Thursday, September 30, 2010

मदर टेरेसा की पुण्य-तिथि पर अमेरिका द्वारा डाक टिकट


ममता की प्रतीक मदर टेरेसा के मानवीय सेवा के क्षेत्र में करीब पचास वर्षों के योगदान के लिए उनके सम्मान के तौर पर अमेरिका ने उनकी पुण्यतिथि पर 5 सितम्बर, 2010 को 44 सेंट का एक डाक टिकट जारी किया है। मदर-टेरेसा पर इससे पूर्व भारत सहित तमाम देशों ने डाक -टिकट जारी किये हैं. वाशिंगटन के बेसिलिका में स्थित नेशनल श्राइन आफ द इमेकुलेट कांसेप्शन में एक विशेष समारोह में अमेरिका के डाक विभाग ने यह डाक टिकट जारी किया। इस डाक टिकट में 1979 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मदर टेरेसा की तस्वीर है और इस चित्र को कोलेरैडो स्प्रिंग निवासी प्रख्यात चित्रकार थामस ब्लैकशियर द्वितीय ने तैयार किया है। गौरतलब है कि पाँच सितंबर 1997 को मदर टेरेसा का कोलकाता में निधन हो गया था। मदर को वर्ष 1996 में अमेरिका की मानद् नागरिकता दी गई थी। डाक टिकट अनावरण कार्यक्रम में ब्लैशियर द्वितीय भी उपस्थित थे।

रोमन कैथोलिक नन मदर ने लगभग 50 वर्ष तक भारत और दुनिया के दूसरे देशों में गरीबों और दुखियारों की सेवा की। अल्बानिया की निवासी मदर टेरेसा ने 1950 में कोलकाता में मिशनरीज़ आफ चैरिटी की स्थापना की। भारत में लंबे समय तक काम करने के बाद वह यहीं की नागरिक हो गई थीं। मदर को जब 1979 में नोबेल पुरस्कार मिला, तो उन्होंने उसे ‘गरीबों, भूखों, बीमारों और अकेलेपन के शिकार’ लोगों के नाम कर दिया। उन्होंने पुरस्कार की राशि को ऐसे ही लोगों के नाम दान कर दिया।

पोस्टमास्टर जनरल जान पाटर ने डाक टिकट जारी करने के बाद कहा “आम तौर पर डाक टिकटों को देश के ‘काॅलिंग कार्ड’ कहा जाता है क्योंकि वे स्थानीय और दूसरे देशों के लोगों तक भी पहुंचते हैं। डाक टिकट जारी होने के समारोह के दौरान यूएस पोस्टल सर्विस के बोर्ड आफ गवर्नर्स के सदस्य जेम्स एच बाइबरी, आर्कबिशप पीटरो सांबी समेत चर्च के कई पदाधिकारी मौजूद थे।

Tuesday, September 14, 2010

अंडमान में भी मनाया गया हिंदी-दिवस

भारत के सुदूर दक्षिणी अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में निदेशक डाक सेवा कार्यालय में हिन्दी-दिवस का आयोजन किया गया. निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और पारंपरिक द्वीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया. कार्यक्रम के आरंभ में अपने स्वागत भाषण में सहायक डाक अधीक्षक श्री रंजीत आदक ने इस बात पर प्रसन्नता जाहिर कि निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव स्वयं हिन्दी के सम्मानित लेखक और साहित्यकार हैं, ऐसे में द्वीप-समूह में राजभाषा हिन्दी के प्रति लोगों को प्रवृत्त करने में उनका पूरा मार्गदर्शन मिल रहा है. हिन्दी कि कार्य-योजना पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर, 1949 को सर्वसम्मति से हिंदी को संघ की राजभाषा घोषित किया गया था, तब से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है. इस अवसर पर जोर दिया गया कि राजभाषा हिंदी अपनी मातृभाषा है, इसलिए इसका सम्मान करना चाहिए और बहुतायत में प्रयोग करना चाहिए.

इस अवसर पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए चर्चित साहित्यकार और निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने हिन्दी को जन-जन की भाषा बनाने पर जोर दिया। अंडमान-निकोबार में हिन्दी के बढ़ते क़दमों को भी उन्होंने रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि हमें हिन्दी से जुड़े आयोजनों को उनकी मूल भावना के साथ स्वीकार करना चाहिए। स्वयं डाक-विभाग में साहित्य सृजन की एक दीर्घ परम्परा रही है और यही कारण है कि तमाम मशहूर साहित्यकार इस विशाल विभाग की गोद में अपनी काया का विस्तार पाने में सफल रहें हैं. इनमें प्रसिद्ध साहित्यकार व ‘नील दर्पण‘ पुस्तक के लेखक दीनबन्धु मित्र, ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित लोकप्रिय तमिल उपन्यासकार पी0वी0अखिलंदम, राजनगर उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित अमियभूषण मजूमदार, फिल्म निर्माता व लेखक पद्मश्री राजेन्द्र सिंह बेदी, ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता मशहूर लेखिका महाश्वेता देवी, सुविख्यात उर्दू समीक्षक शम्सुररहमान फारूकी, शायर कृष्ण बिहारी नूर जैसे तमाम मूर्धन्य नाम शामिल रहे हैं। उपन्यास सम्राट प्रेमचन्द जी के पिता अजायबलाल भी डाक विभाग में ही क्लर्क रहे।

निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव यादव ने अपने उद्बोधन में बदलते परिवेश में हिन्दी की भूमिका पर भी प्रकाश डाला और कहा कि- ''आज की हिन्दी ने बदलती परिस्थितियों में अपने को काफी परिवर्तित किया है. विज्ञान-प्रौद्योगिकी से लेकर तमाम विषयों पर हिन्दी की किताबें अब उपलब्ध हैं, पत्र-पत्रिकाओं का प्रचलन बढ़ा है, इण्टरनेट पर हिन्दी की बेबसाइटों और ब्लॉग में बढ़ोत्तरी हो रही है, सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कई कम्पनियों ने हिन्दी भाषा में परियोजनाएं आरम्भ की हैं. निश्चिततः इससे हिन्दी भाषा को एक नवीन प्रतिष्ठा मिली है।'' श्री यादव ने जोर देकर कहा कि साहित्य का सम्बन्ध सदैव संस्कृति से रहा है और हिन्दी भारतीय संस्कृति की अस्मिता की पहचान है। इस अवसर पर पोर्टब्लेयर प्रधान डाकघर के पोस्टमास्टर एम. गणपति ने कहा कि आज हिन्दी भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में अपनी पताका फहरा रही है और इस क्षेत्र में सभी से रचनात्मक कदमों की आशा की जाती है। इस अवसर पर डाकघर के कर्मचारियों में हिंदी के प्रति सुरुचि जाग्रति करने के लिए निबंध लेखन, पत्र लेखन, हिंदी टंकण, श्रुतलेख, भाषण और परिचर्चा जैसे विभिन्न कार्यक्रम भी आयोजित किये गए. कार्यक्रम में जन सम्पर्क निरीक्षक पी. नीलाचलम, कुच्वा मिंज, शांता देब, निर्मला, एम. सुप्रभा, पी. देवदासु, मिहिर कुमार पाल सहित तमाम डाक अधिकारी/ कर्मचारी उपस्थिति रहे. कार्यक्रम का सञ्चालन हिंदी अनुभाग के कुच्वा मिंज द्वारा किया गया.
(जारी प्रेस-विज्ञप्ति)