Sunday, June 7, 2009

रोलैण्ड हिल बने डाक टिकटों के जनक

जिस समय पत्रों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने का शुल्क तय किया गया और वह गंतव्य पर लिखा जाने लगा तो उन्हीं दिनों इंगलैण्ड के एक स्कूल अध्यापक रोलैण्ड हिल ने देखा कि बहुत से पत्र पाने वालों ने पत्रांे को स्वीकार करने से इन्कार कर दिया और पत्रों का ढेर लगा हुआ है, जिससे कि सरकारी निधि की क्षति हो रही है। यह सब देख कर उन्होंने सन् 1837 में ‘पोस्ट आफिस रिफार्म’ नामक पत्र के माध्यम से बिना दूरी के हिसाब से डाक/टिकटों की दरों में एकरूपता लाने का सुझाव दिया। उन्होंने चिपकाए जाने वाले ‘लेबिल’ की बिक्री का सुझाव दिया ताकि लोग पत्र भेजने के पहले उसे खरीदे और पत्र पर चिपका कर अपना पत्र भेजें। इस प्रकार रोलैण्ड हिल (1795-1879) को डाक टिकटों का जनक कहा जाता है। इन्हीं के सुझाव पर 6 मई 1840 को विश्व का प्रथम डाक टिकट ‘पेनी ब्लैक’ ब्रिटेन द्वारा जारी किया गया। भारत में प्रथमतः डाक टिकट 1 जुलाई 1852 को सिन्ध के मुख्य आयुक्त सर बर्टलेफ्र्रोरे द्वारा जारी किए गए। आधे आने के इस टिकट को सिर्फ ंिसन्ध राज्य हेतु जारी करने के कारण ‘सिंदे डाक’ कहा गया एवं मात्र बम्बई-कराची मार्ग हेतु इसका प्रयोग होता था। सिंदे डाक को एशिया में जारी प्रथम डाक टिकट एवं विश्व स्तर पर जारी प्रथम सर्कुलर डाक टिकट का स्थान प्राप्त है । 1 अक्टूबर 1854 को पूरे भारत हेतु महारानी विक्टोरिया के चित्र वाले डाक टिकट जारी किये गये।

1904 में भारत में सर्वप्रथम ‘स्टैम्प बुकलेट’ जारी की गयी। 1926 में इण्डिया सिक्यूरिटी प्रेस नासिक में डाक टिकटों की छपाई आरम्भ होने पर 1931 में प्रथम चित्रात्मक डाक टिकट नई दिल्ली के उद्घाटन पर जारी किया गया। 1935 में ब्रिटिश सम्राट जाॅर्ज पंचम की रजत जयन्ती के अवसर पर प्रथम स्मारक डाक टिकट जारी किया गया। स्वतन्त्रता पश्चात 21 नवम्बर 1947 को प्रथम भारतीय डाक टिकट साढे़ तीन आने का ‘‘जयहिन्द’’ जारी किया गया। सन् 1972 से इण्डिया सिक्यूरिटी प्रेस नासिक में डाक टिकटों की बहुरंगी छपाई आरम्भ हो गयी। 21 फरवरी 1911 को विश्व की प्रथम एयरमेल सेवा भारत द्वारा इलाहाबाद से नैनी के बीच आरम्भ की गयी। राष्ट्रमण्डल देशों मे भारत पहला देश है जिसने सन् 1929 में हवाई डाक टिकट का विशेष सेट जारी किया।

6 comments:

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

खूबसूरत डाक टिकटों के प्रणेता के बारे में जानकर सुखद लगा.

Unknown said...

रोलैंड हिल का चित्र तो दिखाएँ जनाब.

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Ram Shiv Murti Yadav said...

रोलैंड हिल के बारे में स्कूली दिनों में पढ़ा था ...यहाँ पर पढ़कर अच्छा लगा.

Shyama said...

लाजवाब जानकारी...आज भी डाक-टिकटों का क्रेज ख़त्म नहीं हुआ है.

डॉ. मनोज मिश्र said...

bahut achchhee jaankaaree dee aapnen .