Wednesday, February 18, 2015

इलाहाबाद में आरम्भ हुई थी 18 फरवरी 1911 को दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा

डाक सेवाओं ने पूरी दुनिया एक लम्बा सफर तय किया है। डाक सेवाओं के क्षेत्र में इलाहाबाद का स्थान प्रमुख है। इलाहाबाद को यह सौभाग्य प्राप्त है कि दुनिया की पहली हवाई डाक सेवा यहीं से आरम्भ हुई। इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवायें कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि यह ऐतिहासिक घटना  104 वर्ष पूर्व 18 फरवरी 1911 को इलाहाबाद में हुई। संयोग से उस साल कुंभ का मेला भी लगा था। उस दिन दिन  फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट ने एक नया इतिहास रचा था। वे अपने विमान में इलाहाबाद से नैनी के लिए 6500 पत्रों को अपने साथ लेकर उडे। विमान था हैवीलैंड एयरक्राफ्ट और इसने दुनिया की पहली सरकारी डाक ढोने का एक नया दौर शुरू किया। 

डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव के अनुसार इलाहाबाद में उस दिन डाक की उड़ान देखने के लिए लगभग एक लाख लोग इकट्ठे हुए थे जब एक विशेष विमान ने शाम को साढ़े पांच बजे यमुना नदी के किनारों से उड़ान भरी और वह नदी को पार करता हुआ 15 किलोमीटर का सफर तय कर नैनी जंक्शन के नजदीक उतरा जो इलाहाबाद के बाहरी इलाके में सेंट्रल जेल के नजदीक था। आयोजन स्थल एक कृषि एवं व्यापार मेला था जो नदी के किनारे लगा था और उसका नाम ‘यूपी एक्जीबिशन’ था। इस प्रदर्शनी में दो उड़ान मशीनों का प्रदर्शन किया गया था। विमान का आयात कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने किया था। इसके कलपुर्जे अलग अलग थे जिन्हें आम लोगों की मौजूदगी में प्रदर्शनी स्थल पर जोड़ा गया। इलाहाबाद से नैनी जंक्शन तक का हवाई सफ़र आज से 104  साल पहले मात्र  13 मिनट में पूरा हुआ था।

निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि हालांकि यह उडान महज छह मील की थी, पर इस घटना को लेकर इलाहाबाद में ऐतिहासिक उत्सव सा वातावरण था। ब्रिटिश एवं कालोनियल एयरोप्लेन कंपनी ने जनवरी 1911 में प्रदर्शन के लिए अपना एक विमान भारत भेजा थाए जो संयोग से तब इलाहाबाद आया जब कुम्भ का मेला भी चल रहा था। वह ऐसा दौर था जब जहाज देखना तो दूर लोगों ने उसके बारे में ठीक से सुना भी बहुत कम था। ऐसे में इस ऐतिहासिक मौके पर अपार भीड होना स्वाभाविक ही था। इस यात्रा में हेनरी ने इतिहास तो रचा ही पहली बार आसमान से दुनिया के सबसे बडे प्रयाग कुंभ का दर्शन भी किया। 

 निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव के अनुसार कर्नल वाई विंधाम ने पहली बार हवाई मार्ग से कुछ मेल बैग भेजने के लिए डाक अधिकारियों से संपर्क किया जिस पर उस समय के डाक प्रमुख ने अपनी सहर्ष स्वीकृति दे दी। मेल बैग पर ‘पहली हवाई डाक’ और ‘उत्तर प्रदेश प्रदर्शनी, इलाहाबाद’ लिखा था। इस पर एक विमान का भी चित्र प्रकाशित किया गया था। इस पर पारंपरिक काली स्याही की जगह मैजेंटा स्याही का उपयोग किया गया था। आयोजक इसके वजन को लेकर बहुत चिंतित थे, जो आसानी से विमान में ले जाया जा सके। प्रत्येक पत्र के वजन को लेकर भी प्रतिबंध लगाया गया था और सावधानीपूर्वक की गई गणना के बाद सिर्फ 6,500 पत्रों को ले जाने की अनुमति दी गई थी। विमान को अपने गंतव्य तक पहुंचने में 13 मिनट का समय लगा।

भारतीय डाक पर एक पुस्तक लिख चुके श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया  कि इस पहली हवाई डाक सेवा का विशेष शुल्क छह आना रखा था और इससे होने वाली आय को आक्सफोर्ड एंड कैंब्रिज हास्टल इलाहाबाद को दान में दिया गया। इस सेवा के लिए पहले से पत्रों के लिए खास व्यवस्था बनाई गई थी। 18 फरवरी को दोपहर तक इसके लिए पत्रों की बुकिंग की गई। पत्रों की बुकिंग के लिए आक्सफोर्ड कैंब्रिज हॉस्टल में ऐसी भीड लगी थी कि उसकी हालत मिनी जीपीओ सरीखी हो गई थी। डाक विभाग ने यहां तीन चार कर्मचारी भी तैनात किए थे। चंद रोज में होस्टल में हवाई सेवा के लिए 3000 पत्र पहुंच गए। एक पत्र में तो 25 रूपये का टिकट लगा था। पत्र भेजने वालों में इलाहाबाद की कई नामी गिरामी हस्तियां तो थी हीं, राजा महाराजे और राजकुमार भी थे।









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World's 1st Air Mail started during Maha Kumbh in 1911 (Courtesy : Times of India)


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