Tuesday, May 8, 2012

प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है


(पत्र-लेखन की विधा काफी प्राचीन है. जब दिल की बात होठों पर न आ सके तो फिर पत्र ही सहारा रह जाता है. संचार के क्षेत्र में नित नई तकनीकें आ रही हैं, पर चिठ्ठियों के साथ ही संवाद के कोमल पक्ष भी चले गये हैं। ऐसे में लोगों के मन की थाह भी लगाना मुश्किल हो गया है. ऐसे में कनु जी के ब्लॉग 'परवाज़' पर लिखी पोस्ट 'प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है; बड़ी कोमलत के साथ मन की गहराइयों में पैठ कर जाता है. आप भी इन भावनाओं को महसूस करें-

फ़ोन की लम्बी लम्बी बातें कभी वो सुकून नहीं दे सकती जो चिट्ठी के चंद शब्द देते हैं .तुम्हे कभी लिखने का शौक नहीं था और पढने का भी नहीं तो मेरी न जाने कितनी चिट्ठियां मन की मन में रह गई न उन्हें कागज़ मिले न स्याही .तुम्हारे छोटे छोटे मेसेज भी मैं कितनी बार पढ़ती थी तुमने सोचा भी न होगा ,ये लिखते टाइम तुमने ये सोचा होगा ,ये गाना अपने मन में गुनगुनाया होगा शायद परिचित सी मुस्कराहट तुम्हारे होठों पर होगी जब वो सब यादें आती है तो बड़ा सुकून सा मिलता है ..और एक ही कसक रह जाती है काश तुमने कुछ चिट्ठियां भी लिखी होती मुझे तो ये सूरज जो कभी कभी अकेले डूब जाता है,ये चाँद जो रात में हमें मुस्कुराते न देखकर उदास हो जाता है तुम्हारे पास होने पर भी जब तुम्हारी यादें आ कर मेरे सरहाने बेठ जाती हैं इन सबको आसरा मिल जाता ..ये अकेलापन भी इतना अकेला न महसूस करता ....अब तो सोचती हु तुमने न लिखी तो में कुछ चिट्ठियां लिख लू पर जिस तरह तुम खो रहे हो दुनिया की भीड़ में अब तो तुम्हारे दिल का सही सही पता भी खोने लगा है बड़ा डर सा लगता है की मेरी ये चिट्ठियां तुम तक पहुंचेगी भी या नहीं ? तुम तक पहुँच भी गई गई तो जानती हु तुम पढोगे नहीं .....पर फिर भी मेरी विरासत रहेगी किसी प्यार करने वाले के लिए ..

क्या कहते हो ? लिखू या रहने दू।

तुम्हे चिट्ठियां लिखने की तमन्ना होती है कई बार
पर तुम्हारे दिल की तरह तुम्हारे घर का पता भी
पिछली राहों पर छोड़ दिया कहीं भटकता सा
अब बस कुछ छोटी छोटी यादों की चिड़िया हैं
जो अकेले में कंधे पर आ बैठती है
उनके साथ तुम्हारा नाम आ जाता है होठों पर
और कुछ देर उन चिड़ियों के साथ खेलकर
तुम्हारा नाम भी फुर्र हो जाता है
अगली बार फिर मिलने का वादा करके......
पर सब जानते है कुछ चिट्ठियां कभी लिखी नहीं जाती
कुछ नाम कभी ढले नहीं जाते शब्दों में
कुछ लोग बस याद बनने के लिए ही आते है जिंदगी में
और कुछ वादें अधूरे ही रहे तो अच्छा है.....

आज ये ग़ज़ल सुबह से गुनगुना रही हू....प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है !!

4 comments:

  1. kavita bahut hi acchi lagi ...
    waise ab sab sms ketre hai ha ek baat aur

    jis pyar me ijhaar kiya jata hai waha pyar hi nhi hota

    bahut hi badiya likhte ho aap

    अच्छा लिखते है ,आप के ब्लॉग को follow कर रहा हूँ
    http://blondmedia.blogspot.in/

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  2. ...दिल की बात कही. वक़्त तो लगता ही है..खूबसूरत रचना..बधाई.

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