Saturday, November 10, 2018

रिटायर्ड पोस्टमास्टर फैजुल हसन कादरी ने पत्नी की याद में बनाया ताजमहल, अब उसी में हुए दफ़न

डाक विभाग का प्रेम से बहुत करीबी सम्बन्ध है। चिट्ठी-पत्री के दौर में न जाने कितनों की प्यार की दास्ताँ, डाक बाबू  के हाथ से ही होकर गुजरती थी। कई बार तो डाक बाबू बाबू ही इन पत्रों को पढ़कर सुनाया भी करते थे और कई बार तो दिल की दास्ताँ को पन्नों पर भी उतारा करते थे। पर इस बार जिस डाक बाबू  का जिक्र कर रहे हैं, वह बेहद अलग था।  उसने तो अपने प्यार को पन्नों की बजाय ताजमहल के रूप में खड़ा कर दिया। 
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के कसेर कलां गांव निवासी रिटायर्ड पोस्टमास्टर  फैजुल हसन कादरी (82) ने अपनी पत्नी की याद में एक ताजमहल खड़ा कर दिया। यह  ताजमहल असली ताजमहल से काफ़ी छोटा है,  यह किसी नदी के किनारे भी नहीं है, न इसमें पच्चीकारी का काम है और न ये कीमती पत्थरों से सजाया गया है। बस जज़्बा वही है जो शाहजहाँ का था। अपनी बेगम से बेपनाह मोहब्बत।  
इस मिनी ताजमहल के भीतर फैजुल हसन कादरी की बेगम तजम्मुली की कब्र है। फैजुल हसन ने तजम्मुली के इंतकाल के वक्त ही परिजनों से कह दिया था कि उन्हें भी बेगम की कब्र के निकट ही दफनाया जाए। उन्होंने उसी समय अपनी कब्र भी बनवा ली थी। फैजुल की यह इच्छा थी कि उनकी मौत के बाद उन्हें भी वहीं उनकी 'बेगम' तज्जमुली के बगल में ही दफनाया जाए। मोटरसाइकल से टक्कर लगने के बाद 9 नवंबर, 2018 की सुबह अलीगढ़ के एक अस्पताल में फैजुल हसन कादरी  की मौत हो गई। इस हादसे में मौत के बाद 'गरीबों के शाहजहाँ' और 'आधुनिक दौर के शाहजहाँ' नाम से प्रसिद्ध  फैजुल हसन कादरी के शव को ताजमहलनुमा इमारत के निचले हिस्से में बनीं उनकी बेगम की कब्र के करीब दफनाया गया।  
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में स्थित यह  ताजमहल शाहजहां के आगरा वाले ताज जितना खूबसूरत बेशक न हो, लेकिन इसे बनवाने की वजह उतनी ही खूबसूरत है। यहां के रिटायर्ड पोस्टमास्टर फैजुल हसन कादरी (82) ने अपनी पत्नी की याद में अपना सबकुछ लगाकर इसे बनवाया था। हालांकि पैसों की कमी के चलते इसका काम पूरा नहीं हो सका। मोहब्बत के नाम पर ताजमहल जैसी इमारत बनाने वाले फैजुल की पत्नी पहले ही इसमें दफन हैं। 

वस्तुत: इस ताजमहल के पीछे भी एक कहानी है।  दिसंबर 2011 में फैजुल हसन कादरी की पत्नी तज्जमुली बेगम का निधन हुआ था। तब मौत से पहले तज्जमुली बेगम ने यह ख्वाहिश जताई थी कि चूंकि उनके कोई औलाद नहीं है इसलिए उनके जाने के बाद उनके नाम और खानदान को कोई कैसे याद रखेगा? इसके लिए अगर हम कुछ अनूठी इमारत बना जाएं तो लोग हमें याद रखेंगे। तभी फैजुल ने तय किया और तज्जुमली से वादा किया कि वह एक मिनी ताजमहल बनवाएंगे। फैजुल ने पत्नी की मौत के बाद  कसेर कलां में फरवरी 2012 में 50 गुणा 50 फुट की इस अद्भुत इमारत को बनवाना शुरू किया। इसके लिए फैजुल ने अपनी सारी जमा-पूंजी खर्च कर दी थी। अपने प्रॉविडेंड फंड की सारी रकम, खेत बेच कर मिली रकम और पत्नी के सारे गहने बेच कर मिली रकम फैजुल इसपर खर्च कर चुके थे। इमारत के निर्माण में क्षेत्र के लोगों ने आर्थिक मदद देनी चाही, लेकिन कहा कि वह इस इमारत के जरिए अपनी बेगम की यादों को संजो रहे हैं, लिहाजा किसी से कोई मदद नहीं लेंगे। फैजुल का सपना था कि उनका ताजमहल भी बिल्कुल वैसा ही हो जैसा आगरा का है। 12 लाख खर्च करने के बावजूद यह ताजमहल बेशक अधूरा रह गया हो लेकिन फिर भी शाहजहां की ही तरह यह तो कहा ही जा सकता है कि वह अपनी बेगम से बेइंतहा प्यार करते थे। फैजुल का यह ताज बलुआ पत्थर, लाल पत्थर, चूने, सीमेंट और लोहे से बना है। इसके चलते बुलंदशहर का यह इलाका आसपास के लोगों में काफी प्रसिद्ध  हो चुका है। बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में फैजुल हसन कादरी ने अपने मनोभावों को कुछ यूँ व्यक्त किया था- 

"छोड़ दो अब ये दुनिया तुम्हारी नहीं, दुनियावालों को बस एक नज़र देख लो। 
आज जन्नत सजी है तुम्हारे लिए, बाग-ए-जन्नत के बर्गोसज़र देख लो। 
जाओ बेगम फ़ैजुल हसन कादरी जन्नत में जाकर अपना घर देख लो।"

फैजुल हसन कादरी और उनके ताजमहल का जिक्र कभी अफ़सानों में  होगा या  नहीं,  लेकिन उनके जाने के बाद भी जब-जब लोग इस इमारत को देखेंगे तो उनकी दास्तां-ए-मोहब्बत का जिक्र जरूर होगा। 


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