Tuesday, November 18, 2014

डाकघरों में 'किसान विकास पत्र' फिर से शुरू, 100 महीने में होगा धन दुगुना

छोटे निवेशकों के बीच कभी बेहद लोकप्रिय रहा किसान विकास पत्र (केवीपी) एक बार फिर से डाकघरों में मिलेगा। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज 18 नवम्बर, 2014 को  को इसे जारी किया। करीब तीन साल बाद 'किसान विकास पत्र' यानी केवीपी को नए कलेवर में मंगलवार को फिर से लॉन्च किया गया। इसमें कम से कम एक हजार रुपए निवेश करना होगा। फिर एक हजार के गुणक में जितना चाहें, उतना निवेश कर सकते हैं। नए रूप में किसान विकास पत्र 1,000, 5,000, 10,000 और 50,000 रुपये के मूल्य वर्ग में उपलब्ध होगा। इसे अकेले या संयुक्त नाम से खरीदा जा सकेगा। किसान विकास पत्र में ढाई साल का लॉक इन पीरियड रखा गया है, जबकि यह 100 महीने (आठ साल चार महीने) में परिपक्व (मेच्योर) होगा। परिपक्वता पर निवेशकों को दोगुनी रकम मिलेगी।

अनगिनत बार ट्रांसफर की सुविधा

इसके सर्टिफिकेट सिंगल या ज्वाइंट नामों से जारी किए जाएंगे। ये सर्टिफिकेट एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को अनगिनत बार ट्रांसफर किए जा सकेंगे। इसके अलावा, एक पोस्ट ऑफिस से देश में कहीं भी ट्रांसफर करने की सुविधा भी उपलब्ध होगी। इसके अलावा, इसके साथ नॉमिनेशन का विकल्प भी होगा। किसान विकास पत्र को गिरवी रख कर बैंकों से कर्ज भी लिया जा सकेगा।

ढाई साल बाद कैश कराने की सुविधा
                 
इस बार निवेशकों को 1000, 5000, 10000 और 50000 रुपए के किसान विकास पत्र उपलब्ध होंगे। किसान विकास पत्र में निवेश की कोई ऊपरी सीमा नहीं होगी। इस बार लॉन्च किसान विकास पत्र की खासियत यह होगी कि अगर निवेशक चाहे तो इसे दो साल और छह महीने के लॉक इन पीरियड के बाद भुना सकेगा। इसके बाद इसे हर छह महीने की अवधि के बाद पूर्व निश्चित मैच्योरिटी वैल्यू पर भुनाया जा सकेगा। 

पोस्ट ऑफिस में होंगे उपलब्ध

शुरुआत में किसान विकास पत्र बिक्री के लिए पोस्ट ऑफिसों में उपलब्ध होंगे, लेकिन जल्दी ही इन्हें सरकारी बैंकों की चुनिंदा शाखाओं के जरिए भी लोगों को उपलब्ध कराया जाएगा।

विकास हेतु होगा इस्तेमाल 

वित्त मंत्रालय ने कहा कि केवीपी न सिर्फ छोटे निवेशकों के लिए निवेश का सुरक्षित विकल्प होगा, बल्कि इसके जरिये देश में बचत दर बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। वित्त मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि केवीपी से छोटे निवेशक धोखाधड़ी वाली योजनाओं से भी बच सकेंगे। इस योजना के तहत जुटाई गई राशि सरकार के पास रहेगी जिसका इस्तेमाल केंद्र और राज्यों की विकास योजनाओं में किया जाएगा।


साल 1988 में पहली बार हुआ था लॉन्च

किसान विकास पत्र को पहली बार एक अप्रैल 1988 को लॉन्च किया गया था। उस समय इसका मैच्योरिटी पीरियड साढ़े पांच साल था, यानी इतनी अवधि में इसमें लगाए गए पैसे दोगुने हो जाते थे। बाद में जब ब्याज दरें घटीं, तो मैच्योरिटी पीरियड बढ़ने लगा। साल 2011 में जब इसे बंद किया गया, तो इसका मैच्योरिटी पीरियड सात साल 11 महीने था।

बजट में हुई थी घोषणा

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जुलाई में पेश बजट में इसे फिर से लॉन्च किए जाने की घोषणा की थी। श्यामला गोपीनाथ की रिपोर्ट सामने आने के बाद दिसंबर 2011 में इस पर रोक लगा दी गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि इस स्कीम का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जा रहा था।

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