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सामान्यतः लोग डाक विभाग द्वारा जारी नियत डाक टिकटों के बारे में ही जानते हंै। ये डाक टिकट विशेष रूप से दिन-प्रतिदिन की डाक-आवश्यकताओं के लिए जारी किए जाते हैं और असीमित अवधि के लिए विक्रय हेतु रखे जाते है। पर इसके अलावा डाक विभाग किसी घटना, संस्थान, विषय-वस्तु, वनस्पति व जीव-जन्तु तथा विभूतियों के स्मरण में भी डाक टिकट भी जारी करता है, जिन्हें स्मारक/विशेष डाक टिकट कहा जाता है। सामान्यतया ये सीमित संख्या मे मुद्रित किये जाते हैं और फिलेटलिक ब्यूरो/काउन्टर/प्राधिकृत डाकघरों से सीमित अवधि के लिये ही बेचे जाते हैं। नियत डाक टिकटों के विपरीत ये केवल एक बार मुद्रित किये जाते हैं ताकि पूरे विश्व में चल रही प्रथा के अनुसार संग्रहणीय वस्तु के तौर पर इनका मूल्य सुनिश्चित हो सके। परन्तु ये वर्तमान डाक टिकटों का अतिक्रमण नहीं करते और सामान्यतया इन्हें डाक टिकट संग्राहको द्वारा अपने अपने संग्रह के लिए खरीदा जाता है। इन स्मारक/ विशेष डाक टिकटों के साथ एक ‘सूचना विवरणिका’’ एवं ‘‘प्रथम दिवस आवरण’’ के रूप में एक चित्रात्मक लिफाफा भी जारी किया जाता है। डाक टिकट संग्राहक प्रथम दिवस आवरण पर लगे डाक टिकट को उसी दिन एक विशेष मुहर से विरूपित करवाते हैं। इस मुुहर पर टिकट के जारी होने की तारीख और स्थान अंकित होता है। जहाँ नियत डाक टिकटों का मुद्रण बार-बार होता है, वहीं स्मारक/विशेष डाक टिकट सिर्फ एक बार मुद्रित होते हैं। यही कारण है कि वक्त बीतने के साथ अपनी दुर्लभता के चलते वे काफी मूल्यवान हो जाते हैं।
7 comments:
अच्छा हुआ...आपने नियत और स्मारक डाक टिकटों के बारे में लोगों का भ्रम दूर कर दिया.
मेरी समझ में फिलातेलिस्ट लोग स्मारक/विशेष डाक टिकटों को ही इकठ्ठा करते हैं.
...तभी तो बाजार में डाक टिकट विक्रेता इन विशेष टिकटों को महंगे दामों पर बेचते हैं.
good
achchee jankaaree .
बेहद रोचक जानकारी है
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