डाक मत पत्र का नाम सभी ने सुना होगा। लोकतांत्रिक निर्वाचन व्यवस्था में यह एक ऐसी प्रणाली है जिसके माध्यम से मतदाता मतदान केन्द्र पर व्यक्तिशः उपस्थित न होते हुए भी अपना वोट डाल पाता है। दुनिया के कई देशों ने इसको लागू कर रखा है। इस व्यवस्था में सामान्यतया मतदाता के अनुरोध पर बैलट पेपर को उसके पास डाक द्वारा भेजा जाता है। ठप्पा लगाने के बाद मतदाता द्वारा फिर उसे वापस भेजना होता है। पहचान के लिए कुछ सत्यापन प्रक्रियाएं भी आवश्यक होती है।
भारत में डाक मत पत्र की व्यवस्था केवल सीमित रूप से ही लागू है। यह सबके लिए नहीं है। चुनाव में नामांकन में नाम वापसी के बाद प्रत्याशियों की तस्वीर साफ होने के 48 घण्टे के भीतर संबंधित लोगों को जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा डाक मत पत्र भेजने का नियम है। मतगणना के दिन सुबह 8 बजे तक डाक से वापस आने वाले डाक मत पत्रों को मतगणना में शामिल किया जाता है। मतगणना के सबसे आखिर में डाक मत पत्र को जोड़ा जाता है।
द कंडक्ट आफ इलेक्शन रूल 1961 के सेक्शन 18 ए के अनुसार लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में डाक द्वारा मतदान के हकदार लोगों की सूची बनाई गई है। इसमें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपाल जैसे महत्वपूर्ण व्यक्ति शामिल हैं। इसके अलावा सेना, चुनाव ड्यूटी पर तैनात मतदाता एवं ऐहतियात के तहत गिरफ्तार मतदाता भी डाक मत पत्र का इस्तेमाल अपना वोट डालने के लिए कर सकते हैं।
साल 2003 में हुए जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 के सेक्शन 60 सी में किए गये संशोधन अनुसार अब किसी भी ऐसे वर्ग से संबंधित कोई भी व्यक्ति जिसको चुनाव आयोग ने सरकार की सलाह पर अधिसूचित कर रखा हो, डाक या पोस्टल वोटिंग कर सकता है। भारत (आंशिक रूप से) के अलावा डाक मत पत्र का प्रावधान अमेरिका, ब्रिटेन, स्विटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, आयरलैंड, जर्मनी इत्यादि देशों में भी है।
डाक मत पत्रों के बारे में पहली बार इतनी विस्तृत जानकारी प्राप्त हुयी...धन्यवाद.
ReplyDeleteविस्तृत जानकारी.आपको धन्यवाद
ReplyDeleteइस बडिया जानकारी के लिये धन्य्वाद्
ReplyDeletekam sabdo me bahut jaankari de dee hai aapne .. shukria is post ke liye....
ReplyDeletekam sabdo me bahut jaankari de dee hai aapne .. shukria is post ke liye....
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