Saturday, September 30, 2023

'अमृत काल' में परिवर्तन व विकास की भाषा के रूप में उभर रही हिन्दी - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

   

हिन्दी में विश्व भाषा बनने की क्षमता है। जैसे-जैसे विश्व में भारत के प्रति दिलचस्पी बढ़ रही है, वैसे-वैसे हिन्दी के प्रति भी रुझान बढ़ रहा है। आज 'अमृत काल' में  परिवर्तन और विकास की भाषा के रूप में हिन्दी के महत्व को नये सिरे से रेखांकित किया जा रहा है। हिन्दी अपनी सरलता, सुबोधता, वैज्ञानिकता के कारण ही आज विश्व में तीसरी सबसे बड़ी बोली जाने वाली भाषा है। वैश्विक स्तर पर हिंदी बोलने व समझने वालों की संख्या 1अरब 40 करोड़ है।इस आधार पर देखें तो 2030 तक दुनिया का हर पांचवां व्यक्ति हिंदी बोलेगा। दुनिया के 200 से ज्यादा विदेशी विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने प्रधान डाकघर, वाराणसी में 29 सितंबर को आयोजित हिंदी पखवाड़ा समापन व पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किये। 


इस अवसर पर पोस्टमास्टर जनरल ने विशिष्ट अतिथि द्वय वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल और आकाशवाणी के सहायक निदेशक श्री राजेश गौतम संग क्षेत्रीय कार्यालय, प्रधान डाकघर, वाराणसी पूर्वी मंडल और पश्चिमी मंडल के कुल 48 डाककर्मियों को विभिन्न प्रतियोगिता के विजेता रूप में पुरस्कृत किया।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि हिंदी हमारे रोजमर्रा की भाषा है और इसे सिर्फ पखवाड़ा से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है। जरूरत इस बात की है कि हम इसके प्रचार-प्रसार और विकास के क्रम में आयोजनों के साथ ही अपनी दैनिक दिनचर्या से भी जोड़ें। हिन्दी आज सिर्फ साहित्य और बोलचाल की ही भाषा नहीं, बल्कि विज्ञान-प्रौद्योगिकी से लेकर संचार-क्रांति एवं सूचना-प्रौद्योगिकी से लेकर व्यापार की भाषा बनने की ओर अग्रसर है। डिजिटल क्रान्ति के इस युग में वेबसाइट्स, ब्लॉग और सोशल मीडिया ने हिन्दी का दायरा और भी बढ़ा दिया है।

वरिष्ठ साहित्यकार एवं बीएचयू में प्रोफ़ेसर श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि हिन्दी सिर्फ राजकाज नहीं बल्कि कामकाज की भी भाषा है। स्वाधीनता आंदोलन से लेकर आजादी के अमृत काल तक के सफर में हिंदी सिर्फ एक भाषा ही नहीं बल्कि हम सबकी पहचान है, यह हर हिंदुस्तानी का हृदय है। हिंदी की सबसे बड़ी ताकत उसके बोलने वालों की बड़ी संख्या है। लोकभाषा और जनभाषा के रूप में हिंदी भारतीय समाज के बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व हजारों वर्षों से करती रही है। हिंदी हमारी मातृभाषा के साथ-साथ राजभाषा भी है, ऐसे में इसके विकास के लिए जरुरी है कि हम हिंदी भाषा को व्यवहारिक क्रियाकलापों के साथ-साथ राजकीय कार्य में भी प्राथमिकता दें।



आकाशवाणी के सहायक निदेशक श्री राजेश गौतम ने कहा कि राजभाषा के साथ-साथ भारतीय भाषाओं और बोलियों के बीच संपर्क भाषा के रूप में भी हिंदी ने नए आयाम गढ़े हैं। राजभाषा के रूप में हिंदी के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए गए हैं।

सहायक निदेशक राजभाषा श्री बृजेश शर्मा ने बताया कि डाक विभाग की ओर से हिंदी पखवाडे़ के दौरान निबंध, पत्र लेखन, टंकण, काव्य पाठ, टिप्पणी व आलेखन प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिसमें सभी कर्मियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और हिन्दी पखवाड़े को सफल बनाने में अपना योगदान दिया। 

कार्यक्रम में प्रवर डाक अधीक्षक राजन, सहायक निदेशक राजभाषा बृजेश शर्मा, आरके चौहान, सहायक अधीक्षक दिलीप कुमार, अजय कुमार, डाक निरीक्षक श्रीकांत पाल, इंद्रजीत पाल, दिलीप पांडेय, सर्वेश सिंह, साधना मिश्रा, सहित तमाम विभागीय अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में स्वागत सहायक निदेशक राजभाषा बृजेश शर्मा, आभार ज्ञापन प्रवर डाक अधीक्षक राजन और संचालन सहायक अधीक्षक अजय कुमार ने किया।










डिजिटल क्रान्ति के  युग में हिन्दी में विश्व भाषा बनने की क्षमता -पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार  यादव

'अमृत काल' में परिवर्तन व विकास की भाषा के रूप में उभर रही हिन्दी -पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार  यादव

डाक विभाग में हिंदी पखवाड़ा का समापन, विजेताओं को पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने किया पुरस्कृत

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