संचार सेवायें सदैव से मानवीय जीवन का अभिन्न अंग रही है। संचार के क्षेत्र में डाक सेवाओं का सदैव से प्रमुख स्थान रहा है । वर्तमान में सूचना एवं संचार क्रान्ति के चलते तमाम नवीन तकनीकों का आविष्कार हुआ है, पर डाक-विभाग ने समय के साथ नव-तकनीक के प्रवर्तन, अपनी सेवाओं में विविधता एवं अपने व्यापक नेटवर्क के चलते विभिन्न संगठनों के उत्पादों व सेवाओं के वितरण एवं बिक्री हेतु उनसे गठजोड़ करके अपनी निरन्तरता कायम रखी है। डाक सेवाओं का इतिहास बहुत पुराना है, पर भारत में एक विभाग के रूप में इसकी स्थापना 1 अक्तूबर 1854 को लार्ड डलहौजी के काल में हुई। 1 अक्तूबर 1854 को ही पूरे भारत हेतु प्रथम बार डाक टिकट जारी किये गये। डाक टिकट के परिचय के साथ ही बिना दूरी का ध्यान रखे ‘एक समान डाक दर‘ को लागू किया गया तो इसी दौरान सर्वप्रथम लेटर बाक्स भी स्थापित किये गये। डाकघरों में बुनियादी डाक सेवाओं के अतिरिक्त बैंकिंग, वित्तीय व बीमा सेवाएं भी उपलब्ध हैं। एक तरफ जहाँ डाक-विभाग सार्वभौमिक सेवा दायित्व के तहत सब्सिडी आधारित विभिन्न डाक सेवाएं दे रहा है, वहीं पहाड़ी, जनजातीय व दूरस्थ क्षेत्रों में भी उसी दर पर डाक सेवाएं उपलब्ध करा रहा है।
सामरिक रूप से महत्वपूर्ण होने के कारण ब्रिटिश शासन काल से ही अंग्रेजों ने अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में भी संचार साधनों की प्रमुखता पर जोर दिया। इनमें डाक सेवायें सर्वप्रमुख थीं। ब्रिटिश-काल के दौरान यहाँ एकमात्र डाकघर रास आइलैण्ड पर अवस्थित था, जो द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति पर कमिश्नर आफिस के साथ ही वर्तमान सचिवालय स्थान पर स्थानांतरित हो गया। यह उप डाकघर उस समय प्रधान डाकघर पेगू (बर्मा) के अधीन था और बर्मा के अलावा कलकत्ता व मद्रास से जलयान द्वारा डाक प्राप्त करता था। स्वतंत्रता पश्चात यह उप डाकघर बैरकपुर प्रधान डाकघर, कलकत्ता के अधीन आ गया। ब्रिटिश काल के दौरान पोर्टब्लेयर के अलावा चाथम एवं लांग-आइलैंड में भी डाकघर खोले गए अर्थात आजादी के समय यहाँ कुल तीन डाकघर थे । आजादी पश्चात इन तीनों डाकघरों का प्रशासन प्रेसीडेंसी डिवीजन ( मुख्यालय बैरकपुर ) द्वारा संचालित होता था। बाद में प्रेसीडेंसी डिवीजन के विभाजन पश्चात द्वीपों के डाकघर साउथ प्रेसीडेंसी डिवीजन (मुख्यालय कलकत्ता) के अधीन आ गए। जैसे-जैसे द्वीप समूहों में लोगों का पुनर्वास हुआ, डाक सेवाओं की माँग बढ़ने लगी। इसी क्रम में मई 1961 में यहाँ प्रथम उपमंडल की स्थापना एक निरीक्षक के अधीन हुई। 27 अप्रैल 1971 को यहाँ एक स्वतंत्र डिवीजन की स्थापना डाक अधीक्षक के अधीन हुई। जैसे-जैसे द्वीप समूहों में डाक-सेवाओं का विस्तार होता गया, डाकघरों की संख्या व कार्य भी बढ़ते गए। 19 सितंबर 1988 को इसे एक निदेशक के अधीन लाया गया, जो कि भारतीय डाक सेवा के जूनियर एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड का अधिकारी होता है। श्रीमती कल्पना तिवारी यहाँ प्रथम निदेशक (19.09.1988-25.10.1990) थीं और वर्तमान में श्री कृष्ण कुमार यादव (22.01.2010 से निरंतर..)निदेशक डाक सेवाएं पद पर पदस्थ हैं। निदेशक डाक सेवाएं द्वीप-समूहों का शीर्षस्थ डाक अधिकारी है। फिलहाल द्वीप-समूहों में 100 डाकघरों के माध्यम से डाक सेवाएं संचालित हैं, जिनमें प्रधान डाकघर पोर्टब्लेयर के अलावा 26 उपडाकघर व 73 शाखा डाकघर शामिल हैं। इनमें 12 डाकघर नगरीय व 88 ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत हैं। द्वीप-समूहों में कुल 158 डाक कर्मचारी हैं व 214 ग्रामीण डाक सेवक हैं। डाक के एकत्रीकरण हेतु 199 लेटर बाक्स हैं जबकि वितरण हेतु 22 पोस्टमैन व 101 ग्रामीण डाक सेवक कार्यरत हैं।
अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में वह सभी प्रमुख डाक सेवाएं उपलब्ध हैं, जो मुख्य भूमि में मिलती हैं। 26 दिसम्बर 2009 को पोर्टब्लेयर प्रधान डाकघर को भारतीय डाक की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘‘प्रोजेक्ट एरो‘‘ के तहत शामिल किया गया, जिसके तहत डाकघर की कार्यप्रणाली को सभी क्षेत्रों में सुधार एवं उच्चीकृत करके पारदर्शी, सुस्पष्ट एवं उल्लेखनीय प्रदर्शन के आधार पर और आधुनिक बनाया गया है। डाक वितरण, डाकघरों के बीच धन प्रेषण, बचत बैंक सेवाओं और ग्राहकों की सुविधा पर जोर के साथ नवीनतम टेक्नोलाजी, मानव संसाधन के समुचित उपयोग एवं आधारभूत अवस्थापना में उन्नयन द्वारा विभाग अपनी ब्राण्डिंग पर भी ध्यान केन्द्रित कर रहा है। 22 उपडाकघरों को भी अब प्रोजेक्ट एरो में शामिल कर लिया गया है। द्वीप समूह में कुल 24 डाकघर कम्यूटरीकृत हैं। स्टाफ के प्रशिक्षण हेतु पोर्टब्लेयर प्रधान डाकघर कैंपस में ”वर्किंग कंप्यूटर टेªनिंग सेंटर“ 27 नवम्बर 2010 से कार्यरत है। जन-शिकायत के निवारण के लिए निदेशक कार्यालय, पोर्टब्लेयर प्रधान डाकघर व 22 प्रोजेक्ट एरो डाकघरों में कंप्यूटरीकृत कस्टमर केयर सेंटर स्थापित किये गए हैं, जहाँ वेब-आधारित शिकायतें स्वीकार कर उनका त्वरित निस्तारण किया जाता है। डाक विभाग अब लोगों के लिए एड्रेस प्रूफ कार्ड भी जारी कर रहा है।
द्वीप समूह के डाकघरों से बचत खाता, आवर्ती जमा, सावधि जमा, मासिक आय स्कीम, लोक भविष्य निधि, वरिष्ठ नागरिक, राष्ट्रीय बचत पत्र और बचत स्कीम की खुदरा बिक्री की जाती है। ज्ञातव्य है कि ये सभी जमा राशियाँ केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों के विकास कार्यों के लिए दी जाती हैं। डाकघर की जमा योजनाओं में आकर्षक ब्याज दरें हैं। द्वीप समूह में वर्तमान में लगभग 1.6 लाख खाते चल रहे हैं और वित्तीय वर्ष 2011-12 के दौरान अब तक लगभग 68 करोड़ रूपये डाकघरों में जमा हुए। वर्तमान परिवेश में डाक विभाग वन स्टाप शाप के तहत बचत, बीमा, गैर बीमा, म्युचुअल फण्ड, पेंशन प्लान इत्यादि सेवायें प्रदान कर रहा है। इनमें से कई सेवायें अन्य फर्मों के साथ अनुबंध के तहत आरम्भ की गयी हैं। मनरेगा के तहत रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में डाकघर मजदूरी का भुगतान करने का माध्यम भी बन चुका है। द्वीप समूह में मनरेगा के 671 खातों द्वारा भुगतान किया जा रहा हैं। भारत में सबसे पुरानी बीमा सेवा ’’डाक जीवन बीमा’’ (1884) प्रदान करने वाले भारतीय डाक ने 1995 में ग्रामीण जनता को बीमा कवर उपलब्ध कराने हेतु ’’ग्रामीण डाक जीवन बीमा’’ का शुभारम्भ किया। वित्तीय वर्ष 2011-12 में अब तक डाक जीवन बीमा में रू0 10.29 करोड़ से ज्यादा का व्यवसाय हो चुका है। डाकघरों की मनीआर्डर सेवा को द्रुतगामी बनाते हुए इसे ई-मनीआर्डर में तब्दील कर दिया गया है। राजभाषा नीति के श्रेष्ठ निष्पादन हेतु निदेशक डाक सेवाएं को वर्ष 2010-11 के लिए नराकास द्वारा केन्द्र सरकार के प्रतिष्ठानों में द्वितीय पुरस्कार भी प्रदान किया गया है।
परंपरागत डाक सेवाओं को मूल्यवर्द्धित बनाकर उन्हें और आर्काक बनाया गया है। स्पीड पोस्ट व एक्सप्रेस पार्सल पोस्ट सेवा निश्चित समय के भीतर सुनिश्चित वितरण की गारंटी देते हैं। पोर्ट ब्लेयर में इंट्रा सर्किल स्पीड पोस्ट सार्टिंग हब स्थापित किया गया है। यहाँ सभी विभागीय डाकघरों में स्पीड पोस्ट बुकिंग का कार्य होता है। स्पीड पोस्ट सेवा में बुक नाउ-पे लेटर स्कीम की सुविधा भी उपलब्ध है। “बिजनेस पोस्ट” सेवा के अन्तर्गत डाक के एकत्रीकरण से लेकर पता लेखन, फ्रैंकिंग, पैकिंग आदि सम्पूर्ण गतिविधियों का एक ही स्थान पर समाधान किया जाता है तो ”मीडिया पोस्ट“ के अन्तर्गत डाक-स्टेशनरी, लेटर बाक्स, मेल गाड़ी व डाकघरों में विज्ञापन लगाने की सुविधा प्राप्त है। “बिल मेल पोस्ट” हर तिमाही न्यूनतम 5,000 प्रपत्र व बिल एक ही जिले में प्रेषित करने वालों हेतु सामान्य दरों से कम पर सुविधा उपलब्ध कराता है। इसके अलावा बाहरी डाक हेतु ”नेशनल बिल मेल सर्विस“ भी उपलब्ध है। डाकियों द्वारा उत्पादों के प्रचार-प्रसार हेतु पम्फलेट बाँटने के निमित्त’’डायरेक्ट पोस्ट सेवा’’ का इजाद किया गया तो ”रिटेल पोस्ट“ के तहत डाकघर काउण्टरों से टेलीफोन बिलों का एकत्रीकरण, विभिन्न फार्मों की बिक्री इत्यादि कार्य होते हैं। ”स्पीड पोस्ट पासपोर्ट सेवा“ के तहत पोर्टब्लेयर प्रधान डाकघर से पासपोर्ट फार्मों की बिक्री व जमा करने की सुविधा है। अब तो डाकिया डाक वितरण के दौरान पत्रों का एकत्रीकरण व डाक-स्टेशनरी की बिक्री भी करता है। डाक विभाग नई टेक्नालोजी का भी उपयोग कर रहा है, जिसमें “ई-पोस्ट” सेवा में ई-मेल द्वारा संदेश भेजे जाते हैं जिन्हें डाकघरों में प्रिन्टआउट निकालकर सम्बन्धित व्यक्ति के घर पर डाकिया द्वारा वितरित करा दिया जाता है। “इंस्टेंट मनीआर्डर सेवा’” के तहत संपूर्ण भारत में आॅनलाइन मनी ट्रांसफर के तहत धनादेश भेजने व प्राप्त करने की सुविधा है। विदेशों में रह रहे व्यक्तियों द्वारा द्वीप समूहों में अपने परिजनों को तत्काल धन अन्तरण सुलभ कराने हेतु ’’वेस्टर्न यूनियन’’ के सहयोग से ’’अंतर्राष्ट्रीय धन अन्तरण सेवा’’ पोर्टब्लेयर, बम्बूफलाट और हैवलाॅक डाकघरों में उपलब्ध है। केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन से अनुबंध के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर सटीक वास्तविक मूल्य सूचकांक तैयार करने में द्वीप समूहों में हटबे, कैंबलबे, पेरका, बकुलतला और विम्बर्लीगंज में उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्यों का संकलन कर डाक विभाग द्वारा सर्वेक्षण भी किया जा रहा है। डाक विभाग 8 जनवरी 2012 को पोर्टब्लेयर में बच्चों में पत्र-लेखन की कला को बढ़ावा देने के लिए 41वीं यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन पत्र लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया।
डाक टिकटों के क्षेत्र में भी डाक विभाग नित नये अनूठे प्रयोग कर रहा है। पिछले वर्षों में चन्दन, गुलाब और जूही वाले खुशबूदार डाक टिकट जारी किये गये हैं तो भारत के गौरव की झांकी पेश करने वाले 25 स्वर्णिम डाक टिकटों को जारी करने हेतु डाक विभाग ने लंदन स्थिति कम्पनी हालमार्क ग्रुप को अधिकृत किया है। डाक विभाग द्वारा सन् 1999 से प्रति वर्ष आयोजित ‘डाक टिकट डिजाइन प्रतियोगिता’ के विजेता की डिजाइन को अगले बाल दिवस पर डाक-टिकट के रूप में जारी किया जाता है। डाक टिकट किसी भी राष्ट्र की सभ्यता, संस्कृति एवं विरासत के प्रतिबिम्ब है, जिसके माध्यम से वहाँ के इतिहास, कला, विज्ञान, व्यक्तित्व, वनस्पति, जीव-जन्तु, राजनयिक सम्बन्ध एवं जनजीवन से जुडे़ विभिन्न पहलुओं की जानकारी मिलती है। ‘फिलेटलिक डिपाजिट एकाउण्ट‘ के तहत डाकघरों में न्यूनतम 200 रूपये से एकाउण्ट खोला जा सकता है और हर माह घर बैठे डाक टिकटें व अन्य मदें प्राप्त होती रहेंगी। अंडमान व निकोबार द्वीप समूह से जुड़े डाक टिकट भी डाक विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किए गए हैं और इस संबध में अन्य प्रस्तावों की भी अपेक्षा है। यहाँ से जुड़े डाक टिकटों में वी0 डी0 सावरकर (20 मई 1970), अंडमान टील (23 नवम्बर 1994), सेलुलर जेल (30 दिसम्बर 1997), इंटरनेशनल ईयर आफ ओशन (30 दिसम्बर 1998), कोरल्स आफ इंडिया (22 अगस्त 2001), अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की स्थानिक तितलियाँ (20जनवरी 2008), अलडाबरा कछुआ (2 अगस्त 2008), शताब्दी का प्रथम सूर्योदय कछाल द्वीप में (1जनवरी 2000) इत्यादि प्रमुख हैं। भारतीय डाक विभाग ने अंडमान में पर्यटन को बढ़ावा देने वाले मेघदूत पोस्टकार्ड भी जारी किए हैं, जिनमें सेलुलर जेल, बैरन ज्वालामुखी, रास और स्मित आइलैंड इत्यादि के चित्रों को प्रदशित किया गया है और इसे सूचना-प्रसार एवं पर्यटन निदेशालय, अंडमान व निकोबार प्रशासन द्वारा विज्ञापित किया गया है।
आज अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में डाक सेवायें अपने व्यापक नेटवर्क, विश्वसनीयता और तमाम नई सेवाओं के साथ कदम फैला रही हैं। तमाम देशों ने आज जहाँ डोर-टू-डोर डिलीवरी खत्म कर दी है वहीं अभी भी अपने देश में डाकिया हर दरवाजे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है और लोगों के सुख-दुख में शरीक होता है। डाक सेवायें समाज के अन्तिम व्यक्ति के साथ एक भावनात्मक व अटूट सम्बन्ध में अभी भी जुड़ी हुई है और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह भी इसका अपवाद नहीं है।
(कृष्ण कुमार यादव, भारतीय डाक सेवा,निदेशक डाक सेवाएं,अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, पोर्टब्लेयर-744101)
3 comments:
aapko dekh kar hamari subhah se sham hota hai.apko apna path pradarshak maanta hun.apko un photo me dekh kar man prasann hota hai.
अंदमान-निकोबार में डाक सेवाओं के बारे में अच्छी जानकारी मिली..आभार.
चित्र बता रहे हैं कि कृष्ण कुमार जी ने अंदमान में डाक सेवाओं को समृद्ध करने के लिए कई कदम उठाये हैं..यही जज्बा बना रहे.
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