Friday, October 28, 2011

संवाद के साथी : पोस्टकार्ड


(साभार : जनसत्ता, 1 जून, 2011 : अजयेंद्र नाथ त्रिवेदी)

3 comments:

  1. सरलता और पारदर्शिता का दुनिया में कोई दोष नहीं ..
    बहुत बढिया लेख !!

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