लोकसभा चुनाव की तैयारियों के साथ ही सभी राजनैतिक दल व नेता जनता तक पहुँचने की कवायद में लगे हुये हैं। हर कोई जनता तक पहुँचना चाहता है। सोशल मीडिया से लेकर मोबाइल तक का इस्तेमाल इसके लिए किया जा रहा है। पर इनकी सीमित पहुँच और शब्दों की सीमा की आबद्धता आड़े आती है। ऐसे में इस चुनावी माहौल में डाक विभाग ने उम्मीदवारों को जनता से जोड़ने के लिए डायरेक्ट पोस्ट के रूप में एक नायाब तरीका उपलब्ध कराया है। डायरेक्ट पोस्ट के तहत बिना पता लिखी डाक को लक्षित जनता के दरवाजे तक पहुँचाया जाता है। ऐसे में यदि भाजपा को वोट दें, साइकिल पर मुहर लगाएँ या कांग्रेस का हाथ आपके साथ, ऐसे नारे लिखे पर्चे या अपीलें लेकर डाकिया आपके घर पहुँचे तो हैरान होने की जरुरत नही। दरअसल अब नेताओं की बातें आप तक पहुँचाना उसकी नौकरी में शामिल हो गया है। डाक विभाग यह काम मुफ्त में नही बल्कि व्यावसायिक नजरिये से पैसे लेकर करता है। ऐसी ही सेवाएँ प्रचार चाहने वाले अन्य कार्य-क्षेत्रों को भी दी जा रही हैं।
इस संबध में इलाहाबाद परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि इसके तहत राजनैतिक दल ही नहीं उत्पादन, निर्माण और सेवा क्षेत्र के निजी या सरकारी संस्थान भी प्रचार के लिए इसका सहारा ले सकते हैं। मसलन किसी कम्पनी को अपने उत्पादों की खासियत उपभोक्ताओं तक पहुंँचानी या फिर कोई धार्मिक-समाजिक संस्था अपनी बात लोगों तक पहुँचाना चाहती है तो उसके लिए डायरेक्ट पोस्ट एक सशक्त माध्यम है। इसके जरिये पर्चे, प्रचार, साहित्य, अपीलें ही नहीं सीडी और कैसेट भी मनचाहे क्षेत्रों में लोगों तक पहुँचाने का दायित्व डाक विभाग लेता है।
निदेशक श्री यादव ने यह भी जोड़ा कि इस सेवा का लाभ लेने से पहले सम्बन्धित संस्थान या व्यक्ति को कुछ शर्तों का पालन सुनिश्चित करना होगा। जैसे कि भेजने वाला निश्चित पते पर सामग्री नही भेज सकता। बस उसे इतनी छूट होगी कि वह क्षेत्र निर्धारित कर दे। उन्होंने कहा कि वही सामग्री स्वीकार की जायेगी जो इंडियन आफिस एक्ट-1898 और इंडियन पोस्ट आफिस रुल्स 1933 में निषिद्ध नहीं की गयी है। इस सेवा में विभाग 1,000 से कम संख्या में सामग्री स्वीकार नहीं करेगा। एक जिले में अर्थात स्थानीय वितरण कार्य के लिए डेढ रुपये प्रति नग और अन्य जगहों के लिए 2 रूपये प्रति 20 ग्राम की दर से शुल्क वसूला जायेगा। 20 ग्राम से अधिक वजन होने पर प्रति 20 ग्राम तक 1 रूपये ज्यादा चार्ज देने होंगें। शर्त यह भी है कि सामग्री का आकार ए-3 से अधिक न हो।
डाक निदेशक श्री यादव का मानना है कि डाकिया द्वारा वितरित की गयी ऐसी सामग्री निश्चिततः ज्यादा विश्वसनीय होगी। गौरतलब है कि अक्सर काॅलेज, चैराहे या प्रमुख बाजारों में थोक के भाव पब्लिक में पंफलेट आदि बाँंटे जाते है। बमुश्किल ही वह उस वर्ग विशेष तक पहुँच पाती है, जिसके लिए उसे तैयार किया गया होता है। डाक विभाग की डायरेक्ट पोस्ट सेवा इसी खामी को दूर करते हुए लक्षित समूह तक प्रचार सामग्री को पहुँचाएगी।