Friday, November 30, 2018

Indian Postal Service officers keep beating IAS, IPS to top posts, from UPSC to RAW chief

The recent appointment of Arvind Saxena as the chairman of the Union Public Service Commission (UPSC) has brought the focus back on a relatively little-known branch of the country’s bureaucracy — the Indian Postal Service (IPoS).

Arvind Saxena, who took charge Thursday, is the first former Indian Postal Service (IPoS) officer to be appointed as the UPSC chairman. Another officer from the cadre, IMG Khan, is a member of the UPSC.

While it is a relatively low-profile department, several Indian Postal Service (IPoS) officers occupy important positions in the central government ministries.

The Indian Postal service has also produced bureaucrats such as former R&AW chief Vikram Sood, and former special secretary, cabinet secretariat, Tilak Devasher, apart from Arvind Saxena.The three of them, however, have not served in the IPoS for too long.
Vikram Sood, who authored The Unending Game: A Former R&AW Chief’s Insights into Espionage, was permanently absorbed into the R&AW cadre and served there for 31 years.
Tilkak Devashar, a South Asia expert and author of Pakistan: At the Helm, had also served a long tenure in cabinet secretariat before retiring in October 2014. Formerly, an officer from the Indian Postal Service (IPoS), he had resigned from the service before working in cabinet secretariat.

Arvind Saxena too served in R&AW for twenty-seven years, since he joined the agency in 1988.

An old service : Indian Postal Service (IPoS)

The Indian Postal Service (IPoS) is one of the oldest Group ‘A’ Central Civil Services, where officers are selected through the prestigious civil services examination conducted by the UPSC.

Indian Postal Service (IPoS) officers are tasked with looking after the overall administration of the Postal Division where they are posted. This includes management of postal services and operations, looking after post offices and mail offices, expansion of the postal network, public grievance redressal and personnel management.

Once considered a crucial service, when post offices played a significant role in the country’s affairs, the Indian Postal Service (IPoS) has fallen down the pecking order in Indian bureaucracy.

But while its role may have been diminished, the Indian Postal service has been reinventing itself, beating back predictions that it would become redundant, with the death of traditional mail.

“Till the 1970s, it was considered a crucial service and the backbone of India’s communication network with its network spread in every nook and corner of the country,” a senior IPoS officer told The Print. “The service was influential for mobilising small savings of the government and also government funds to states for developmental work.” The officer added that with the advent of unregulated courier services, banks and the internet in the late 80s and early 90s, the service went through a ‘dark’ period. “Many of these challenges still remain because of the delay in decision making and implementation of suggestions recommended by various internal committees in tackling these challenges,” the official said. The officer added that while Indian Postal Service (IPoS) is still considered one of the most trusted networks in the country, there continues to be a deficit in the expenditure, incurred especially in human resources and other technologies, and the revenue earned by the department.

Thursday, November 29, 2018

भारतीय डाक सेवा के अधिकारी रहे अरविन्द सक्सेना बने संघ लोक सेवा आयोग के नए अध्यक्ष

भारतीय डाक सेवा के 1978 बैच के अधिकारी रहे श्री अरविंद सक्सेना को 28 नवंबर 2018 को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी), नई दिल्ली का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।  यूपीएससी नौकरशाहों, राजनयिकों और पुलिस अधिकारियों के चयन के लिए परीक्षाएं आयोजित करता है। श्री सक्सेना का कार्यकाल 7 अगस्त 2020 तक होगा। वह वर्तमान में 20 जून से यूपीएससी के कार्यकारी प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे थे।

कार्मिक मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में बताया गया कि राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद ने संघ लोक सेवा आयोग अध्यक्ष  के रूप में श्री अरविन्द सक्सेना की नियुक्ति को मंजूरी दी। श्री सक्सेना ने 8 मई 2015 को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) सदस्य के रूप में जॉइन किया था। संघ लोक सेवा आयोग  आने से पहले वह उड्डयन शोध केंद्र में निदेशक के रूप में कार्य कर रहे थे। श्री सक्सेना ने दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सिविल इंजीनियरिंग और आईआईटी से एमटेक किया है।


डीटीयू व आईआईटी दिल्ली के इंजीनियरिंग छात्र रहे हैं अरविंद सक्सेना 

दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (वर्तमान में दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय) से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और आईआईटी दिल्ली से एमटेक करने वाले श्री अरविन्द सक्सेना  भारतीय डाक सेवा में 1978 बैच के अधिकारी रहे हैं। भारतीय डाक सेवा में रहने के दौरान वे अलीगढ़ में स्टाम्प व सील फैक्ट्री के आधुनिकीकरण के लिए विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) रहे और प्रतिष्ठित माने जाने वाले डाक एवं तार प्रशिक्षण केंद्र (पीएंडटी ट्रेनिंग सेंटर), सहारनपुर  के प्रिंसिपल के तौर पर भी नियुक्त रहे। 

2015 में यूपीएससी सदस्य बनने वाले 32 साल में पहले रॉ अफसर बने थे

वर्ष 1988 में भारतीय डाक सेवा से रॉ में प्रतिनियुक्ति पर आने वाले श्री अरविन्द सक्सेना को पड़ोसी देशों में रणनीतिक विकास के अध्ययन का विशेषज्ञ माना जाता है। इस दौरान वे जम्मू-कश्मीर में तैनात रहे और चीन, पाकिस्तान सहित 5 देशों में रॉ को अपनी सेवाएं दीं। वर्ष 2014 में उन्हें  को एविएशन रिसर्च सेंटर (एआरसी) में विशेष सचिव के तौर पर नियुक्त किया गया, जो वायुसेना की विशेष फ्रंटियर फोर्स के कमांडो को ट्रांसपोर्ट उपलब्ध कराती है और देश के सीमावर्ती इलाकों में मानवरहित विमानों के जरिए निगरानी का काम करती है। वर्ष 2015 में उन्हें यूपीएससी में सदस्य के तौर पर शामिल किया गया और तब से वे यहीं पर तैनात थे।


Sunday, November 25, 2018

टॉप ब्लॉग्स में शामिल हुआ डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव का ब्लॉग 'डाकिया डाक लाया'

देश-विदेश में इंटरनेट पर हिंदी के व्यापक प्रचार-प्रसार और ब्लॉगिंग के माध्यम से अपनी रचनाधर्मिता को विस्तृत आयाम देने वाले लखनऊ (मुख्यालय) परिक्षेत्र, उत्तर प्रदेश  के निदेशक डाक सेवाएं कृष्ण कुमार यादव के ब्लॉग  "डाकिया डाक लाया" (http://dakbabu.blogspot.in/) को  टॉप हिंदी ब्लॉग्स में शामिल किया गया है। वर्ष 2008 से ब्लॉगिंग में सक्रिय एवम  ''दशक के श्रेष्ठ हिंदी ब्लॉगर दम्पति'' और  सार्क देशों के सर्वोच्च ''परिकल्पना ब्लॉगिंग सार्क शिखर सम्मान'' से सम्मानित  कृष्ण कुमार यादव के ब्लॉग  को इंडियन टॉप ब्लॉग्स द्वारा हाल ही में जारी  हिंदी के सर्वश्रेष्ठ 125  ब्लॉगों की डायरेक्टरी में स्थान दिया गया है। वर्तमान में हिंदी में एक लाख से ज्यादा ब्लॉग संचालित हैं। श्री यादव इससे पूर्व पोर्टब्लेयर, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, इलाहाबाद-वाराणसी, जोधपुर, राजस्थान  में भी निदेशक डाक सेवाएं के पद पर रह चुके हैं।   
 गौरतलब है  कि डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव नेपाल, भूटान और श्रीलंका सहित तमाम देशों में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय ब्लॉगर्स सम्मेलन में सम्मानित हो चुके हैं।  उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव द्वारा वर्ष  2012 में श्री यादव को  ”न्यू मीडिया एवं ब्लाॅगिंग” में उत्कृष्टता के लिए ''अवध सम्मान'' से भी विभूषित किया जा  चुका है। सौ से ज्यादा देशों में देखे-पढ़े जाने वाले इनके ब्लॉग 'डाकिया डाक लाया' पर अब तक 945 पोस्ट प्रकाशित हैं। इसे पाँच लाख से ज्यादा लोगों ने पढ़ा है। 

ब्लॉगिंग के साथ-साथ कृष्ण कुमार यादव साहित्य और लेखन में भी सक्रिय हैं।  विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित  होने के साथ-साथ, अब तक श्री यादव की 7 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। देश-विदेश में  शताधिक सम्मानों से विभूषित  कृष्ण कुमार यादव एक लंबे समय से ब्लॉग और सोशल  मीडिया के माध्यम से हिंदी साहित्य एवं विविध विधाओं में अपनी रचनाधर्मिता को प्रस्फुटित करते हुये अपनी व्यापक पहचान बना चुके हैं।
















Friday, November 23, 2018

उत्तर प्रदेश के सभी डाकघर अब कोर सिस्टम इंटीग्रेटर (CSI) से जुड़े

 उत्तर प्रदेश डाक परिमंडल के सभी डाकघर अब कोर सिस्टम इंटीग्रेटर (सीएसआई) से जुड़ गये हैं। लखनऊ डाक मंडल और लखनऊ जीपीओ द्वारा अंतिम चरण में 20 नवम्बर 2018 को इससे जुड़ने के बाद उत्तर प्रदेश की सभी 68 इकाईयां अपने 2301 डाकघरों के माध्यम से टेक्नालॉजी के नए दौर में प्रवेश कर चुकी हैं। डाकघरों में कोर बैकिंग, कोर इंश्योरेंस और दर्पण प्रोजेक्ट के बाद आईटी आधुनिकीकरण परियोजना के भाग के रूप में कोर सिस्टम इंटीग्रेटर (सीएसआई) का आरम्भ किया हैे । संचार क्रांति के इस दौर में अब डाकघर अद्यतन टेक्नालॉजी के साथ नई इबारत लिखने को तैयार हैं। सीएसआई प्रोजेक्ट लागू होने से सभी सेवाओं के लिए एक काॅमन प्लेटफार्म उपलब्ध होगा जिसके द्वारा ग्राहकों को अच्छी और त्वरित सेवाएं मिलेगी । उक्त उद्गार बतौर मुख्य अतिथि श्री वी.पी. सिंह, चीफ पोस्टमास्टर जनरल, उत्तर प्रदेश परिमण्डल ने 20 नवम्बर 2018 को चौक प्रधान डाकघर लखनऊ में “कोर सिस्टम इंटीग्रेटर“ का शुभारम्भ करते हुए व्यक्त किये । इस अवसर पर चीफ पोस्टमास्टर जनरल  ने ग्राहकों को स्पीड पोस्ट बुकिंग की सीएसआई जनरेटेड रसीद भी दिया । 

लखनऊ (मुख्यालय) परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवायें श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि भारत सरकार के डिजिटल इण्डिया अभियान से अब डाकघर भी जुड़ रहे हैं। डाकघरों में बुकिंग, वितरण, बचत व बीमा सम्बन्धी विभिन्न कार्यों  के लिए अभी भिन्न-भिन्न  साॅफ्टवेयरों  का इस्तेमाल किया जाता है । इन सभी को एक ही प्लेटफार्म पर लाने से त्वरित और सुव्यवस्थित कार्य होगा।  इस प्रणाली से विभाग के कर्मचारियों के सभी रिकार्ड जैसे कर्मचारियों की उपस्थिति, व्यक्तिगत डाटा, सर्विस बुक, कर्मचारियों की छुट्टी आदि कार्य आनलाइन हो जाएगा। कर्मचारियों के सभी कार्यो की प्रगति विभाग के शीर्ष अधिकारी भी आनलाइन देख सकते है। 
श्री यादव ने  बताया कि हर स्तर पर कोर सिस्टम इंटीग्रेटर लागू हो जाने के बाद डाक विभाग पूरी तरह  मेल आपरेशन, वित्त व लेखा, इन्वेंटरी प्रक्योरमेंट, एच.आर, और पे-रोल जैसे तमाम कार्य कोर सिस्टम इंटीग्रेशन के माध्यम से सम्पन्न होंगे । श्री यादव ने कहा कि इससे भविष्य में प्रशासन की गतिविधियों जैसे भर्ती, प्रशिक्षण, पदोन्नति, वेतन और प्रदर्शन प्रबंधन में सुधार होगा। कॉल सेंटर, वेब पोर्टल और मोबाइल डिवाइसेज के माध्यम से ग्राहक सेवा प्रदान करने के साथ यह डाकघर काउंटरों की कार्यात्मकताओं को भी बढ़ाएगा और डाकघरों को पेपरलेस बनाएगा। 

प्रवर डाक अधीक्षक लखनऊ मंडल शशि कुमार उत्तम ने बताया कि कोर सिस्टम इंटीग्रेटर के लिए टी. सी. एस. द्वारा सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है और इसके लिए स्टाफ को भलीभाँति ट्रेनिंग भी दी गई है, ताकि वे इसे सुचारु रूप से क्रियान्वित कर सकें। 

इस अवसर पर लखनऊ (मुख्यालय) परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री राजकुमार महाराज, निदेशक मुख्यालय श्री राजीव उमराव, सहायक पोस्टमास्टर जनरल एच.के.मिश्रा, सहायक निदेशक आर.एन.यादव, भोला शाह, ए.बी.सिंह  व सीनियर पोस्टमास्टर प्रधान डाकघर चौक एस.आर.गुप्ता सहित तमाम अधिकारी-कर्मचारीगण उपस्थित रहे ।







Saturday, November 10, 2018

रिटायर्ड पोस्टमास्टर फैजुल हसन कादरी ने पत्नी की याद में बनाया ताजमहल, अब उसी में हुए दफ़न

डाक विभाग का प्रेम से बहुत करीबी सम्बन्ध है। चिट्ठी-पत्री के दौर में न जाने कितनों की प्यार की दास्ताँ, डाक बाबू  के हाथ से ही होकर गुजरती थी। कई बार तो डाक बाबू बाबू ही इन पत्रों को पढ़कर सुनाया भी करते थे और कई बार तो दिल की दास्ताँ को पन्नों पर भी उतारा करते थे। पर इस बार जिस डाक बाबू  का जिक्र कर रहे हैं, वह बेहद अलग था।  उसने तो अपने प्यार को पन्नों की बजाय ताजमहल के रूप में खड़ा कर दिया। 
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के कसेर कलां गांव निवासी रिटायर्ड पोस्टमास्टर  फैजुल हसन कादरी (82) ने अपनी पत्नी की याद में एक ताजमहल खड़ा कर दिया। यह  ताजमहल असली ताजमहल से काफ़ी छोटा है,  यह किसी नदी के किनारे भी नहीं है, न इसमें पच्चीकारी का काम है और न ये कीमती पत्थरों से सजाया गया है। बस जज़्बा वही है जो शाहजहाँ का था। अपनी बेगम से बेपनाह मोहब्बत।  
इस मिनी ताजमहल के भीतर फैजुल हसन कादरी की बेगम तजम्मुली की कब्र है। फैजुल हसन ने तजम्मुली के इंतकाल के वक्त ही परिजनों से कह दिया था कि उन्हें भी बेगम की कब्र के निकट ही दफनाया जाए। उन्होंने उसी समय अपनी कब्र भी बनवा ली थी। फैजुल की यह इच्छा थी कि उनकी मौत के बाद उन्हें भी वहीं उनकी 'बेगम' तज्जमुली के बगल में ही दफनाया जाए। मोटरसाइकल से टक्कर लगने के बाद 9 नवंबर, 2018 की सुबह अलीगढ़ के एक अस्पताल में फैजुल हसन कादरी  की मौत हो गई। इस हादसे में मौत के बाद 'गरीबों के शाहजहाँ' और 'आधुनिक दौर के शाहजहाँ' नाम से प्रसिद्ध  फैजुल हसन कादरी के शव को ताजमहलनुमा इमारत के निचले हिस्से में बनीं उनकी बेगम की कब्र के करीब दफनाया गया।  
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में स्थित यह  ताजमहल शाहजहां के आगरा वाले ताज जितना खूबसूरत बेशक न हो, लेकिन इसे बनवाने की वजह उतनी ही खूबसूरत है। यहां के रिटायर्ड पोस्टमास्टर फैजुल हसन कादरी (82) ने अपनी पत्नी की याद में अपना सबकुछ लगाकर इसे बनवाया था। हालांकि पैसों की कमी के चलते इसका काम पूरा नहीं हो सका। मोहब्बत के नाम पर ताजमहल जैसी इमारत बनाने वाले फैजुल की पत्नी पहले ही इसमें दफन हैं। 

वस्तुत: इस ताजमहल के पीछे भी एक कहानी है।  दिसंबर 2011 में फैजुल हसन कादरी की पत्नी तज्जमुली बेगम का निधन हुआ था। तब मौत से पहले तज्जमुली बेगम ने यह ख्वाहिश जताई थी कि चूंकि उनके कोई औलाद नहीं है इसलिए उनके जाने के बाद उनके नाम और खानदान को कोई कैसे याद रखेगा? इसके लिए अगर हम कुछ अनूठी इमारत बना जाएं तो लोग हमें याद रखेंगे। तभी फैजुल ने तय किया और तज्जुमली से वादा किया कि वह एक मिनी ताजमहल बनवाएंगे। फैजुल ने पत्नी की मौत के बाद  कसेर कलां में फरवरी 2012 में 50 गुणा 50 फुट की इस अद्भुत इमारत को बनवाना शुरू किया। इसके लिए फैजुल ने अपनी सारी जमा-पूंजी खर्च कर दी थी। अपने प्रॉविडेंड फंड की सारी रकम, खेत बेच कर मिली रकम और पत्नी के सारे गहने बेच कर मिली रकम फैजुल इसपर खर्च कर चुके थे। इमारत के निर्माण में क्षेत्र के लोगों ने आर्थिक मदद देनी चाही, लेकिन कहा कि वह इस इमारत के जरिए अपनी बेगम की यादों को संजो रहे हैं, लिहाजा किसी से कोई मदद नहीं लेंगे। फैजुल का सपना था कि उनका ताजमहल भी बिल्कुल वैसा ही हो जैसा आगरा का है। 12 लाख खर्च करने के बावजूद यह ताजमहल बेशक अधूरा रह गया हो लेकिन फिर भी शाहजहां की ही तरह यह तो कहा ही जा सकता है कि वह अपनी बेगम से बेइंतहा प्यार करते थे। फैजुल का यह ताज बलुआ पत्थर, लाल पत्थर, चूने, सीमेंट और लोहे से बना है। इसके चलते बुलंदशहर का यह इलाका आसपास के लोगों में काफी प्रसिद्ध  हो चुका है। बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में फैजुल हसन कादरी ने अपने मनोभावों को कुछ यूँ व्यक्त किया था- 

"छोड़ दो अब ये दुनिया तुम्हारी नहीं, दुनियावालों को बस एक नज़र देख लो। 
आज जन्नत सजी है तुम्हारे लिए, बाग-ए-जन्नत के बर्गोसज़र देख लो। 
जाओ बेगम फ़ैजुल हसन कादरी जन्नत में जाकर अपना घर देख लो।"

फैजुल हसन कादरी और उनके ताजमहल का जिक्र कभी अफ़सानों में  होगा या  नहीं,  लेकिन उनके जाने के बाद भी जब-जब लोग इस इमारत को देखेंगे तो उनकी दास्तां-ए-मोहब्बत का जिक्र जरूर होगा।