धि करते हैं, ऐसे में युवा पीढ़ी और विद्यार्थियों को इसके लिए इन्हें प्रेरित करना और इनके महत्व पर ध्यान आकृष्ट करना और भी जरूरी है।
यह प्रतियोगिता अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित की गई थी। डाक निदेशक ने बताया कि पत्र-लेखन प्रतियोगिता में शामिल सभी कापियां पहले सर्किल स्तर पर पोर्टब्लेयर के लिए कोलकात्ता में जांची जाएंगीं फिर उनमें से सर्वोत्तम का चयन कर राष्ट्रीय स्तर के लिए डाक निदेशालय दिल्ली भेजी जाएंगीं। राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम, दितीय और तृतीय स्तर के लिए क्रमशः 2000, 1500 और 1000 रूपये का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र दिया जायेगा। प्रत्येक डाक परिमंडल के लिए हर सर्वोत्तम पत्र को 250 रूपये का प्रोत्साहन नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा। राष्ट्रीय स्तर पर चयनित सर्वोत्कृष्ट तीन पत्रों को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों हेतु भेजा जायेगा जहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्तर के लिए क्रमशः स्वर्ण, रजत और ताम्र मेडल एवं साथ में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का अधिकारिक डाक टिकटों का एल्बम सम्मान स्वरूप दिया जायेगा।
इस अवसर पर डाक टिकटों का एक काउंटर भी लगाया गया था जहां बच्चों ने रंग-बिरंगे डाक टिकटों का लुत्फ उठाया। बच्चों में डाक टिकटों के प्रति काफी क्रेज दिखा। उन्हें डाक विभाग की फिलेटलिक डिपाजिट खाता स्कीम के बारे में भी बताया गया जिसके अंतर्गत कोई न्यूनतम 200 रूपये में खाता खोलकर हर महीने घर बैठे नई डाक टिकटें और अन्य मदें प्राप्त कर सकता है। फिलेटलिक डिपाजिट खाता खोलने में तमाम बच्चों और उनके अभिवावकों ने रूचि दिखाई और लगभग 50 फिलेटलिक डिपाजिट खाते इस अवसर पर खोले गए। प्रतियोगिता में कुल 28 बच्चों ने भाग लिया। अधिकतर प्रतिभागी कार्मेल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पोर्टब्लेयर, राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, विवेकानंद विद्यालय पोर्टब्लेयर और संत मेरी विद्यालय पोर्टब्लेयर के विद्यार्थी थे।
पोर्ट ब्लेयर के राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 40वीं यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। प्रतियोगिता का शुभारंभ अंडमान निकोबार द्वीप समूह के डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने किया। बच्चों को पत्र लेखन का महत्व समझाकर खूब लिखने की प्रेरणा देते हुए उन्होंने कहा कि पत्र खुशनुमा अहसास के साथ संवेदनाओं को जीवंत रखते हैं। बच्चों को पत्र लेखन का विषय दिया गया था कि 'वे अपने को जंगल का एक पेड़ मानते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें कि जंगलों का संरक्षण क्यों जरूरी है।'
कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि डाक विभाग की पत्र लेखन की यह अनूठी पहल किशोरों को डाक सेवाओं के स्वर्णिम आयामों से परिचय कराती है। उनका कहना था कि अभी भी पत्र लेखन का काफी महत्व है और इसमें भावनाओं का जिस प्रकार प्रकटीकरण होता है वह संचार के अन्य साधनों में नहीं है। पत्र लेखन सिर्फ एक विधा ही नहीं है बल्कि इसमें रिश्तों की मिठास हो़ती है और पत्रों की भाषा में एक खुशनुमा अहसास होता है जिससे संवेदनाएं जीवंत रहती हैं। यादव ने कहा कि पत्र लेखन सोचने की क्षमता और शब्द ज्ञान में भी वृद्धि करते हैं, ऐसे में युवा पीढ़ी और विद्यार्थियों को इसके लिए इन्हें प्रेरित करना और इनके महत्व पर ध्यान आकृष्ट करना और भी जरूरी है।
यह प्रतियोगिता अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित की गई थी। डाक निदेशक ने बताया कि पत्र-लेखन प्रतियोगिता में शामिल सभी कापियां पहले सर्किल स्तर पर पोर्टब्लेयर के लिए कोलकात्ता में जांची जाएंगीं फिर उनमें से सर्वोत्तम का चयन कर राष्ट्रीय स्तर के लिए डाक निदेशालय दिल्ली भेजी जाएंगीं। राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम, दितीय और तृतीय स्तर के लिए क्रमशः 2000, 1500 और 1000 रूपये का नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र दिया जायेगा। प्रत्येक डाक परिमंडल के लिए हर सर्वोत्तम पत्र को 250 रूपये का प्रोत्साहन नकद पुरस्कार और प्रमाण पत्र भी दिया जायेगा। राष्ट्रीय स्तर पर चयनित सर्वोत्कृष्ट तीन पत्रों को यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों हेतु भेजा जायेगा जहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्तर के लिए क्रमशः स्वर्ण, रजत और ताम्र मेडल एवं साथ में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का अधिकारिक डाक टिकटों का एल्बम सम्मान स्वरूप दिया जायेगा।
इस अवसर पर डाक टिकटों का एक काउंटर भी लगाया गया था जहां बच्चों ने रंग-बिरंगे डाक टिकटों का लुत्फ उठाया। बच्चों में डाक टिकटों के प्रति काफी क्रेज दिखा। उन्हें डाक विभाग की फिलेटलिक डिपाजिट खाता स्कीम के बारे में भी बताया गया जिसके अंतर्गत कोई न्यूनतम 200 रूपये में खाता खोलकर हर महीने घर बैठे नई डाक टिकटें और अन्य मदें प्राप्त कर सकता है। फिलेटलिक डिपाजिट खाता खोलने में तमाम बच्चों और उनके अभिवावकों ने रूचि दिखाई और लगभग 50 फिलेटलिक डिपाजिट खाते इस अवसर पर खोले गए। प्रतियोगिता में कुल 28 बच्चों ने भाग लिया। अधिकतर प्रतिभागी कार्मेल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय पोर्टब्लेयर, राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, विवेकानंद विद्यालय पोर्टब्लेयर और संत मेरी विद्यालय पोर्टब्लेयर के विद्यार्थी थे।
यहाँ भी देखें- पत्र जीवंत रखते हैं खुशनुमा अहसास और संवेदनाएँ - के.के. यादव (हिंदी मीडिया.इन)
दुनिया की सैर कराएगा डाक टिकट
ब्रिटेन के डाक विभाग ‘रॉयल मेल’ ने अपनी तरह का एक अनूठा डाक टिकट जारी किया है.अत्याधुनिक तकनीक से लैस ये डाक टिकट फ़ोन के ज़रिए आपको इंटरनेट से जोड़ देगा.डाक टिकट को तस्वीर के रुप में फ़ोन में कैद कर तुरंत संबंधित वेबसाइट तक पहुंचा जा सकता है. यानी डाक टिकट इंटरनेट के ज़रिए सूचनाओं का संसार और दुनिया के दरवाज़े खोलेगा.
‘रॉयल मेल’ का कहना है दुनियाभर में ये अपनी तरह पहला ऐसा डाक टिकट है.‘इमेज रेकॉगनिशन’ नामक तकनीक ने इस नए डाक टिकट को 21वीं सदी का अत्याधुनिक डाक टिकट बना दिया है.स्मार्टफ़ोन के ज़रिए यह तकनीक डाक टिकट पर छपी तस्वीर को ‘थ्री-डी’ तस्वीर की तरह दिखाएगी. इंटरनेट पर इस तस्वीर की खोज के बाद हमें उससे संबंधित सभी जानकारियां और वेबसाइट भी उपलब्ध होंगी.
नई तकनीक से लैस बुद्धिमान किस्म के ये डाक टिकट दुनिया के लिए मनोरंजन और जानकारियों का ख़ज़ाना खोल देंगे.
असल ज़िंदगी की तस्वीरों को इंटरनेट की दुनिया से जोड़ने वाली इस तकनीक का इस्तेमाल पहली बार किसी डाक टिकट पर किया जा रहा है.यह अद्भुत डाक टिकट ‘रॉयल मेल’ की एक खास श्रंखला का हिस्सा है.ब्रिटेन का डाक विभाग खास मौकों और ऐतिहासिक तारीख़ों पर अलग किस्म के डाक टिकट जारी करता है. इन टिकट के ज़रिए देश और संस्कृति के बारे में लोगों को जागरुक किया जाता है.
‘रॉयल मेल’ के प्रतिनिधी फ़िलिप पार्कर ने कहा, ''नई तकनीक से लैस बुद्धिमान किस्म के ये डाक टिकट दुनिया के लिए मनोरंजन और जानकारियों का ख़ज़ाना खोल देंगे. अगले कुछ महीनों में डाक टिकट इक्कठा करने के शौकीन चिठ्ठियों के ज़रिए इन टिकटों को पा सकेंगे.''
साभार : BBC हिंदी
‘रॉयल मेल’ का कहना है दुनियाभर में ये अपनी तरह पहला ऐसा डाक टिकट है.‘इमेज रेकॉगनिशन’ नामक तकनीक ने इस नए डाक टिकट को 21वीं सदी का अत्याधुनिक डाक टिकट बना दिया है.स्मार्टफ़ोन के ज़रिए यह तकनीक डाक टिकट पर छपी तस्वीर को ‘थ्री-डी’ तस्वीर की तरह दिखाएगी. इंटरनेट पर इस तस्वीर की खोज के बाद हमें उससे संबंधित सभी जानकारियां और वेबसाइट भी उपलब्ध होंगी.
नई तकनीक से लैस बुद्धिमान किस्म के ये डाक टिकट दुनिया के लिए मनोरंजन और जानकारियों का ख़ज़ाना खोल देंगे.
असल ज़िंदगी की तस्वीरों को इंटरनेट की दुनिया से जोड़ने वाली इस तकनीक का इस्तेमाल पहली बार किसी डाक टिकट पर किया जा रहा है.यह अद्भुत डाक टिकट ‘रॉयल मेल’ की एक खास श्रंखला का हिस्सा है.ब्रिटेन का डाक विभाग खास मौकों और ऐतिहासिक तारीख़ों पर अलग किस्म के डाक टिकट जारी करता है. इन टिकट के ज़रिए देश और संस्कृति के बारे में लोगों को जागरुक किया जाता है.
‘रॉयल मेल’ के प्रतिनिधी फ़िलिप पार्कर ने कहा, ''नई तकनीक से लैस बुद्धिमान किस्म के ये डाक टिकट दुनिया के लिए मनोरंजन और जानकारियों का ख़ज़ाना खोल देंगे. अगले कुछ महीनों में डाक टिकट इक्कठा करने के शौकीन चिठ्ठियों के ज़रिए इन टिकटों को पा सकेंगे.''
साभार : BBC हिंदी
Saturday, January 1, 2011
पहले ख़त की ख़ुशबू
खतों के प्रति दीवानगी सदियों से रही है. खतों का चलन भले ही कम हुआ हो, पर दीवानगी में कमी नहीं आई है. हसरत मोहानी ने यूँ ही नहीं लिखा था-लिक्खा था अपने हाथों से जो तुमने एक बार / अब तक हमारे पास है वो यादगार खत ।।....अपर्णा त्रिपाठी की इस कविता में वही भाव है, वही संवेदनाएं हैं, वही जज्बा है, वही दीवानगी है... तो आज नए साल के आगाज पर इस ख़ुशबू को महसूस करते हैं...
आज भी तेरा पहला खत
मेरी इतिहास की किताब में हैं
उसका रंग गुलाबी से पीला हो गया
मगर खुशबू अब भी पन्नो में है
उसके हर एक शब्द हमारी
प्रेम कहानी बयां करते है
और तनहाई में मुझे
बीते समय में ले चलते हैं
वो खत मेरी जिन्दगी का
हिस्सा नही ,जिन्दगी है
हर दिन पढने की उसे
बढती जाती तृष्णगी है.
अपर्णा त्रिपाठी "पलाश"
मेरी इतिहास की किताब में हैं
उसका रंग गुलाबी से पीला हो गया
मगर खुशबू अब भी पन्नो में है
उसके हर एक शब्द हमारी
प्रेम कहानी बयां करते है
और तनहाई में मुझे
बीते समय में ले चलते हैं
वो खत मेरी जिन्दगी का
हिस्सा नही ,जिन्दगी है
हर दिन पढने की उसे
बढती जाती तृष्णगी है.
अपर्णा त्रिपाठी "पलाश"