डाक विभाग द्वारा दो दिवसीय ’’इलाहाबाद डाक टिकट प्रदर्शनी’’ इलाफिलेक्स-2013 का उद्घाटन 13 जनवरी 2013 को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के महात्मा गाँधी कला वीथिका में किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन द्वीप प्रज्वलित कर और फीता काटकर, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति पंकज मिथल द्वारा पद्मश्री शम्शुर्रह्मान फारूकी, निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव और पोस्टमास्टर जनरल ए. के. गुप्ता के संग किया गया।
इस प्रदर्शनी में शहर के फिलेटलिस्टों द्वारा तमाम डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगायी गयी। कुल 59 फ्रेमों में हजारों की संख्या में डाक-टिकट प्रदर्शित किए गये। इनमें इलाहाबाद से संबंधित विषयों पर जारी डाक-टिकट, डाक-टिकटों के माध्यम से सिनेमा के 100 वर्ष, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, रविंद्रनाथ टैगोर, नेहरु परिवार पर जारी डाक टिकट, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर जारी डाक टिकट, मस्जिदों पर जारी डाक-टिकट से लेकर से लेकर जैव विविधता, रोटरी, अग्निशमन, रेड क्रास और एड्स, मलेरिया इत्यादि के विरूद्ध जागरूक करते तमाम रंग-बिरंगे डाक-टिकट प्रदर्शित किये गये। इनमें सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों द्वारा जारी दुर्लभ डाक-टिकट व डाक-स्टेशनरी भी शामिल थे। प्रदर्शनी में वरिष्ठ फिलेटलिस्टों के अलावा तमाम बच्चों ने भी अपने डाक-टिकटों का प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि इलाहाबाद में 5 वर्ष बाद इस तरह की प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इससे पूर्व वर्ष 2007 में डाक टिकट प्रदर्शनी आयोजित हुयी थी।
प्रदर्शनी के उद्घाटन पश्चात् आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति पंकज मिथल ने अपने डाक-टिकट संग्रह के शौक के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि हर डाक टिकट की अपनी एक कहानी है और इस कहानी को वर्तमान पीढ़ी के साथ जोड़ने की जरुरत है। उन्होंने डाक टिकटों को संवेदना का संवाहक बताया, जो पत्र के माध्यम से भावनाओं को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाते हैं। न्यायमूर्ति मिथल ने इस प्रकार की प्रदर्शनियों को हर साल करने पर जोर दिया, ताकि अभिरुचि के रूप में फिलेटली का विकास हो सके। पद्मश्री शम्शुर्रह्मान फारूकी ने कहा कि इन प्रदर्शनियों के द्वारा जहाँ अनेकों समृद्ध संस्कृतियों वाले भारत राष्ट्र की गौरवशाली परम्परा को डाक टिकटों के द्वारा चित्रित करके विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक सन्देशों को प्रसारित किया जाता है, वहीं दूसरी तरफ यह विभिन्न लोगों के मध्य सद्भावना एवम् मित्रता में उत्साहजनक वृद्धि का परिचायक है। पोस्टमास्टर जनरल ए. के. गुप्ता ने कहा कि डाक टिकटों के द्वारा ज्ञान भी अर्जित किया जा सकता है। यह हमारी शिक्षा प्रणाली को और भी मजबूत बना सकते हैं।
इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवायें कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि सामान्यतः डाक टिकट एक छोटा सा कागज का टुकड़ा दिखता है, पर इसका महत्व और कीमत दोनों ही इससे काफी ज्यादा है । डाक टिकट वास्तव में एक नन्हा राजदूत है, जो विभिन्न देशों का भ्रमण करता है एवम् उन्हें अपनी सभ्यता, संस्कृति और विरासत से अवगत कराता है। यह किसी भी राष्ट्र के लोगों, उनकी आस्था व दर्शन, ऐतिहासिकता, संस्कृति, विरासत एवं उनकी आकांक्षाओं व आशाओं का प्रतीक है। यह मन को मोह लेने वाली जीवन शक्ति से भरपूर है। निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने डाक-टिकटों के संग्रह की दिलचस्प कहानी के बारे में बताया कि उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में यूरोप में एक अंग्रेज महिला को अपने श्रृंगार-कक्ष की दीवारों को डाक टिकटों से सजाने की सूझी और इस हेतु उसने सोलह हजार डाक-टिकट परिचितों से एकत्र किए और शेष हेतु सन् 1841 में ‘टाइम्स आफ लंदन’ समाचार पत्र में विज्ञापन देकर पाठकों से इस्तेमाल किए जा चुके डाक टिकटों को भेजने की प्रार्थना की। इसके बाद धीमे-धीमे पूरे विश्व में डाक-टिकटों का संग्रह एक शौक के रूप में परवान चढ़ता गया।
इस अवसर पर डाक विभाग की बहुप्रतीक्षित माई स्टैम्प सेवा का भी शुभांरभ किया गया। न्यायमूर्ति पंकज मिथल सहित तमाम लोगों ने इसके तहत अपनी फोटो डाक टिकटों पर अंकित करायी। युवाओं में इसके तहत काफी उत्साह देखा गया। निदेशक डाक सेवायें कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि इसकी लोकप्रियता के चलते माई स्टैम्प सेवा को कुंभ में भी कुछेक दिनों के लिए आरंभ किया जायेगा। इस अवसर पर बच्चों हेतु फिलेटलिक वर्कशाप व डिजाइन ए स्टैम्प प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। बच्चों ने जहाँ डाक टिकट प्रदर्शनी का आनंद लिया, वहीं फिलेटलिक डिपाजिट एकाउण्ट भी खोले गये।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत प्रवर डाक अधीक्षक रहमतुल्लाह एवं आभार ज्ञापन सहायक निदेशक आर एन यादव ने किया। कार्यक्रम का संचालन राजेश वर्मा ने किया। इस अवसर पर प्रवर रेलवे डाक अधीक्षक श्री ए पी तिवारी, सीनियर पोस्टमास्टर टी बी सिंह, सहायक निदेशक मधुसूदन प्रसाद मिश्र, सहायक अधीक्षक आर एन यादव, पी सी तिवारी, विनय यादव सहित तमाम डाक विभाग के अधिकारी, फिलेटिलिस्ट इत्यादि उपस्थित थे।
Wow..Very Nice.
ReplyDeleteकृष्ण जी, आप विभागीय और साहित्यिक दोनों तरह की गतिविधियों में निरंतर तल्लीन रहते हैं। आपकी सक्रियता प्रभावित करती हैं। सुन्दर और सफल प्रदर्शनी के लिए बधाई।
ReplyDeleteयुवा पीढ़ी को डाक-टिकटों से जोड़ने की जरुरत है।
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