डाक विभाग को इसकी सेवाओं के लिए कठघरे में खड़ा करने वालों के सामने स्पीड पोस्ट ने उजली तस्वीर पेश की है। कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) ने अपनी एक हालिया रपट में कहा है कि निजी कूरियर कंपनियों के मुकाबले स्पीड पोस्ट ने केवल समय से पहले माल डिलीवर किया है बल्कि इसका डिलीवरी प्रतिशत भी उनके मुकाबले काफी बेहतर है। कैग ने यह आकलन आठ सर्किल में एक अध्ययन के माध्यम से किया है। निजी कूरियर कंपनी और डाक विभाग के स्पीड पोस्ट के बीच पत्र-माल डिलीवरी को लेकर किए गए इस अध्ययन में कैग ने गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सर्किल को शामिल किया गया था।
इस तरह किया गया अध्ययन
सभी डाक सर्किल में एक निश्चित संख्या में परीक्षण पत्र भेजे गए थे। इसमें चुनिंदा निजी कूरियर कंपनियों को शामिल किया गया था और उसी के आधार पर यह अध्ययन तैयार किया गया था। डाक विभाग के स्पीड पोस्ट की बात करें तो वर्ष 1986 में स्थापित इस सेवा की पहुंच अब देश के सभी बड़े स्थान तक है। डाक विभाग की कुल आय में करीब 10 प्रतिशत से अधिक का योगदान स्पीड पोस्ट से आता है।
यह निकाले गए निष्कर्ष
स्थानीय स्तर पर जहां पत्र-माल डिलीवरी में स्पीड पोस्ट का प्रतिशत 98 प्रतिशत था, वहीं कोरियर सेवा का प्रतिशत 93.55 प्रतिशत था।
बड़े शहर के मामलों में डाक विभाग ने जहां डिलीवरी में 99.05 प्रतिशत लक्ष्य हासिल किया तो कूरियर कंपनियों का प्रतिशत 92.17 प्रतिशत रहा।
तहसील स्तर पर स्पीड पोस्ट की डिलीवरी का आंकड़ा 100 प्रतिशत रहा तो वहीं कूरियर कंपनियों ने 83.54 प्रतिशत डिलीवरी का आंकड़ा हासिल किया।
सभी स्तर पर डिलीवरी की बात करें तो स्पीड पोस्ट का आंकड़ा जहां 98.94 प्रतिशत रहा तो वहीं कूरियर कंपनियों का डिलीवरी प्रतिशत 90.24 प्रतिशत रहा।
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