बाल दिवस की बात हो तो उन बाल प्रतिभाओं का जिक्र भी जरूरी हो जाता है, जिन्होंने कम उम्र में ही सफलता के नये कीर्तिमान रचे। भारत सरकार द्वारा हर साल 14 नवम्बर को विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट उपलब्धि हासिल करने वाले बच्चों को ’राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ प्रदान किये जाते हैं। चार वर्ष से पन्द्रह वर्ष की आयु-वर्ग के बच्चे इस पुरस्कार को प्राप्त करने के पात्र हैं। पर इसे सबसे कम उम्र में प्राप्त करने का गौरव जोधपुर में रह रही अक्षिता (पाखी) को प्राप्त है। वर्ष 2011 में मात्र 4 साल 8 माह की आयु में ही अक्षिता को 'कला’ और ’ब्लॉगिंग’ के लिए भारत सरकार द्वारा बाल दिवस पर ’राष्ट्रीय बाल पुरस्कार’ से विज्ञान भवन में नवाजा गया। अक्षिता ने इसे जहाँ सबसे कम उम्र में पाने का कीर्तिमान बनाया, वहीं ब्लॉगिंग के लिए भी भारत सरकार द्वारा राजकीय स्तर पर प्रथम सम्मान-पुरस्कार पाने का गौरव प्राप्त किया। यही नहीं, इससे पूर्व अक्षिता को नई दिल्ली में अप्रैल, 2011 में हुए अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल ”निशंक” द्वारा ‘श्रेष्ठ नन्ही ब्लॉगर‘ के सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।
हैपी आवर्स स्कूल, जोधपुर में कक्षा 5 की छात्रा अक्षिता बड़ी होकर आई.ए.एस ऑफिसर बनने की तमन्ना रखती है। उसके पिता श्री कृष्ण कुमार यादव राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएं पद पर पदस्थ हैं व मम्मी श्रीमती आकांक्षा एक कालेज में प्रवक्ता रही हैं। दोनों ही जन चर्चित साहित्यकार व सक्रिय ब्लॉगरभी हैं।
अक्षिता के पिता श्री कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि, अक्षिता को शुरू से ही ड्राइंग बनाना बहुत अच्छा लगता है। उसके बनाए चित्रों को सहेजने और अक्षिता की गतिविधियों को ब्लॉग के माध्यम से लोगों के सामने प्रस्तुत करने के विचारस्वरुप 24 जून 2009 को “पाखी की दुनिया” (http://pakhi-akshita.blogspot.in/ ) नाम से अक्षिता का ब्लॉग अस्तित्व में आया। देखते ही देखते करीब एक लाख से अधिक हिन्दी ब्लॉगों में इस ब्लॉग की रेटिंग बढ़ती गई और आज इस ब्लॉग पर 460 से भी ज्यादा पोस्ट प्रकाशित हो चुकी हैं और 260 से ज्यादा लोग इसका अनुसरण करते हैं। इस ब्लॉग पर अकल्पनीय प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुईं और 100 से ज्यादा देशों में इसे देखा-पढ़ा जाता है। अक्षिता और उसका ब्लॉग ‘पाखी की दुनिया‘ फेसबुक (https://www.facebook.com/AkshitaaSingh/ ) पर भी उपलब्ध है, जहाँ 1883 लोग इसे पसंद करते हैं।
अक्षिता को देश-दुनिया में तमाम सम्मान भी प्राप्त हुए हैं। अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर सम्मेलन, श्री लंका (25 मई 2015) में उसे ”परिकल्पना कनिष्ठ सार्क ब्लॉगर सम्मान” से सम्मानित किया जा चुका है। विभिन्न मंचों पर महिला एवं बाल विकास मंत्री, भारत सरकार, श्रीमती कृष्णा तीरथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल ”निशंक”, केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष डा. अशोक चक्रधर, फिल्म अभिनेत्री शबाना आजमी, सांसद डिम्पल यादव और दबंग फेम म्यूजिक-कम्पोजर वाजिद खान भी इस नन्ही ब्लॉगर को सम्मानित कर चुके हैं।
21वीं सदी टेक्नालाजी की है। आज बच्चा कलम बाद में पकड़ता है, मोबाइल, टेलीवीजिन कम्प्यूटर व लैपटॉप पर हाथ पहले से ही फिराने लगता है। ऐसे में नन्ही प्रतिभा अक्षिता (पाखी) को देखकर यही कहा जा सकता है कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं, बशर्तें उसे अनुकूल वातावरण व परिवेश मिले। अक्षिता (पाखी) को श्रेष्ठ नन्ही ब्लॉगर और सबसे कम उम्र में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार मिलना यह दर्शाता है कि बच्चों में आरंभ से ही सृजनात्मक-शक्ति निहित होती है। उसे इग्नोर करना या बड़ों से तुलना करने की बजाय यदि उसे बाल-मन के धरातल पर देखा जाय तो उसे पल्लवित-पुष्पित किया जा सकता है।
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