डाक सेवा का विचार सबसे पहले ब्रिटेन में और हवाई जहाज का विचार सबसे पहले अमेरिका में राइट बंधुओं ने दिया वहीं चिट्ठियों ने विश्व में सबसे पहले भारत में हवाई उड़ान भरी। यह ऐतिहासिक घटना 18 फरवरी 1911 को इलाहाबाद में हुई। संयोग से उस साल कुंभ का मेला भी लगा था। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार उस दिन एक लाख से अधिक लोगों ने इस घटना को देखा था जब एक विशेष विमान ने शाम को साढ़े पांच बजे यमुना नदी के किनारों से उड़ान भरी और वह नदी को पार करता हुआ 15 किलोमीटर का सफर तय कर नैनी जंक्शन के नजदीक उतरा जो इलाहाबाद के बाहरी इलाके में सेंट्रल जेल के नजदीक था। आयोजन स्थल एक कृषि एवं व्यापार मेला था जो नदी के किनारे लगा था और उसका नाम ‘यूपी एक्जीबिशन’ था। इस प्रदर्शनी में दो उड़ान मशीनों का प्रदर्शन किया गया था। विमान का आयात कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने किया था। इसके कलपुर्जे अलग अलग थे जिन्हें आम लोगों की मौजूदगी में प्रदर्शनी स्थल पर जोड़ा गया।
आंकड़ों के अनुसार कर्नल वाई विंधाम ने पहली बार हवाई मार्ग से कुछ मेल बैग भेजने के लिए डाक अधिकारियों से संपर्क किया जिस पर उस समय के डाक प्रमुख ने अपनी सहर्ष स्वीकृति दे दी। मेल बैग पर ‘पहली हवाई डाक’ और ‘उत्तर प्रदेश प्रदर्शनी, इलाहाबाद’ लिखा था। इस पर एक विमान का भी चित्र प्रकाशित किया गया था। इस पर पारंपरिक काली स्याही की जगह मैजेंटा स्याही का उपयोग किया गया था। आयोजक इसके वजन को लेकर बहुत चिंतित थे, जो आसानी से विमान में ले जाया जा सके। प्रत्येक पत्र के वजन को लेकर भी प्रतिबंध लगाया गया था और सावधानीपूर्वक की गई गणना के बाद सिर्फ 6,500 पत्रों को ले जाने की अनुमति दी गई थी। विमान को अपने गंतव्य तक पहुंचने में 13 मिनट का समय लगा। विमान को फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट ने उड़ाया।
(चित्र में : भारतीय डाक द्वारा वर्तमान में प्रयुक्त फ्रेटर)
आभार इस ऐतिहासिक जानकारी का.
ReplyDeleteवाह ! कितनी सुंदर जानकारी !
ReplyDeletenice
ReplyDeleteअच्छी जानकारी !!
ReplyDeleteजानकारी देने के लिए सुकरिया!
ReplyDeleteइसे चर्चा मंच में भी लिया गया है!
http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_12.html
बेहतरीन जानकारी...डाक फ्रेटर की फोटो भी सुन्दर लगे.
ReplyDeleteखूबसूरत ...
ReplyDelete_________
'पाखी की दुनिया' में मम्मी-पापा की लाडली..आप भी आयें !!
के. के. जी, आपके इस प्रयास की जितनी भी सराहना की जाय कम है. कैसे समय निकालते हैं इन चीजों के लिए...
ReplyDeleteक्या बात है सर जी, रोज नई-नवेली जानकारियां..दिलचस्प.
ReplyDeleteक्या बात है सर जी, रोज नई-नवेली जानकारियां..दिलचस्प.
ReplyDeleteहमने भी इलाहबाद प्रवास के दौरान ऐसा कुछ पढ़ा था. यादें ताजा हो गईं.
ReplyDeleteकाफी रोचक जानकारी..आभार. इस उपलक्ष्य में डाक विभाग विश्व डाक टिकट प्रदर्शनी भी तो करने जा रहा है.
ReplyDeleteHam to abhi bhi Alld. men hain. Alld. se judi yah ghatna sukhad lagi.
ReplyDeleteआप सभी का आभार कि अपने हमारी हौसलाअफ़जाई की.
ReplyDelete@ मयंक जी,
ReplyDeleteचर्चा में स्थान देने के लिए आभारी हूँ. सहयोग बनाये रहें.
@ रश्मि जी,
ReplyDeleteबस आप लोगों की दुआ व प्रोत्साहन ही संबल देता है.
@ आकांक्षा जी,
ReplyDeleteहम शीघ्र ही उस पर भी एक पोस्ट दे रहे हैं.
@ ब्रजेश व रत्नेश जी,
ReplyDeleteइलाहबाद से हमारा भी जुडाव रहा है. आप लोगों को अच्छा लगा, जानकर ख़ुशी हुई.
लाजवाब पोस्ट... ..हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteअच्छी जानकारी ,आभार ..
ReplyDeleteGyaan vardhak evam boring!
ReplyDelete(Bura mat maniye, main munh fat hoon!)
बेहतरीन जानकारी.
ReplyDeleteकाफी रोचक जानकारी..आभार. इस उपलक्ष्य में डाक विभाग विश्व डाक टिकट प्रदर्शनी भी तो करने जा रहा है.
ReplyDelete@ Ashish,
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर पधारने के लिए आपका शुक्रिया. पाँव फटने और पांवों में बिवाई पड़ने की बातें तो सुनी थीं, पर मुँह फटने की बात पहली बार सुन रहा हूँ. इश्वर करें आप जल्द ही इस रोग से मुक्ति पायें.
..वैसे भी फटे लिफाफों को सील कर दुरुस्त करना डाकिया बाबू की अहम् जिम्मेदारी है.
बहुत सुन्दर जानकारी ..बधाई.
ReplyDeleteकाफी रोचक जानकारी..आभार.
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