Thursday, October 1, 2020

Happy Birthday to India Post : 166 साल का हो गया भारतीय डाक विभाग

भारतीय डाक विभाग एक अक्टूबर, 2020  को 166 साल का हो गया।  वक्त के साथ विभाग ने खुद को ढाला और आधुनिकता के साथ भी तालमेल बिठाया। एक अक्टूबर, 1854 को डाक विभाग की स्थापना हुई थी। उस वक्त ये महज पत्र को भेजने का माध्यम था मगर आज डाक विभाग बैंकिंग, बीमा, पासपोर्ट, रेल टिकट, आधार आदि बनवाने की सुविधा भी दे रहा है। वहीं लॉकडाउन के दौरान तो डाकविभाग ने दवाएं, पीपीईकिट,सैनिटाइजर को भी लोगों तक पहुंचाया। उक्त जानकारी वाराणसी परिक्षेत्र के नवागत पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने दी। 

वाराणसी परिक्षेत्र के नवागत पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने डाक विभाग से जुड़े यादगार पलों को साझा करते हुए कहा कि, भारतीय डाक विभाग की  ऐतिहासिकता और विरासत की समृद्ध परम्परा को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। 1 अक्टूबर का दिन डाक विभाग के लिए कई कारणों से बेहद महत्वपूर्ण है- लार्ड डलहौजी द्वारा एक अक्टूबर 1854 को डाक विभाग को एक महानिदेशक एलपीएबी रिडेल के अधीन लाना। राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार एक अक्टूबर, 1854 को डाक-टिकट जारी करना।  हालांकि इससे पहले 1852 में डाक टिकट जारी करके भारत एशिया में डाक टिकट जारी करने वाला प्रथम राष्ट्र बना था, मगर वह मात्र सिंध प्रांत के लिए था। डाक टिकट के परिचय के साथ ही बिना दूरी का ध्यान रखे 'एक समान डाक दर" को लागू करना। 'अखिल भारतीय डाक सेवा" का गठन। सर्वप्रथम 'लेटर बाक्स" की स्थापना। पोस्टमास्टर जनरल को जीपीओ के कार्यक्षेत्र से मुक्त कर जीपीओ की स्वतंत्र स्थापना। 

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया  कि वाराणसी परिक्षेत्र में  वाराणसी परिक्षेत्र में  कुल 1699 डाकघर  हैं। इनमें छह प्रधान डाकघर, 268 उप डाकघर और 1425 शाखा डाकघर हैं।  वाराणसी परिक्षेत्र के डाकघरों में बचत खातों की कुल संख्या 36 लाख है।  सुकन्या समृद्धि योजना के खातों की संख्या एक  लाख 68 हजार है।  इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के खातों की संख्या लगभग तीन लाख है। श्री यादव ने स्मारक डाक टिकटों की परंपरा के बारे में बताया कि डाक विभाग प्रति वर्ष लगभग 60  स्मारक डाक टिकट जारी करता है। यह सभी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर आधारित होते हैं। जो  लिमिटेड एडिशन में होते हैं। वक्त के साथ इनकी कीमत बढ़ती जाती है।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि डाक विभाग के कार्यों में वक़्त के साथ तमाम परिवर्तन आये हैं। विभाग अपने मूल वजूद डाक वितरण की सेवाओं को हमेशा से  मजबूती देता रहा है । डाक विभाग ने समय के साथ खुद को अपेडट रखा। बदलते वक्त के साथ डाक विभाग का प्रारूप भी बदला है।  डाक विभाग सिर्फ चिट्ठी वितरित करने का काम नहीं करता है बल्कि, उसका कार्य क्षेत्र और व्यापक हो चुका है। अब कारपोरेट डाक और बिजनेस डाक का दौर है।आज डाकघर जनता के बीच रिटेल सेवाओं को उपलब्ध कराने वाला साधन भी बन गया है।  आईटी मॉर्डनेइजेशन प्रोजेक्ट के माध्यम से डाक सेवाओं को प्रौद्योगिकी संपन्न, मार्केट लीडर में तब्दील करने के लिए विभाग सदैव तत्पर है। इसके द्वारा डाकघरों में कोर बैंकिंग, कोर इंश्योरेंस व कोर सिस्टम इंटीग्रेशन लागू किया गया है। दूरस्थ और अंतिम छोर तक डाकघरों में प्रौद्योगिकी के लाभ पहुंचा कर शहरी व ग्रामीण के बीच अंतर को कम किया जाना महत्वपूर्ण कार्य है।




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