Saturday, June 6, 2009

वैज्ञानिक भी मुरीद हुये डाक टिकट संकलन के

सामान्यतः फिलेटली को डाक टिकटों का संकलन कहा जाता है पर बदलते वक्त के साथ फिलेटली डाक टिकटों, प्रथम दिवस आवरण, विशेष आवरण, पोस्ट मार्क, डाक स्टेशनरी एवं डाक सेवाओं से सम्बन्धित साहित्य का व्यवस्थित संग्रह एवं अध्ययन बन गया है। रंग-बिरंगे डाक टिकटों में निहित सौन्दर्य जहाँ इसका कलात्मक पक्ष है, वहीं इसका व्यवस्थित अध्ययन इसके वैज्ञानिक पक्ष को प्रदर्शित करता है।‘‘फिलेटली’’ शब्द की उत्पत्ति ग्रीक भाषा के शब्द ‘फिलोस’ व ‘एटलिया’ से हुई। ‘फिलोस’ माने किसी वस्तु से प्यार और ‘एटलिया’ माने कर से मुक्त। सन् 1864 में 24 वर्षीय फ्रांसीसी व्यक्ति जार्ज हाॅर्पिन ने ‘फिलेटली’ शब्द का इजाद किया। इससे पूर्व इस विधा को ‘टिम्बरोलाॅजी’ नाम से जाना जाता था। फ्रेंच भाषा में टिम्बर का अर्थ टिकट होता है। एडवर्ड लुइन्स पेम्बर्टन को ‘साइन्टिफिक फिलेटली’ का जनक माना जाता है। डाक टिकटों के सौन्दर्य पर मोहित होने वालों की कमी नहीं है पर प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार प्राप्त भौतिक विज्ञानी अर्नेस्ट रदरफोर्ड डाक टिकटों पर इतना मोहित हो गये कि, एक बार उन्होंने कहा कि - ‘सभी विज्ञान या तो भौतिक विज्ञान हैं अथवा डाक टिकट संग्रह।’ (All science is either physics or stamp collecting). रदरफोर्ड का यह कथन दर्शाता है कि डाक टिकट संग्रह सिर्फ एक शौक नहीं है वरन् व्यवस्थित ज्ञान और अध्ययन का भी विषय है।

8 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

सही कहा है आपनें .

अनूप शुक्ल said...

सुन्दर! विज्ञान डाक टिकट संग्रह है- क्या बात है!

Anonymous said...
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Anonymous said...

डाक टिकटों के सौन्दर्य पर मोहित होने वालों की कमी नहीं है पर प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार प्राप्त भौतिक विज्ञानी अर्नेस्ट रदरफोर्ड डाक टिकटों पर इतना मोहित हो गये कि, एक बार उन्होंने कहा कि - ‘सभी विज्ञान या तो भौतिक विज्ञान हैं अथवा डाक टिकट संग्रह।’.....बहुत खूब. डाक-टिकटों का सौंदर्य इतना होगा, सोचा भी नहीं था.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

फिलेटली पर क्रमबद्ध सुन्दर और ज्ञानवर्धक जानकारी. डाकिया बाबू का आभार.

Shyama said...

दिल को मोहने वाली पोस्ट. हर पोस्ट में टिकटों की फोटो भी लगायें तो अति सुन्दर.

Unknown said...

डाक टिकटों के एक अन्य पहलू से आपने परिचित कराया...आभार.

Akanksha Yadav said...

....डाक टिकट को यूँ ही सभ्यता और संस्कृति का राजदूत नहीं कहा जाता.