राष्ट्रीय लघु बचत निधि (एनएसएसएफ) की व्यापक समीक्षा के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर श्यामला गोपीनाथ के नेतृत्व में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी को 7 जून 2011 को सौंप दी. समिति ने अपनी रिपोर्ट में निम्नलिखित सिफारिशें की.
• समिति ने सभी लघु बचत योजनाओं, उन पर देय ब्याज, उनकी परिपक्वता अवधि एवं अन्य पहलुओं की जांच की.
• किसान विकास पत्र को रोकने एवं अन्य योजनाओं में से कुछ में उचित संशोधन करके उन्हें जारी रखना.
• मासिक आय योजना एवं राष्ट्रीय बचत प्रमाण-पत्र की परिपक्वता अवधि 6 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष करना.
• 10 वर्ष की एनएससी योजना शुरू करने और डाकघर बचत खाते पर ब्याज दरें 3.5 प्रतिशत से बढ़कर 4 प्रतिशत करना.
• केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों में लघु बचत वसूली के आवश्यक घटक 80 प्रतिशत को घटाकर 50 प्रतिशत करने और आवश्यकतानुसार अन्य राज्यों को दिए गए ऋण की वर्तमान अवधि 25 वर्ष को घटाकर 10 वर्ष करना.
विदित हो कि इस समिति का गठन योजनाओं में पारदर्शिता बाजार से जुड़ी दरें एवं बहुत आवश्यक सुधारों को लाने के उद्देश्य से एनएसएसएफ की रूपरेखा एवं प्रशासन के सभी पहलुओं की जांच के संबंध में 13वें वित्त आयोग की सिफारिशों को सिद्धांत रूप में स्वीकार करने के बाद किया गया था.
समिति का कार्य एनएसएसएफ से केन्द्र एवं राज्यों को दिए गए ऋणों की वर्तमान शर्तों के मूल्यांकन, लघु बचत की कुल वसूली को केन्द्र एवं राज्यों को उधार देने की व्यवस्था में अपेक्षित परिवर्तनों की सिफारिश करना, लघु बचत से प्राप्त कुल राशि के निवेश के अन्य संभावित अवसरों की समीक्षा, राज्यों एवं केन्द्र को दिए एनएसएसएफ ऋणों के पुनर्भुगतान की प्रक्रियाओं और राज्यों द्वारा लघु बचतों के निवेशों पर दिए गए प्रोत्साहनों की समीक्षा करनी थी. समिति के अन्य सदस्य आर श्रीधरन प्रबंध निदेशक भारतीय स्टेट बैंक, शक्तिकांत दास अपर सचिव (बजट) वित्त मंत्रालय, डॉ. राजीव कुमार पूर्व निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर भारतीय अनुसंधान परिषद जो वर्तमान में महानिदेशक फिक्की है, अनिल बिसन आर्थिक सलाहकार (वित्त मंत्रालय) हैं.
Courtesy : Jagran Josh
सराहनीय कदम..इससे काफी बदलाव होगा.
ReplyDeleteसराहनीय कदम..इससे काफी बदलाव होगा.
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