आज 'विश्व गौरैया दिवस' है। बचपन में जिस गौरैया की फुदक-फुदक के साथ हम बड़े हुए, वह कहीं खो गई है। गौरैया को बचाने के लिए भारत की 'नेचर्स फोरएवर सोसायटी ऑफ इंडिया' और 'इको सिस एक्शन फाउंडेशन फ्रांस' के साथ ही अन्य तमाम अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने मिलकर 20 मार्च को 'विश्व गौरैया दिवस' मनाने की घोषणा की और वर्ष 2010 में पहली बार 'विश्व गौरैया दिवस' मनाया गया। इस दिन को गौरैया के अस्तित्व और उसके सम्मान में रेड लेटर डे (अति महत्वपूर्ण दिन) भी कहा गया। इसी क्रम में भारतीय डाक विभाग ने 9 जुलाई 2010 को गौरैया पर डाक टिकट भी जारी किए।
पाँच रूपये मूल्य वर्ग में जारी इस डाक टिकट में एक नर व मादा गौरैया को एक मिट्टी के घड़े पर बैठे हुए दर्शाया गया है, एक डाक टिकट की कीमत पाँच रुपये हैं। जो पूरे भारत में आप के पत्र को पहुंचाने में सक्षंम है। पक्षी प्रेमियों के लिए भी यह एक सुखद अनुभव होगा जब वह गौरैया डाक टिकट लगे पत्रों को प्राप्त करेंगे या किसी को भेजेंगे।
इसलिए इस बार जब आप किसी को पत्र लिखे तो गौरैया वाले डाक टिकट लगाना मत भूलिएगा, और यह भी जरूर लिखिएगा कि नन्ही गौरैया फिर से आपके घर लौटना चाहती है। बस जरुरत है उसके आपके घर के आंगन, एक अदद घोसले; कुछेक दानों, कीड़ों और आपके सहयोग व स्नेह की !!
गौरैया ! तुम कभी दूर न जाना
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