Thursday, July 9, 2009

डाक टिकटों पर कानपुर

कानपुर आरम्भ से ही राजनैतिक-सामाजिक-साहित्यिक-औद्योगिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र रहा है और यही कारण है कि कानपुर से जुड़े- गणेश शंकर विद्यार्थी (25 मार्च 1962, 15 पैसे), दीन दयाल उपाध्याय (5 मई 1978, 25 पैसे), तात्या टोपे (10 मई 1984, 50 पैसे)े, नाना साहब (10 मई 1984, 50 पैसे), चन्द्रशेखर आजाद (27 फरवरी 1988, 60 पैसे), बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ (8 दिसम्बर 1989, 60 पैसे), श्याम लाल गुप्त ‘पार्षद’ (4 मार्च 1997, 1 रूपये), नरेन्द्र मोहन (14 अक्टूबर 2003, 5 रूपया), पदमपत सिंहानिया (3 फरवरी 2005, 5 रूपया) जैसी विभूतियों पर अभी तक डाक टिकट जारी हो चुके हैं। 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की 150वीं जयन्ती पर कानपुर व लखनऊ में हुए घमासान युद्वों को दर्शाते हुए 9 अगस्त 2007 को 5 रूपये व 15 रूपये मूल्यवर्ग के डाक टिकट व मिनीएचर शीट जारी किये गये। इसके अलावा बिठूर से जुड़े होने के कारण रानी लक्ष्मीबाई (15 अगस्त 1957, 15 पैसे) व महर्षि बाल्मीकि (14अक्टूबर 1970, 20 पैसे) पर जारी डाक टिकटों को भी इसी क्रम में रखा जाता है। यही नहीं फूलबाग स्थित राजकीय संग्राहलय में भी डाक टिकटों के संकलन का एक अलग सेक्शन है। डाक टिकटों के मामले में एक रोचक तथ्य कानपुर से जुड़ा हुआ है। वर्ष 1957 में बाल दिवस पर पहली बार तीन स्मारक डाक टिकट जारी किये गये, जो पोषण (8 पैसे, केला खाता बालक), शिक्षा (15 पैसे, स्लेट पर लिखती लड़की) व मनोरंजन (90 पैसे, मिट्टी का बना बांकुरा घोड़ा) पर आधारित थे। दस हजार फोटोग्रास में से चयनित शेखर बार्कर व रीता मल्होत्रा को क्रमशः पोषण व शिक्षा पर जारी डाक टिकटों पर अंकित किया गया। स्लेट पर लिखती लड़की रीता मल्होत्रा कानपुर की थी। ठीक पचास वर्ष बाद वर्ष 2007 में बाल दिवस पर डाक टिकट जारी होने के दौरान शेखर बार्कर व रीता मल्होत्रा को भी आमंत्रित किया गया, पर रीता मल्होत्रा को शायद खोजा न जा सका। इस प्रकार कानपुर की विभूतियों पर जारी डाक टिकटों के क्रम में रीता मल्होत्रा का नाम भी शामिल किया जा सकता है।

डाक टिकट संग्रह को बढ़ावा देने हेतु कानपुर जी0पी0ओ0 में जुलाई 1973 में फिलेटलिक ब्यूरो की स्थापना की गयी जिसमें तमाम डाक टिकटों और उनसे जुड़ी सामग्रियों का अवलोकन किया जा सकता है। कानपुर में 30 अक्टूबर-1 नवम्बर 1982, 17-18 फरवरी 2001, 22-23 मार्च 2003, 24-25 नवम्बर 2004 और 22-23 दिसम्बर 2006 को डाक टिकटों के प्रति लोगों को आकर्षित करने हेतु और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं से रूबरू कराने हेतु डाक टिकट प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इन प्रदर्शनियों में 30 अक्टूबर-1 नवम्बर 1982 को ‘फिलकाॅन-82‘ के दौरान क्रमशः प्रथम भारतीय पोस्टमास्टर जनरल राय बहादुर सालिगराम, रानी लक्ष्मीबाई व श्री राधाकृष्ण मन्दिर (जे0के0मन्दिर) पर, तत्पश्चात 24 नवम्बर 2004 को ’कानफिलेक्स-2004‘ के दौरान कानपुर जी0पी0ओ0 भवन पर और 22 व 23 दिसम्बर 2006 को ‘कानपेक्स-2006‘ के दौरान क्रमशः ’कानपुर की स्थापत्य कला’ (कानपुर जी0पी0ओ0, लालइमली, फूलबाग, कानपुर सेण्ट्रल रेलवे स्टेशन, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के भवनों के चित्र अंकित) एवं ’बिठूर की धरोहरें’ (नानाराव पेशवा का किला, स्वर्ग नसेनी, ब्रहमावर्त घाट, लवकुश जन्मस्थली के चित्र अंकित) पर विशेष आवरण जारी किये गये। इसी प्रकार 17 जनवरी 2009 को महाराज प्रयाग नारायण मंदिर, शिवाला पर विशेष आवरण जारी किया गया। इन जारी आवरणों द्वारा कानपुर की समृद्ध ऐतिहासिक विरासतों को दर्शाने का प्रयास किया गया है।

8 comments:

डॉ. मनोज मिश्र said...

बहुत अच्छी जानकारी .

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

वाकई आपका ब्लॉग जानकारियों का खजाना है...ऐसी जानकरियां रोचक व ज्ञानवर्धक हैं.

S R Bharti said...

i am in Kanpur. its very nice information.

Abhishek Ojha said...

अच्छी जानकारी.

Shyama said...
This comment has been removed by the author.
Shyama said...

यही आपके ब्लॉग की विशेषता है की हर बार कुछ नया व अलग सा.

Anonymous said...

के. के. जी! कानपुर में रहते हुए आपने पूरा इतिहास खंगाल डाला...उम्दा जानकारी.

Alpana Verma said...

यह तो वाकई आज दुर्लभ चित्र और जानकारी मिली.शुक्रिया