Monday, December 7, 2015

जोधापेक्स-2015 में दिखी डाक टिकटों की समृद्ध परम्परा, 15 से ज्यादा देशों के डाक टिकट हुए प्रदर्शित


डाक विभाग द्वारा दो दिवसीय जोधपुर डाक टिकट प्रदर्शनी ‘जोधापेक्स-2015’ का शुभारम्भ 7 दिसंबर 2015 को सोहन लाल मनिहार बालिका सीनियर सेकेण्डरी विद्यालय, सिवांची गेट, जोधपुर के सभागार में किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन फीता काटकर और द्वीप प्रज्वलित कर राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर की पोस्टमास्टर जनरल  शिउली बर्मन और निदेशक डाक सेवाएँ  कृष्ण कुमार यादव द्वारा किया गया। इस अवसर पर राजस्थान के राजकीय वृक्ष 'खेजड़ी' पर एक विशेष आवरण और विरूपण भी जारी किया गया। 


इस अवसर पर राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर की पोस्टमास्टर जनरल शिउली बर्मन  ने  कहा कि डाक टिकट संग्रह के शौक को आज के दौर में देश के युवा वर्ग एवं बच्चों तक ले जाने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने उपस्थित सभी लोगों से इस कार्य में सक्रिय सहभागिता का भी आह्वान किया। माई स्टैम्प सेवा के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने इससे लोगों को जोड़ने की अपील की। 


 अपने  अध्यक्षीय  सम्बोधन में राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के  निदेशक डाक सेवाएँ  कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हर डाक टिकट के पीछे एक कहानी छुपी हुई है और इस कहानी से आज की युवा पीढ़ी को जोड़ने की जरूरत है क्योंकि डाक टिकट उन्हें अपनी सभ्यता, संस्कृति, विरासत, पर्यावरण, महापुरुषों  और तमाम राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों से अवगत कराता है। उन्होंने कहा कि फिलेटली को 'शौकों का राजा' और 'राजाओं  का शौक' कहा जाता है। आज भी दुनिया में डाक टिकटों का सबसे बड़ा संग्रह ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के पास है। डाक टिकटों का जनक भी ब्रिटेन के रोलैण्ड हिल को कहा जाता है, जिनके सुझाव पर 6 मई 1840 को विश्व का प्रथम डाक टिकट ‘पेनी ब्लैक’ ब्रिटेन द्वारा जारी किया गया। 

 डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने डाक टिकटों के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि भारत का पहला डाक टिकट 1 जुलाई, 1852 को जारी आधा आने का ‘सिंदे डाक’ था, जिसकी कीमत अब लाल, नीले और सफेद रंग में क्रमश : 35 लाख, 10 लाख और 4 लाख रूपये आंकी जाती है। डाक टिकट एक छोटा सा कागज का टुकड़ा भले ही दिखता है, पर इसका महत्व और कीमत दोनों ही इससे काफी ज्यादा है। निदेशक श्री यादव ने दुनिया के सबसे महँगे डाक टिकट का जिक्र करते हुए बताया कि विश्व का सबसे मँहगा और दुर्लभतम  डाक-टिकट ब्रिटिश गुयाना द्वारा  सन् 1856 में जारी किया गया एक सेण्ट का डाक-टिकट है। कभी एक बच्चे को रद्दी में मिला यह डाक टिकट 18 जून 2014 को रिकॉर्ड 9.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर में बिका। श्री यादव ने कहा कि डाक टिकट और पत्र कभी भी पुराने नहीं होते, बल्कि उनकी कीमत दिनों-ब-दिन बढ़ती जाती है। यही कारण है कि ई-मेल और सोशल मीडिया के इस दौर में भी आज हाथों से लिखे पत्रों और डाक टिकटों की लाखों-करोड़ों में नीलामी होती है। 

     राजस्थान के राजकीय वृक्ष ''खेजड़ी'' पर विशेष आवरण और विरूपण जारी  करने  के उद्देश्य को रेखांकित  करते  हुए डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि यह सिर्फ एक वृक्ष ही नहीं है, बल्कि इसके पीछे बलिदान और आत्मोत्सर्ग का भाव भी छुपा हुआ है। आज पूरे विश्व में जिस तरह से पर्यावरण को लेकर चिंता जताई जा रही है, ऐसे में खेजड़ली गाँव में खेजड़ी वृक्ष को लेकर जिस तरह से सन 1730 में स्थानीय लोगों ने आंदोलन किया और हुकूमत को भी झुकने को मजबूर कर दिया, वह आने वाली अनेक शताब्दियों तक पूरी दुनिया में प्रकृति प्रेमियों में नयी प्रेरणा और उत्साह का संचार करता रहेगा। 5 रूपये में जारी इस विशेष आवरण (लिफाफा) को देश के तमाम फिलेटलिक ब्यूरो में उपलब्ध कराया जायेगा। 

         प्रदर्शनी में शहर के फिलेटलिस्टों द्वारा कुल 40 फ्रेमों में देश-विदेश के हजारों  डाक टिकटों की प्रदर्शनी लगायी गयी। पंद्रह से ज्यादा देशों के डाक  टिकटों के अलावा,  1947 में जारी स्वतंत्र भारत के पहले डाक टिकट तिरंगा, राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, सैन्य सेवाओं, समुद्री जीवन, बालिका-सशक्तिकरण, जोधपुर और राजस्थान से संबंधित विषयों पर जारी डाक-टिकट से लेकर अन्तरिक्ष, पर्यावरण और जैव विविधता के प्रति जागरूक करते तमाम रंग-बिरंगे डाक-टिकट व डाक-स्टेशनरी  प्रदर्शित किये गये। प्रदर्शनी में वरिष्ठ फिलेटलिस्टों के अलावा तमाम बच्चों ने भी अपने डाक-टिकटों का प्रदर्शन किया। गौरतलब है कि जोधपुर  में 3  वर्ष बाद इस तरह की प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है। इससे पूर्व वर्ष 2012  में डाक टिकट प्रदर्शनी आयोजित हुयी थी। 

   डाक विभाग की ''माई स्टैम्प'' सेवा के प्रति प्रदर्शनी के दौरान लोगों में काफी उत्साह देखा गया। हर कोई मात्र 300 रूपये में अपनी और अपने प्रियजनों की फोटो डाक टिकट पर देखने को लालायित था। बच्चों हेतु ’पत्र लेखन’ व ’डिजाइन ए स्टैम्प’ प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। बच्चों ने जहाँ डाक टिकट प्रदर्शनी का आनंद लिया, वहीं फिलेटलिक डिपाजिट एकाउण्ट भी खोले, जिससे उन्हें घर बैठे रंग-बिरंगी नई डाक टिकटें प्राप्त हो सकेंगी। 

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत जोधपुर मंडल के प्रवर डाक अधीक्षक पी. आर. कड़ेला, आभार ज्ञापन प्रधानाचार्य विद्यार्थी कल्ला  और संचालन सहायक अधीक्षक विनय खत्री द्वारा किया गया। इस अवसर पर महेश शिक्षण संस्थान के सचिव हरिगोपाल राठी, मारवाड फिलेटलिक एसोसिएशन के अध्यक्ष जगत किशोर परिहार, ज्यूरी सदस्य  राजेश पहाड़िया और आर.के. भूतड़ा, सीनियर पोस्टमास्टर एच.आर. राठौड़, डाक उपाधीक्षक जय सिंह,  रश्मि काबरा, उदय शेजु, तरुण शर्मा, राजेंद्र भाटी, सुदर्शन सामरिया  सहित डाक विभाग के तमाम अधिकारी-कर्मचारी, फिलेटिलिस्ट एवं विभिन्न स्कूलों से आये बच्चे व उनके अभिभावक व अध्यापक इत्यादि उपस्थित रहे।  


























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