कभी आपने सोचा है कि एक डाक-टिकट की कीमत क्या हो सकती है. दहाई, सैकड़ा या हजार..जी नहीं. 22 मई, 2010 को स्विट्ज़रलैंड की राजधानी जेनेवा में विश्व के सबसे महंगे डाक टिकट 'ट्रेस्किलिंग येलो' की नीलामी हुई। यह डाक टिकट वर्ष 1855 में स्वीडन में छपा था।
इसके बारे में बताया जाता है कि दुनिया के सर्वाधिक दुर्लभ डाक टिकटों में से एक ट्रेस्किलिंग येलो [पीली टिकट] की जब छपाई हो रही थी, तो गलती से यह तीन शिलिंग की श्रेणी में छप गया। जबकि तीन शिलिंग के टिकट का रंग हरा होता था और पीले टिकट की कीमत आठ शिलिंग होती थी। इसीलिए इसे ट्रेस्किलिंग येलो कहा गया. ऐसे में यह दुर्लभ डाक टिकटों कि श्रेणी में आ गया और फिलेतलिस्ट इसके लिए मुँहमाँगी मुरीद देने को तैयार हो गए.
वर्ष 1885 में यह डाक- टिकट एक स्कूली लड़के के पास था। जिसने जेब खर्च के लिए अपने डाक टिकट संग्रह को बेच दिया था। तब से यह जर्मनी और ब्राजील के धन्ना सेठों सहित टिकट संग्रह करने वाले बहुत से लोगों के हाथों से गुजरा। अंतिम बार यह वर्ष 1996 में एक नीलामी में 2.3 मिलियन यू. एस. डालर (करीब 14 करोड़ रुपये) में बिका था। 16 वर्षों बाद 23 मई, 2010 को स्विट्ज़रलैंड की राजधानी जेनेवा में जब विश्व के इस सबसे महंगे डाक टिकट की नीलामी हुई तो यह डाक टिकट बेचने वाले डेविड फेल्डमैन ने न तो खरीददार का नाम बताया है और न कीमत। कारण, यह डाक टिकट इतना दुर्लभ और महँगा है कि इसके लिए खरीददार की जान के पीछे भी लोग पड़ सकते हैं. आखिरकार, 16 साल पहले जिस डाक टिकट की नीलामी 2.3 मिलियन यू. एस. डालर में हुई थी, उसके आज के नीलामी मूल्य के बारे में मात्र सोचा ही जा सकता है.
इसके बारे में बताया जाता है कि दुनिया के सर्वाधिक दुर्लभ डाक टिकटों में से एक ट्रेस्किलिंग येलो [पीली टिकट] की जब छपाई हो रही थी, तो गलती से यह तीन शिलिंग की श्रेणी में छप गया। जबकि तीन शिलिंग के टिकट का रंग हरा होता था और पीले टिकट की कीमत आठ शिलिंग होती थी। इसीलिए इसे ट्रेस्किलिंग येलो कहा गया. ऐसे में यह दुर्लभ डाक टिकटों कि श्रेणी में आ गया और फिलेतलिस्ट इसके लिए मुँहमाँगी मुरीद देने को तैयार हो गए.
वर्ष 1885 में यह डाक- टिकट एक स्कूली लड़के के पास था। जिसने जेब खर्च के लिए अपने डाक टिकट संग्रह को बेच दिया था। तब से यह जर्मनी और ब्राजील के धन्ना सेठों सहित टिकट संग्रह करने वाले बहुत से लोगों के हाथों से गुजरा। अंतिम बार यह वर्ष 1996 में एक नीलामी में 2.3 मिलियन यू. एस. डालर (करीब 14 करोड़ रुपये) में बिका था। 16 वर्षों बाद 23 मई, 2010 को स्विट्ज़रलैंड की राजधानी जेनेवा में जब विश्व के इस सबसे महंगे डाक टिकट की नीलामी हुई तो यह डाक टिकट बेचने वाले डेविड फेल्डमैन ने न तो खरीददार का नाम बताया है और न कीमत। कारण, यह डाक टिकट इतना दुर्लभ और महँगा है कि इसके लिए खरीददार की जान के पीछे भी लोग पड़ सकते हैं. आखिरकार, 16 साल पहले जिस डाक टिकट की नीलामी 2.3 मिलियन यू. एस. डालर में हुई थी, उसके आज के नीलामी मूल्य के बारे में मात्र सोचा ही जा सकता है.
6 comments:
बेहतरीन जानकारी!
डाक टिकट की नीलामी वाकई एक संग्रह कर्ता के जूनून को दर्शाती है /
" ये टिकट कितनी मंहगी और प्यारी होगी,
इसकी कीमत के आगे सोचो,
क्या औकात हमारी होगी "
डाक टिकटों का संसार अद्भुत खजाना है, बस इसे समझने की जरुरत है..शानदार पोस्ट.
......बेहतरीन जानकारी!
अच्छी जानकारी...
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