राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र के तमाम जिलों में लिंगानुपात काफी कम है और ग्रामीण अंचलों में बेटा-बेटी का भेद व्यापक रूप से व्याप्त है। ऐसे में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने “बेटी बचाओ–बेटी पढ़ाओ” के अंतर्गत 10 वर्ष तक की बेटियों के लिए सुकन्या समृद्धि योजना की घोषणा की, तो मन में ख्याल आया कि क्यों न कुछेक गाँवों में सभी बलिकाओं के सुकन्या समृद्धि योजना खाता खुलवाकर उन्हें एक आदर्श के रूप में स्थापित किया जाए। इससे न सिर्फ बेटियों का भविष्य सुरक्षित होगा बल्कि उनकी शिक्षा व कैरियर के प्रति समाज में जागरुकता आएगी।
इसके लिए हमने सबसे पहले शेखावाटी अंचल में झुंझुंनू जिले के बाय गाँव को चुना। जब पहली बार डाक अधिकारियों की टीम वहाँ पहुँची तो लोगों ने कोई रुचि नहीं दिखाई और विपरीत रूख़ दिखाया। जब जानकारी की तो पता चला कि लंबे समय पूर्व किसी कर्मचारी ने यहाँ गबन किया था जिसके चलते वहाँ के डाकघर पर से लोगों का विश्वास टूट गया था। यह हमारे लिए अप्रत्याशित भी था और चुनौती भी। ऐसे में मन में ख्याल आया कि एक लोकतांत्रिक राष्ट्र होने के नाते समाज में जनप्रतिनिधियों की अहम भूमिका हैं, क्यों न उनसे इस मामले में सहायता ली जाये। संयोगवश गाँव की सरपंच श्रीमती तारा पूनीयां एक सुशिक्षित एवं समृद्ध महिला थीं। जब उन्हें पूरा वाकया बताते हुये संपूर्ण गाँव को सुकन्या समृद्धि योजना से जोड़ने की बात बताई गई तो उन्होंने सकारात्मक रूख़ दिखाया पर यह आशंका भी जताई कि कुछेक गरीब परिवार शायद ही सुकन्या समृद्धि योजना हेतु प्रतिमाह किस्त जमा करवा सकें। एक आशंका यह भी जताई गई कि चूँकि इस योजना में संपूर्ण राशि विवाह पश्चात अंततः बेटी को ही मिलनी है, ऐसे में कुछेक परिवार शायद ही इसके लिए तैयार हों।
ऐसे में सरपंच के साथ ही अन्य जनप्रतिनिधियों, गाँव के तमाम संभ्रांतजनों, आंगनवाड़ी कार्यकर्त्रियों, स्कूली अध्यापकों इत्यादि से भी वार्ता हुई और उन्हें इस योजना के फायदे के बारे में बताते हुये लोगों को जागरूक करने की पहल करने को कहा गया। अब बात गाँव की प्रतिष्ठा की थी, ऐसे में तमाम लोग आगे आए और गरीब परिवारों की बेटियों की आरंभिक सालाना किस्त स्वयं जमा कराने की पहल की। वाकई लोकतंत्र के सबसे निचले पंचायती स्तर पर यह एक छोटा सा प्रयास था, पर तमाम अडचनों व अवरोधों के बावजूद अंततः 7 अगस्त, 2015 को झुंझुंनू जिले के बाय गाँव को राजस्थान ही नहीं, संभवतः भारतवर्ष का प्रथम संपूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम बनाने में सफलता प्राप्त हुई। इसके बाद तो एक अभियान ही छिड़ गया और अकेले झुंझुंनू में 6 गाँव इस योजना के तहत शत-प्रतिशत कवर हो चुके हैं।
-कृष्ण कुमार यादव
निदेशक डाक सेवाएं
राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर