जीवन की पहली चिट्ठी
मैंने
अपने जीवन की
जो पहली चिट्ठी लिखी
उसे मैं पत्र पेटिका में नहीं डाक सकता था
उसका डाकिया मुझे खुद बनना पड़ा
लेकिन मैं दुनिया का सबसे बे-शऊर डाकिया साबित हुआ
कि उसे हाथ में देने की बजाय
फेंककर पलायित हुआ।
जीवन का आखिरी पत्र
अक्सर
मोबाइल पर
इन्टरनेट पर
सन्देश लिखते हुए
मैं सोचने लगता हूँ कि
मैंने कब लिखा था आखिरी पत्र
अपने जीवन का
और गया था उसे पोस्ट करने
डाकघर.
लगता है
काफी समय गुजर गया है
क्योंकि मुझे कुछ याद नहीं है
यह भी नहीं
कि किसे लिखा था।
- केशव शरण
(केशव शरण का नाम हिंदी-साहित्य में किसी परिचय का मोहताज़ नहीं है. देश की प्राय: अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होने वाले केशव शरण भारतीय डाक विभाग में कार्यरत हैं और सम्प्रति बनारस में पोस्टमास्टर के पद पर कार्यरत हैं. उनसे संपर्क का पता- एस 2/564 सिकरौल, वाराणसी -221002. मो.बा.- 9415295137)
3 comments:
दोनो ही रचनायें शानदार्।
MOBILE AUR INTERNET KE AA JANE SE LOG EK DUSRE KE NIKAT AA GAYE HAI CHITHHI LIKHNA TO LOG BHOOL HI GAYE AB CHITHHIYON KI NAHI MOBILE KE AWAZ KI PTRATIKSHA RAHTI HAI.DONO KAWITAYEN BHAW SE PARIPURNA HAI.
बहुत प्यारी कविता लिखते हैं केशव शरण जी ..बधाई.
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