Sunday, December 7, 2014

ई-कॉमर्स सेवाओं में अपना योगदान बढ़ाने के लिए डाक विभाग ने उठाये कदम

भारतीय डाक विभाग देश में तेजी से बढ़ रही ई-कॉमर्स सेवाओं में अपना योगदान बढ़ाने के लिए खुद को नए कलेवर में ढाल रहा है। इन सेवाओं के लिए वह डेटा केंद्र स्थापित कर रहा है, डाकियों को जरूरी उपकरण दिए जा रहे हैं और डिलीवरी पर नकदी मिलने जैसी सुविधाओं के लिए सॉफ्टवेयर लागू कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक आधुनिकीकरण परियोजना पर एक अंतर मंत्रालई संचालन समिति द्वारा नजर रखी जा रही है। इस समिति में वित्त मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अधिकारी एवं अन्य भागीदार शामिल हैं। इसमें कोई शक नहीं कि  कि डाक और पार्सल गंतव्य तक पहुंचाने में विशाल नेटवर्क रखने वाला भारतीय डाक देशभर में डिलीवरी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सर्वोत्तम एजेंसी है।

पिछले दिनों दूरसंचार एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भारतीय डाक को एक ऐसा ढांचा तैयार करने को कहा  है जिससे स्थानीय कारीगरों को भी अपने उत्पादों की ऑनलाइन बिक्री करने का अवसर मिले।  उन्होंने कहा कि 'मैंने भारतीय डाक से ऐसा ढांचा तैयार करने को कहा है जिसमें काशी के कारीगरों के अलावा मेरठ के हथकरघा व तिरूपुर के कारीगर डाक विभाग की पहुंच का फायदा उठा सकें और ई-कॉमर्स क्षेत्र में एक बड़ा ब्रांड बन सकें।' प्रसाद ने कहा कि सरकार की नीति संतुलित विकास की होनी चाहिए। ऐसा ढांचा लाने की जरूरत है जो एकतरफा न होकर भागीदारी वाला हो।

गौरतलब है कि  भारतीय डाक का डाक नेटवर्क दुनिया में सबसे बड़ा है। देश में भारतीय डाक के करीब 1.55 लाख डाक घर हैं। सूत्रों ने कहा कि इस परियोजना के तहत ई-कॉमर्स फर्मों को वेब आधारित एकीकरण प्रणाली और निगरानी सेवा उपलब्ध कराने की भी संभावना तलाशी जा रही है। भारतीय डाक करीब 15,000 डाकियों को हाथ में लेकर चलने वाले उपकरण एवं डाक कार्यालयों में अन्य हार्डवेयर उपलब्ध कराएगी जिनकी खरीद दिसंबर 2015 तक पूरी होने की संभावना है। इन उपकरणों से ग्रामीण इलाके इलेक्ट्रॉनिक संपर्क से जुड़ जाएंगे।

इस बीच  ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ भागीदारी करने के बाद से विभाग के कारोबार में कई गुना का इजाफा हुआ है। डाक विभाग द्वारा साझा किए गए उद्योग के अनुमान के अनुसार देश में ई-कॉमर्स कारोबार 2012 में 6 अरब डालर था जिसके 2021 तक 76 अरब डॉलर पर पहुंच जाने की उम्मीद है। 


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