लघु बचत योजनाओं को और प्रभावी बनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की डिप्टी गवर्नर श्यामला गोपीनाथ की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सरकार को 7 जून, 2011 को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में कुछेक प्रभावी सुझाव दिए हैं. इनमें से तमाम सुझाव डाक-घरों में बचत बैंक की स्थिति को सुदृढ़ करते हैं-
-लघु बचत योजनाओं पर मिलने वाले रिटर्न को सरकारी प्रतिभूतियों पर मिल रही ब्याज दरों से जोड़ दिया जाए.
-पोस्ट ऑफिस बचत योजना पर भी 4%ब्याज दिया जाए.
-एनएससी की परिपक्वता अवधि मौजूदा 6 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष कर दी जाए.
-किसान विकास पत्र (केवीपी) को बंद कर इसकी जगह 10 वर्ष अवधि वाला एनएससी जारी किया जाए.
-पीपीएफ में निवेश की मौजूदा सीमा 70,000 रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये कर दी जाए.
-सिफारिश के लागू होने के बाद एक साल की जमा योजना पर ब्याज दर मौजूदा 6.25% से बढ़कर 6.8% हो जाए.
-पीपीएफ पर रिटर्न मौजूदा 8% से बढ़कर 8.2% हो जाए.
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार इस कमेटी के सुझावों पर अमल करती है तो जल्द ही छोटे निवेशकों को काफी फायदा मिल सकता है। कमेटी ने जो सुझाव दिए हैं उनका मुख्य उद्देश्य बढ़ती महंगाई के इस दौर में लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरों को मार्केट से जोडऩा है, जिससे निवेशकों को ज्यादा फायदा हो। इसके अलावा किसान विकास पत्र (केवीपी) के स्थान पर जो 10 साल अवधि के राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) लाने की बात कही गई है, इससे लंबी अवधि के लिए निवेश करने वाले निवेशकों को भी फायदा होगा।
इसी प्रकार ,लघु बचत योजनाओं की तुलना में बैंक ज्यादा ब्याज दे रहे हैं, इससे इनकी ओर लोगों का रुझान कम हो रहा है। ऐसे में यदि सरकार पोस्ट ऑफिस बचत पर चार प्रतिशत ब्याज के प्रस्ताव को मान लेती है तो इससे छोटे निवेशकों को तो फायदा होगा ही साथ ही सरकार के खजाने में भी वृद्धि होगी। पब्लिक प्रोविडेंट फंड, जो बचत के साथ ही आयकर में छूट पाने का सबसे बेहतर जरिया है, में निवेश की सीमा भी अगर 70,000 रुपये से बढ़ कर एक लाख रुपये हो जाती है तो लंबी अवधि में यह बहुत ही सकारात्मक कदम साबित होगा।
..फ़िलहाल कमेटी की रिपोर्ट चर्चा में है और लोगों के इसके फलीभूत होने का इंतजार है !!
2 comments:
सराहनीय कदम..इससे काफी बदलाव होगा.
सराहनीय कदम..इससे काफी बदलाव होगा.
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