सुबह लिखूंगा, शाम लिखूंगा
हर खत तेरे नाम लिखूंगा।
प्यारे न्यारे गंगनांगन को,
मैं अपना पैगाम लिखूंगा।
हवा चलेगी जब इठला कर,
मैं पंक्षी बन इतराऊंगा,
बादरा जब-जब बरसेंगे मैं,
मेघ मल्हारें बन जाऊंगा,
धरती ओढ़े धानी चुनरिया,
जब-जब खुल के लहरायेगी,
उसकी चुनर के पल्लू पर,
मैं तेरा सम्मान लिखूंगा।
हर खत तेरे नाम लिखूंगा।
सुबह लिखूंगा, शाम लिखूंगा।
जीत लिखूंगा, हार लिखूंगा,
प्यारा सा एक गीत लिखूंगा,
अपने इस सूनेपन को मैं,
नित नूतन मधुमास लिखूंगा,
तेरे अधरों की कोमलता,
देगी एक एहसास नया,
तेरे इस आलिंगन को मैं,
खुशियों की शाम लिखूंगा।
हर खत तेरे नाम लिखूंगा।
सुबह लिखूंगा, शाम लिखूंगा।
प्रीत लिखूंगा, मीत लिखूंगा
और ऐसा संगीत लिखूंगा,
जिसकी धुन पर तुम थिरकोगी,
महकोगी तुम चंदन जैसे,
तेर पायल की छनछन पर,
नदी बहेगी बहके-बहके,
तेरी प्रेम कल्पना को मैं,
अपना विश्वास लिखूंगा।
हर खत तेरे नाम लिखूंगा।
सुबह लिखूंगा, शाम लिखूंगा।
सुबह लिखूंगा, शाम लिखूंगा
हर खत तेरे नाम लिखूंगा।
प्यारे न्यारे गंगनांगन को,
मैं अपना पैगाम लिखूंगा।
-आदित्य शुक्ल : अपनी बात
वाह...बेजोड़ रचना...बधाई स्वीकारें.
ReplyDeleteनीरज
ख़त के उस हर अहसास को लिख दिया ........जो कभी पढ़ा करते थे ....बहुत खूब ...आभार
ReplyDeleteKitti pyari rachna hai..badhai.
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना।
ReplyDeletebehtareen rachna kk sahab dino baad mili badhai
ReplyDeleteवाह बहुत ही सुंदर रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर!!
ReplyDeleteखूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
ReplyDelete...so romantic yar.
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