
डाक विभाग लोगों को आर्किर्षत करने हेतु तमाम तरह के डाक टिकट समय-समय पर जारी करता है। अभी हाल ही में चन्दन, गुलाब और जूही वाले खुशबूदार डाक टिकट जारी किये गये हैं। जानकर ताज्जुब होगा कि अब डाक विभाग स्वर्ण डाक टिकटों का एक ऐतिहासिक एवं संग्रहणीय सेट जारी कर रहा है, ताकि भारत की सभ्यता और संस्कृति से जुड़ी धरोहरांे को अक्षुण्ण रखा जा सके और महापुरूषों को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके। इस हेतु राष्ट्रीय फिलेटलिक म्यूजियम, नई दिल्ली के संकलन से 25 ऐतिहासिक व विशिष्ट डाक टिकट इतिहासकारों व डाक टिकट विशेषज्ञो द्वारा विशेष रूप से भारत की अलौकिक कहानी का वर्णन करने के लिए चुने गए है। ‘‘प्राइड आफ इण्डिया‘‘ नाम से जारी किये जा रहे ये डाक टिकट शुद्ध ठोस चांदी में ढाले गये हैं और उन पर 24 कैरेट सोने की परत चढी़ है। प्रत्येक डाक टिकट डायमण्ड कट वाले छिद्र के साथ 2.2 मि0मी0मोटा है।
भारत के गौरव की झांकी पेश करने वाले इन स्वर्णिम डाक टिकटों को जारी करने हेतु भारतीय डाक विभाग ने लंदन स्थिति कम्पनी हाॅलमार्क ग्रुप को अधिकृत किया है। हाॅलमार्क ग्रुप द्वारा प्रत्येक चुनी हुई कृति के अनुरूप विश्व प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा समान आकार व रूप के मूल टिकट के अनुरूप ही ठोस चांदी में डाक टिकट ढाले गये हैं और उस पर 24 कैरेट सोने की परत चढ़ायी गयी है, ताकि भारत की समृद्धि की स्थायी धरोहर को शाश्वत बनाया जा सके। 25 डाक टिकटों का यह पूरा सेट 1.5 (डेढ़ लाख रूपये) का है अर्थात् प्रति डाक टिकट की कीमत 6000 रूपये है। इन डाक टिकटों के पीछे भारतीय डाक और हाॅलमार्क का लोगो अंकित किया गया है।
इन 25 खूबसूरत डाक टिकटों में स्वतंत्र भारत का प्रथम डाक टिकट ‘जयहिन्द‘, थाणे और मुंबई के बीच चली प्रथम रेलगाड़ी पर जारी डाक टिकट, भारतीय डाक के 150 वर्ष पर जारी डाक टिकट, 1857 के महासंग्राम के 150वें वर्ष पर जारी डाक टिकट, प्रथम एशियाई खेल (1951), क्रिकेट विजय-1971, मयूर प्रतिरूप: 19वीं शताब्दी मीनाकारी, राधा किशनगढ़ कथकली, भारतीय गणराज्य, इण्डिया गेट, लालकिला, ताजमहल, वन्देमातरम्, भगवद्गीता, अग्नि-2 मिसाइल पर जारी डाक टिकट शामिल किये गये हैं। इसके अलावा महात्मा बुद्ध, महात्मा गांधी, रवीन्द्र नाथ टैगोर, जे.आर.डी.टाटा, होमी जहांगीर भाभा, मदर टेरेसा, सत्यजित रे, अभिनेत्री मधुबाला एवं धीरूभाई अम्बानी पर जारी डाक टिकटों की स्वर्ण अनुकृति भी जारी की जा रही है।

भारतीय डाक विभाग द्वारा हाॅलमार्क ग्रुप के साथ जारी किये जा रहे इन डाक टिकटों के बारे में सबसे रोचक तथ्स यह है कि ये स्वर्ण डाक टिकट डाकघरों में उपलब्ध नहीं होंगे और न ही किसी शोरूम में। इन्हें प्राप्त करने के लिए विशेष आर्डर फार्म भर कर हाॅलमार्क को भेजना होगा। इसके साथ संलग्न विवरणिका जो इसकी खूबसूरती की व्याख्या करती है, स्वयं में एक अनूठा उपहार है। साथ ही वैलवेट लगी एक केज, ग्लब्स व स्विस निर्माणकर्ता द्वारा सत्यापित शुद्धता का प्रमाण पत्र इन डाक टिकटों को और भी संग्रहणीय बनाते हैं। इन डाक टिकटों की ऐतिहासिकता बरकरार रखने और इन्हें मूल्यवान बनाने हेतु इनका सेट सीमित संख्या में ही जारी होगा, जो कि मात्र 7500 है।
निश्चिततः भारतीय डाक विभाग का यह अनूठा प्रयोग सराहनीय है। यह न सिर्फ डाक टिकट संग्रहकर्ताओं बल्कि अपनी सभ्यता व संस्कृति से जुड़े हर व्यक्ति के लिए एक अमूल्य धरोहर साबित होगा, जो कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी सुरक्षित होकर अपनी यशगाथा चारों तरफ फैलाता रहेगा। सम्भवतः इसीलिए डाक टिकटों के प्रथम सेट को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय फिलेटलिक म्यूजियम में भी प्रदर्शन हेतु सुरक्षित रखने का फैसला लिया गया है ।
