डाक विभाग देश के सबसे पुराने विभागों में से एक है जो कि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक ऐसा संगठन है जो न केवल देश के भीतर बल्कि देश की सीमाओं से बाहर अन्य देशों तक पहुँचने में भी हमारी मदद करता है। भूमंडलीकरण की अवधारणा सबसे पहले दुनिया भर में भेजे जाने वाले पत्रों के माध्यम से ही साकार हुई। पूरे विश्व में हर वर्ष 9 अक्टूबर को "अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस" और उसी क्रम में 9-15 अक्टूबर तक भारत में राष्ट्रीय डाक सप्ताह मनाया जायेगा। उक्त जानकारी लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने दी।
इसलिए मनाया जाता है विश्व डाक दिवस-
9 अक्टूबर को "अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस" मनाये जाने के बारे में लखनऊ (मुख्यालय) परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि 'एक विश्व-एक डाक प्रणाली' की अवधारणा को साकार करने हेतु 9 अक्टूबर, 1874 को 'यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन' की स्थापना बर्न, स्विटजरलैण्ड में की गई, जिससे विश्व भर में एक समान डाक व्यवस्था लागू हो सके। भारत प्रथम एशियाई राष्ट्र था, जो कि 1 जुलाई 1876 को इसका सदस्य बना। कालांतर में वर्ष 1969 में टोकियो, जापान में सम्पन्न यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन कांग्रेस में इस स्थापना दिवस को "विश्व डाक दिवस" के रूप में मनाने हेतु घोषित किया गया। तब से पूरी दुनिया में इस दिन को प्रतिवर्ष धूमधाम मनाया जाता है। विश्व डाक दिवस के क्रम में ही पूरे सप्ताह को राष्ट्रीय डाक सप्ताह के रूप में मनाया जायेगा, जिस दौरान तमाम कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
विश्व डाक दिवस के क्रम में राष्ट्रीय डाक सप्ताह का आयोजन-
डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव, ने बताया कि लखनऊ परिक्षेत्र के डाक मंडलों में भी 'विश्व डाक दिवस' और तदन्तर 9 से 15 अक्टूबर तक 'राष्ट्रीय डाक सप्ताह' का आयोजन किया जा रहा है। इस क्रम में 9 अक्टूबर को ’विश्व डाक दिवस’, 10 अक्टूबर को बैंकिंग दिवस, 11 अक्टूबर को डाक जीवन बीमा दिवस, 12 अक्टूबर को फिलेटली दिवस, 14 अक्टूबर को व्यवसाय विकास दिवस और 15 अक्टूबर को मेल दिवस के रूप में मनाया जायेगा। श्री यादव ने कहा कि इस दौरान जहाँ सेवाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं राजस्व अर्जन में वृद्धि पर जोर दिया जायेगा, वहीं उत्कृष्टता हेतु डाक कर्मियों का सम्मान, कस्टमर मीट, डाक टिकट प्रदर्शनी, माई स्टैम्प, डाक सेवाओं की कार्य-प्रणाली को समझने हेतु स्कूली बच्चों द्वारा डाकघरों का भ्रमण, पत्र लेखन प्रतियोगिता, बचत बैंक, सुकन्या समृद्धि योजना, इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक व डाक जीवन बीमा मेला, इत्यादि तमाम कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
बदल रहा है डाकघरों का चेहरा और भूमिका -
वक्त के साथ पत्रों का स्वरूप भी बदल गया है। व्यक्तिगत पत्रों का स्थान बिजनेस डाक और पार्सल ने ले लिया। ऐसे में डाक विभाग ने भी नई टेक्नालाजी आधारित सेवाएं शुरू की हैं । डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, ट्रेक एंड ट्रेस सुविधा, ई-कामर्स को बढ़ावा देने हेतु कैश ऑन डिलीवरी, लेटर बाक्स से नियमित डाक निकालने हेतु नन्यथा मोबाईल एप एवं डाकियों द्वारा एण्ड्रोयड बेस्ड स्मार्ट फोन आधारित डिलीवरी जैसे तमाम कदम डाक विभाग की अभिनव पहल हैं। डाकघरों में कोर बैंकिंग के बाद इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के माध्यम से वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है । आधार इनेब्ल्ड पेमेंट सिस्टम लागू कर डाक विभाग ने बैंकिंग क्षेत्र में नई क्रांति ला दी है । डाक निदेशक श्री यादव ने कहा कि, डाकघरों की ब्रांडिंग के लिए 'प्रोजेक्ट एरो' के बाद टेकनालजी स्तर पर डाक विभाग अपने कार्यालयों में कोर सिस्टम इंटीग्रेशन प्रोजेक्ट लागू कर उन्हें पूर्ण रूप से डिजिटल और पेपरलेस बनाने की ओर अग्रसर है। ग्रामीण क्षेत्र के डाकघरों को दर्पण प्रोजेक्ट के माध्यम से हाइटेक बनाकर डिजिटल इंडिया की संकल्पना को साकार किया जा रहा है । डाकघरों में जनसुविधा के मद्देनजर तमाम नई सेवाएं आरम्भ हुई हैं। आधार नामांकन व अपडेशन केंद्र, पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र, रेलवे के टिकटों की बिक्री, गंगाजल की बिक्री, ऊर्जा संरक्षण हेतु एलईडी बल्बों की बिक्री जैसे तमाम कार्य आज डाकघरों के माध्यम से हो रहे हैं।
सोशल मीडिया के दौर में भी पत्रों का क्रेज-
डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, सोशल मीडिया ने भले ही संवाद के माध्यम बदल दिए हैं, पर आज भी पत्र लिखने वालों के उत्साह में कमी नहीं आई है। राजधानी लखनऊ के डाकघरों से प्रति माह औसतन 6 हजार अंतर्देशीय पत्र, 9 हजार लिफाफे और 10 हजार पोस्टकार्ड की बिक्री होती है। अंतर्देशीय पत्र 2.50 ₹ में, साधारण लिफाफा 5 ₹ में और साधारण पोस्टकार्ड 50 पैसे में मिलते हैं।
2009 ईसा पूर्व लिखा गया था दुनिया का पहला पत्र -
पत्रों की अपनी एक खूबसूरत दुनिया है। सभ्यता के आरंभ से ही मानव किसी न किसी रूप में पत्र लिखता रहा है। डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि दुनिया का सबसे पहला खत 2009 ईसा पूर्व बेबीलोन के खंडरों से मिला था, जो एक प्रेमी ने अपनी प्रेमिका के विरह के भाव से ओतप्रोत होकर लिखा था। भावनाओं की बयार इस कद थी कि प्रेमी ने मिट्टी के फर्श को खोदते हुए ‘मैं तुमसे मिलने आया था, पर तुम नहीं मिली’ का संदेश जाने से पहले प्रेमिका के लिए छोड़ा। इस संदेश में कितनी तड़प थी इसका अंदाजा वही लगा सकता है जिसके लिए वह लिखा गया।
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देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में डाकघर की अहम भूमिका-डाक निदेशक केके यादव