Monday, October 8, 2012

यूँ आरंभ हुआ 9 अक्तूबर को 'विश्व डाक दिवस' मनाने का चलन..

’हरकारों’ से लेकर ’कम्प्यूटर’ तक डाक विभाग ने एक लम्बा सफर तय किया है। वर्तमान में सूचना एवं संचार क्रान्ति के चलते तमाम नवीन तकनीकों का आविष्कार हुआ है, पर डाक-विभाग ने समय के साथ नव-तकनीक के प्रवर्तन, अपनी सेवाओं में विविधता एवं अपने व्यापक नेटवर्क के चलते विभिन्न संगठनों के उत्पादों व सेवाओं के वितरण एवं बिक्री हेतु उनसे गठजोड़ करके अपनी निरन्तरता कायम रखी है।

पूरी दुनिया में 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में मनाया जाता है। 9 अक्टूबर 1874 को 'यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन' के गठन हेतु बर्न, स्विटजरलैण्ड में 22 देशों ने एक संधि पर हस्ताक्षर किया था, इसी कारण 9 अक्टूबर को कालान्तर में ‘‘विश्व डाक दिवस‘‘ के रूप में मनाना आरम्भ किया गया। यह संधि 1 जुलाई 1875 को अस्तित्व में आयी, जिसके तहत विभिन्न देशों के मध्य डाक का आदान-प्रदान करने संबंधी रेगुलेसन्स शामिल थे। कालान्तर में 1 अप्रैल 1879 को जनरल पोस्टल यूनियन का नाम परिवर्तित कर यूनीवर्सल पोस्टल यूनियन कर दिया गया। यूनीवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बनने वाला भारत प्रथम एशियाई राष्ट्र था, जो कि 1 जुलाई 1876 को इसका सदस्य बना। जनसंख्या और अन्तर्राष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के आधार पर उस समय सदस्य राष्ट्रों की 6 श्रेणियां थीं और भारत आरम्भ से ही प्रथम श्रेणी का सदस्य रहा। 1947 में यूनीवर्सल पोस्टल यूनियन, संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशिष्ट एजेंसी बन गई।

वर्ष 1969 में टोकियो, जापान में सम्पन्न यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन, कांग्रेस में सर्वप्रथम 9 अक्टूबर को विश्व डाक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गयी। यह भी गौरतलब है की विश्व डाक संघ के गठन से पूर्व दुनिया में एक मात्र अन्तर्राष्ट्रीय संगठन रेड क्रास सोसाइटी (1870) था।


- कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवाएँ, इलाहाबाद परिक्षेत्र, इलाहाबाद.

2 comments:

Shahroz said...

Nice Information...Great.

Unknown said...

HISTORICAL DAY OF DOP.