Monday, April 12, 2010

भारत में सबसे पहले चिट्ठियों ने भरी थी हवाई उड़ान

डाक सेवा का विचार सबसे पहले ब्रिटेन में और हवाई जहाज का विचार सबसे पहले अमेरिका में राइट बंधुओं ने दिया वहीं चिट्ठियों ने विश्व में सबसे पहले भारत में हवाई उड़ान भरी। यह ऐतिहासिक घटना 18 फरवरी 1911 को इलाहाबाद में हुई। संयोग से उस साल कुंभ का मेला भी लगा था। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार उस दिन एक लाख से अधिक लोगों ने इस घटना को देखा था जब एक विशेष विमान ने शाम को साढ़े पांच बजे यमुना नदी के किनारों से उड़ान भरी और वह नदी को पार करता हुआ 15 किलोमीटर का सफर तय कर नैनी जंक्शन के नजदीक उतरा जो इलाहाबाद के बाहरी इलाके में सेंट्रल जेल के नजदीक था। आयोजन स्थल एक कृषि एवं व्यापार मेला था जो नदी के किनारे लगा था और उसका नाम ‘यूपी एक्जीबिशन’ था। इस प्रदर्शनी में दो उड़ान मशीनों का प्रदर्शन किया गया था। विमान का आयात कुछ ब्रिटिश अधिकारियों ने किया था। इसके कलपुर्जे अलग अलग थे जिन्हें आम लोगों की मौजूदगी में प्रदर्शनी स्थल पर जोड़ा गया।

आंकड़ों के अनुसार कर्नल वाई विंधाम ने पहली बार हवाई मार्ग से कुछ मेल बैग भेजने के लिए डाक अधिकारियों से संपर्क किया जिस पर उस समय के डाक प्रमुख ने अपनी सहर्ष स्वीकृति दे दी। मेल बैग पर ‘पहली हवाई डाक’ और ‘उत्तर प्रदेश प्रदर्शनी, इलाहाबाद’ लिखा था। इस पर एक विमान का भी चित्र प्रकाशित किया गया था। इस पर पारंपरिक काली स्याही की जगह मैजेंटा स्याही का उपयोग किया गया था। आयोजक इसके वजन को लेकर बहुत चिंतित थे, जो आसानी से विमान में ले जाया जा सके। प्रत्येक पत्र के वजन को लेकर भी प्रतिबंध लगाया गया था और सावधानीपूर्वक की गई गणना के बाद सिर्फ 6,500 पत्रों को ले जाने की अनुमति दी गई थी। विमान को अपने गंतव्य तक पहुंचने में 13 मिनट का समय लगा। विमान को फ्रेंच पायलट मोनसियर हेनरी पिक्वेट ने उड़ाया।

(चित्र में : भारतीय डाक द्वारा वर्तमान में प्रयुक्त फ्रेटर)

26 comments:

  1. आभार इस ऐतिहासिक जानकारी का.

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  2. वाह ! कितनी सुंदर जानकारी !

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  3. जानकारी देने के लिए सुकरिया!
    इसे चर्चा मंच में भी लिया गया है!

    http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_12.html

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  4. बेहतरीन जानकारी...डाक फ्रेटर की फोटो भी सुन्दर लगे.

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  5. खूबसूरत ...
    _________
    'पाखी की दुनिया' में मम्मी-पापा की लाडली..आप भी आयें !!

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  6. के. के. जी, आपके इस प्रयास की जितनी भी सराहना की जाय कम है. कैसे समय निकालते हैं इन चीजों के लिए...

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  7. क्या बात है सर जी, रोज नई-नवेली जानकारियां..दिलचस्प.

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  8. क्या बात है सर जी, रोज नई-नवेली जानकारियां..दिलचस्प.

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  9. हमने भी इलाहबाद प्रवास के दौरान ऐसा कुछ पढ़ा था. यादें ताजा हो गईं.

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  10. काफी रोचक जानकारी..आभार. इस उपलक्ष्य में डाक विभाग विश्व डाक टिकट प्रदर्शनी भी तो करने जा रहा है.

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  11. Ham to abhi bhi Alld. men hain. Alld. se judi yah ghatna sukhad lagi.

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  12. आप सभी का आभार कि अपने हमारी हौसलाअफ़जाई की.

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  13. @ मयंक जी,
    चर्चा में स्थान देने के लिए आभारी हूँ. सहयोग बनाये रहें.

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  14. @ रश्मि जी,
    बस आप लोगों की दुआ व प्रोत्साहन ही संबल देता है.

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  15. @ आकांक्षा जी,
    हम शीघ्र ही उस पर भी एक पोस्ट दे रहे हैं.

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  16. @ ब्रजेश व रत्नेश जी,
    इलाहबाद से हमारा भी जुडाव रहा है. आप लोगों को अच्छा लगा, जानकर ख़ुशी हुई.

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  17. लाजवाब पोस्ट... ..हार्दिक बधाई.

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  18. अच्‍छी जानकारी ,आभार ..

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  19. Gyaan vardhak evam boring!
    (Bura mat maniye, main munh fat hoon!)

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  20. काफी रोचक जानकारी..आभार. इस उपलक्ष्य में डाक विभाग विश्व डाक टिकट प्रदर्शनी भी तो करने जा रहा है.

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  21. @ Ashish,

    मेरे ब्लॉग पर पधारने के लिए आपका शुक्रिया. पाँव फटने और पांवों में बिवाई पड़ने की बातें तो सुनी थीं, पर मुँह फटने की बात पहली बार सुन रहा हूँ. इश्वर करें आप जल्द ही इस रोग से मुक्ति पायें.
    ..वैसे भी फटे लिफाफों को सील कर दुरुस्त करना डाकिया बाबू की अहम् जिम्मेदारी है.

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  22. बहुत सुन्दर जानकारी ..बधाई.

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  23. काफी रोचक जानकारी..आभार.

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