Saturday, October 10, 2009

डाकिया बाबू बनवाएगा मूल्य सूचकांक


डाकिया बाबू अब राष्ट्रीय स्तर पर सटीक वास्तविक मूल्य सूचकांक तैयार करने में भी सहयोग करेगा। केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन ने इस कार्य के लिए डाक विभाग के देशव्यापी नेटवर्क का इस्तेमाल करने के लिए 25 फरवरी, 2009 को अनुबंध किया, जिसके तारतम्य में डाटा-एकत्रीकरण का कार्य डाकिया द्वारा किया जा रहा है। अनुबंध के अनुसार डाक विभाग देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों से चयनित 1183 डाकघरों के माध्यम से उपभोक्ता वस्तुओं के मूल्यों का संकलन कर रहा है। इसके तहत ग्रामीण क्षेत्र में डाकियों के माध्यम से दो तरह के सर्वेक्षण कराये जा रहे हैं। प्रथम, जन वितरण प्रणाली के तहत प्रदान किये जाने वाले चावल, गेहूँ, गेहूँ का आटा, चीनी और केरोसीन के बी0पी0एल0 व अन्त्योदय ग्राहकांे को दिये जाने वाले मूल्यों का सर्वेक्षण। द्वितीयतः, निर्धारित गाँवों में लगने वाले बाजारों व दुकानों पर बिकने वाले सामानों के मूल्यों का सर्वेक्षण। इसमें लगभग 200 वस्तुएं शामिल हैं, मसलन अन्न एवं उसके उत्पाद, दालें, दूध एवं उसके उत्पाद, तेल एवं बसा, मीट एवं मछली, चावल, गेहूँ, मैदा, सूजी, मक्का, सब्जियों, फल, शकर एवं शहद, मसाले, चाय एवं काफी, तैयार भोजन, पान सुपाड़ी तम्बाकू, ईधन एवं प्रकाश, पहनने वाले वस्त्र एवं बिस्तर, जूते, शिक्षा इत्यादि, स्वास्थ्य क्षेत्र, मनोरंजन एवं खेलकूद, परिवहन एवं संचार, निज कार्य हेतु सामग्री, गृहस्थी के सामान इत्यादि। इसके तहत हर माह के आंकड़े लगभग 31 पेजों में भरकर एकत्र किये जाने डाकिया बाबू द्वारा एकत्र की गई इन जानकारियों को केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन की वेबसाइट पर डाकघरों द्वारा ही फीड कर दिया जा रहा है।


डाकिया बाबू द्वारा एकत्रित जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं के दामों का विवरण हर माह डाक विभाग द्वारा केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन को उपलब्ध कराया जाता है। कहा जा रहा है कि संगठन अब इसी आधार पर वास्तविक मूल्य सूचकांक तैयार करेगा और यह सूचकांक ही सरकारी कार्य योजनाओं का आधार बनेगा। गौरतलब है कि इधर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (कन्ज्यूमर प्राइज इण्डेक्स) में मूल्य वृद्धि शून्य होने के बावजूद बाजार में सामानों के दाम काफी बढ़े नजर आ रहे हैं। ऐसे में जानकारों का मानना है कि वर्तमान में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक मेट्रो व अन्य चुनिंदा शहरों के दामों के आधार पर तैयार किये जाते रहे हैं। अब ग्रामीण क्षेत्रों के खुदरा मूल्य को आधार बनाने के कारण मूल्य सूचकांक को वास्तविक बनाया जा सकेगा।

2 comments:

Unknown said...

के.के.यादव जी के हवाले से यह खबर अख़बारों में पढ़ी थी...वैसे भी डाकिया बाबू का कोई जोड़ नहीं.

Dr. Brajesh Swaroop said...

बड़ा गजब का आईडिया है डाकिया बाबू.