आज 3 अक्तूबर, 2011 को प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र 'जनसत्ता' के सम्पादकीय पृष्ठ पर समांतर स्तम्भ के तहत 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग पर 21 सितम्बर को प्रकाशित पोस्ट 'चिट्ठियों की दुनिया' को 'संदेश की संवेदना' शीर्षक से प्रस्तुत किया गया है. यह पोस्ट पत्रों की आत्मीय दुनिया पर आधारित है !!
इससे पहले 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग और इसकी प्रविष्टियों की चर्चा दैनिक हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, राजस्थान पत्रिका, उदंती जैसी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में हो चुकी है.
गौरतलब है कि "डाकिया डाक लाया" ब्लॉग की चर्चा सबसे पहले 8 अप्रैल, 2009 को दैनिक हिंदुस्तान अख़बार में 'ब्लॉग वार्ता' के अंतर्गत की गई थी। रवीश कुमार जी ने इसे बेहद रोचक रूप में प्रस्तुत किया था. इसके बाद इसकी चर्चा 29 अप्रैल 2009 के दैनिक 'राष्ट्रीय सहारा' पत्र के परिशिष्ट 'आधी दुनिया' में 'बिन्दास ब्लाग' के तहत की गई. "प्रिंट मीडिया पर ब्लॉग चर्चा" के अनुसार इस ब्लॉग की 22 अक्तूबर की पोस्ट "2009 ईसा पूर्व में लिखा गया दुनिया का पहला पत्र'' की चर्चा 11 नवम्बर 2009 को राजस्थान पत्रिका, जयपुर संस्करण के नियमित स्तंभ 'ब्लॉग चंक' में की गई।
इससे पहले 'डाकिया डाक लाया' ब्लॉग और इसकी प्रविष्टियों की चर्चा दैनिक हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, राजस्थान पत्रिका, उदंती जैसी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में हो चुकी है.
गौरतलब है कि "डाकिया डाक लाया" ब्लॉग की चर्चा सबसे पहले 8 अप्रैल, 2009 को दैनिक हिंदुस्तान अख़बार में 'ब्लॉग वार्ता' के अंतर्गत की गई थी। रवीश कुमार जी ने इसे बेहद रोचक रूप में प्रस्तुत किया था. इसके बाद इसकी चर्चा 29 अप्रैल 2009 के दैनिक 'राष्ट्रीय सहारा' पत्र के परिशिष्ट 'आधी दुनिया' में 'बिन्दास ब्लाग' के तहत की गई. "प्रिंट मीडिया पर ब्लॉग चर्चा" के अनुसार इस ब्लॉग की 22 अक्तूबर की पोस्ट "2009 ईसा पूर्व में लिखा गया दुनिया का पहला पत्र'' की चर्चा 11 नवम्बर 2009 को राजस्थान पत्रिका, जयपुर संस्करण के नियमित स्तंभ 'ब्लॉग चंक' में की गई।
....ऐसे में यह जानकर अच्छा लगता है कि इस ब्लॉग को आप सभी का भरपूर प्यार व सहयोग मिल रहा है. आप सभी शुभेच्छुओं का आभार !!
हमने भी पढ़ा. जनसत्ता में पोस्ट प्रकाशित होने पर बधाई.
ReplyDeleteप्रिय कृष्ण कुमार जी
ReplyDeleteनमस्कार
कुशलोपरांत विदित हो कि मैं उद्योग मंत्रालय, नई दिल्ली में कार्यरत होने के साथ-साथ कृषि एवं पर्यावरण विषयों पर स्वतंत्र लेखन करता हूं । मैं आपके ब्लॉग का नियमित पाठक हूं । 3 अक्तूबर को हिंदी के विचार पत्र जनसत्ता के समांतर कॉलम में संदेश की संवेदना पढ़कर मन आह्लादित हो उठा । इसके लिए हार्दिक धन्यवाद । पूर्ण विश्वास है कि आगे भी ऐसी रचनाएं पढ़ने को मिलती रहेंगी ।
सादर
रमेश कुमार दुबे
दिल्ली
अच्छे लेखन की सर्वत्र चर्चा होती है..के.के. जी को बधाई.
ReplyDeleteअच्छे लेखन की सर्वत्र चर्चा होती है..के.के. जी को बधाई.
ReplyDeleteकृष्ण कुमार सर की लेखनी का कायल हूँ. विषय पर अद्भुत पकड़, सुन्दर प्रस्तुति, रोचक तथ्य...वाकई शानदार लेख लिखा है उन्होंने...बधाई.
ReplyDeleteजनसत्ता में पोस्ट प्रकाशित होने पर बधाई.
ReplyDeleteवाह-वाह...उत्तम लेखन..उत्तम चर्चा..बधाई.
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