इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं एवं लेखक व साहित्यकार कृष्ण कुमार यादव की किताब ’’16 आने 16 लोग’’ का विमोचन नई दिल्ली में आयोजित विश्व पुस्तक मेला में 22 फरवरी 2014 को किया गया। किताब का विमोचन करते हुए वरिष्ठ आलोचक एवं कवि ओम निश्चल ने कहा कि साहित्य की संवेदना और प्रशासनिक दायित्व का जीवंत मिश्रण कृष्ण कुमार यादव की लेखनी में बखूबी मिलता है। इस किताब में साहित्य-कला और संस्कृति के क्षेत्र की 16 महान विभूतियों के पुनर्पाठ के बहाने श्री यादव ने उन्हें समकालीन सरोकारों के साथ व्याख्यायित किया है, जो इस किताब को महत्वपूर्ण बनाती है।
महात्मा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय विश्विद्यालय, वर्धा से पधारे बहुवचन के संपादक अशोक मिश्र ने कहा कि इस संग्रह में शामिल सभी लेखक अपने समय के सशक्त स्तम्भ रहे हैं और समय-समय पर कृष्ण कुमार ने विभिन्न स्तम्भों में इन विभूतियों पर प्रकाशित अपने आलेखों को जिस तरह एक पुस्तक में गूँथा है, वह इस पुस्तक को शोधार्थियों के लिए भी महत्वपूर्ण बनाती है।
वरिष्ठ लेखिका पुष्पिता अवस्थी ने इस बात को उद्धृत किया कि किताब में अमृता प्रीतम और कुर्रतुल ऐन हैदर जैसी लेखिकाओं केे बहाने महिला साहित्यकारों के अवदान को शामिल करके उन मुद्दों को भी उठाया गया है जो आज नारी विमर्श की पडताल करते हैं।
नेशनल बुक ट्रस्ट में संपादक लालित्य ललित ने कहा कि पुनर्पाठ की परम्परा में पुस्तक में शामिल साहित्यकारों के साथ संवेदनात्मक सहजता व अनुभवीय आत्मीयता जोडते हुए कृष्ण कुमार ने उनका सटीक विश्लेषण किया है।
इस अवसर पर कृष्ण कुमार यादव ने अपनी सृजनधर्मिता के आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने किताब के बारे मेें बताया कि इसमें रवीन्द्रनाथ टैगोर, नागार्जुन, निराला, प्रेमचंद, राहुल सांकृत्यायन, गणेश शंकर विद्यार्थी, अज्ञेय, कमलेश्वर, मनोहर श्याम जोशी, अहमद फराज, कैफी आजमी, अमृता प्रीतम और कुर्रतुल ऐन हैदर जैसी अमर शख्सियतों के अलावा वर्तमान समय में सक्रिय अब्दुल रहमान राही, कुंवर नारायण, गोपालदास नीरज के अवदानों की भी चर्चा की गयी है।
इस अवसर पर चर्चित कवि मदन कश्यप, दूसरी परम्परा के संपादक सुशील सिद्धार्थ, आधुनिक साहित्य के सम्पादक आशीष खंडेलवाल, वंदना गुप्ता, मनोज भावुक इत्यादि ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संयोजन हिन्द युग्म के शैलेश भारतवासी द्वारा किया गया।
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