Friday, April 30, 2021

डाक विभाग के साथ कुशल समन्वय स्थापित करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक योगेंद्र प्रताप सिंह ने, उनके निधन से मर्माहत

अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक श्री योगेंद्र प्रताप सिंह को 30 अप्रैल, 2021 को कोरोना ने असमय काल कवलित कर दिया। बेहद सहज, आत्मीय व मिलनसार व्यक्ति होने के साथ-साथ उनमें भारतीय संस्कृति के प्रति गहरा अनुराग था। प्रभु श्री राम से जुड़े प्रसंगों में उनकी विशेष रुचि और आस्था थी। उनके कार्यकाल में अयोध्या शोध संस्थान राम व रामायण पर शोध करने वाला सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा। श्री राम की वैश्विक यात्रा पर उनके द्वारा की गई शोध मील का पत्थर साबित हुई। विभिन्न देेशों, भारत के कोने-कोने में व्याप्त राम संस्कृति को लेकर उन्होंने न सिर्फ गहन अध्ययन किया बल्कि उसका दस्तावेज भी तैयार करा रहे थे। वर्तमान में राम व रामायण पर आधारित अब तक के सबसे बड़े प्रोजेक्ट 'ग्लोबल इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण' पर काम कर रहे थे। हाल ही में 120 देेशों का रामायण समूह बनाने की तैयारी चल रही थी। इसके लिए ग्लोबल इंसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण का प्रकाशन होना था। दो सौ खंडों में इसका प्रकाशन होना है। पहले अंक का विमोचन कुछ ही महीनों पूर्व लखनऊ में मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था। 

19 मई 2004 को अयोध्या शोध संस्थान में अनवरत रामलीला प्रारंभ की गई जो कि कोरोना काल से पहले तक संचालित रही। इस दौरान देश-विदेश की रामलीला का मंचन अयोध्या में हुआ तो भारतीय कलाकारों ने भी विश्व के कई देशों में रामलीला का मंचन किया। दो वर्षों से विदेशी कलाकारों को हिंदी में रामलीला का प्रशिक्षण देने का काम भी चल रहा था। अयोध्या शोध संस्थान के बैनर तले अयोध्या में सांस्कृतिक गतिविधियों को खूब बढ़ावा मिला तो इसका श्रेय भी श्री वाईपी सिंह को ही जाता है। दीपोत्सव में कई देशों की रामलीला सहित भारत की लोककला का प्रस्तुतीकरण उन्हीं के प्रयास का परिणाम रहा।

 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के मॉडल पर कस्टमाइज्ड स्टैम्प जारी करना हो, चौरी चौरा शताब्दी अवसर पर कस्टमाइज्ड स्टैम्प जारी करना हो, अयोध्या में श्री राम कोदण्ड प्रतिमा पर मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी द्वारा विशेष आवरण जारी करना हो, इनसाइक्लोपीडिया ऑफ रामायण पर प्रधानमंत्री जी द्वारा   विशेष आवरण जारी करना हो, ऐसे सभी अवसरों पर श्री वाई. पी. सिंह ने संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश की तरफ से डाक विभाग के साथ कुशल समन्वय स्थापित करते हुए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

श्री वाईपी सिंह ने रामायण संस्कृति को रामलीला व सांस्कृतिक गतिविधियों के जरिए न सिर्फ देश के कोने-कोने बल्कि विदेशों में भी पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। उनका यूँ अकस्मात् चले जाना वाकई दर्दनाक है। प्रभु श्री राम उन्हें अपने चरणों में स्थान दें और उनके परिवार को इस असीम दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति।

(चित्र में : अयोध्या शोध संस्थान में कोदण्ड राम मूर्ति के अनावरण पश्चात उ.प्र. के तत्कालीन चीफ पोस्टमास्टर जनरल श्री वीपी सिंह, अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक श्री योगेंद्र प्रताप सिंह और लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के तत्कालीन निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव)