विश्व भर में डाक सेवाओं का अपना एक लम्बा इतिहास रहा है। एक दौर में संचार का सबसे सुलभ माध्यम डाक सेवाएं ही रही हैं। भारत में डाक विभाग देश के सबसे पुराने विभागों में से एक है जो कि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक ऐसा संगठन है जो न केवल देश के भीतर बल्कि देश की सीमाओं से बाहर अन्य देशों तक पहुँचने में भी हमारी मदद करता है। भूमंडलीकरण की अवधारणा सबसे पहले दुनिया भर में भेजे जाने वाले पत्रों के माध्यम से ही साकार हुई। दुनिया के एक कोने से दूसरे कोने तक यदि पत्र अबाध रूप से आ-जा रहे हैं तो इसके पीछे ‘यूनिवर्सल पोस्टल‘ यूनियन का बहुत बड़ा योगदान है, जिसकी स्थापना 9 अक्टूबर 1874 को स्विटजरलैंड में हुई थी। यह 9 अक्टूबर पूरी दुनिया में ‘विश्व डाक दिवस‘ के रूप में मनाया जाता है।
डाक-सेवाओं में वैश्विक स्तर पर तमाम क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं और भारत भी इन परिवर्तनों से अछूता नहीं हैं। भारत एक कृषि प्रधान एवं ग्रामीण अर्थव्यवस्था वाला देश है, जहाँ सेवाओं को अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचाना ही सरकार की प्राथमिकता है। डाकघरों में बुनियादी डाक सेवाओं के अतिरिक्त बैंकिंग, वित्तीय व बीमा सेवाएं भी उपलब्ध हैं। भारतीय डाक विभाग वर्ष 1882 से बचत बैंक सेवाओं और 1884 से डाक जीवन बीमा के क्षेत्र में है। देश में लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा डाकघरों का नेटवर्क है जो कि विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है। इनमें से करीब 90 प्रतिशत डाकघर ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित है। ’दर्पण’ प्रोजेक्ट के तहत गाँव में स्थित शाखा डाकघरों को भी हाईटेक किया जा रहा है। एक तरफ जहाँ डाक-विभाग सार्वभौमिक सेवा दायित्व के तहत सब्सिडी आधारित विभिन्न डाक सेवाएं दे रहा है, वहीं पहाड़ी, जनजातीय व दूरस्थ द्वीप समूह जैसे क्षेत्रों में भी उसी दर पर डाक सेवाएं उपलब्ध करा रहा है।
वक़्त के साथ पत्रों की जगह पहले ई-मेल, फिर एस.एम.एस., फिर सोशल नेटवर्किंग साइट्स और अब वाट्सएप जैसी सुविधा ने ले ली है। ऐसे में व्यक्तिगत पत्रों की संख्या में कमी होना स्वाभाविक भी था। विश्व भर में डाक की मात्रा में कमी आने के परिणामस्वरूप नई परिस्थितियों से उत्पन्न चुनौतियों का सामना करने के उद्देश्य से डाक विभाग द्वारा अपनी सेवाओं का उन्नयन तथा विविधीकरण किया जा रहा है। लोगों की अपेक्षाओं का ध्यान रखते हुए नई सेवाएं आरम्भ की जा रही हैं। ई-गवर्नेंस और वित्तीय समावेशन के लिए तमाम कदम उठाये जा रहे हैं। जिस टेक्नोलॉजी ने डाकघरों को चुनौती दी, उसी टेक्नोलॉजी को आधार बनाकर डाक सेवाएं इस चुनौती को अवसर में बदलने की तरफ आगे बढ़ रही हैं।
देश में व्यक्तिगत पत्रों की संख्या संचार क्रांति के बाद भले ही कम हुई हो, लेकिन अभी भी सालाना करीब 576.25 करोड़ डाक सामग्रियाँ आ रही हैं, जिनमें 501.81 करोड़ सामान्य पत्र हैं। पत्रों के त्वरित वितरण हेतु और पार्सल व ई-कॉमर्स पर ज़ोर के साथ के दौर में नई टेक्नालॉजी आधारित डिलीवरी की जरूरत है। ऐसे में ई-कामर्स को बढ़ावा देने हेतु कैश ऑन डिलीवरी, लेटर बाक्स से नियमित डाक निकालने हेतु नन्यथा मोबाईल एप एवं डाकियों द्वारा एण्ड्रोयड बेस्ड स्मार्ट फोन आधारित डिलीवरी जैसे तमाम कदम डाक विभाग की अभिनव पहल हैं। स्पीड पोस्ट, पंजीकृत पत्र और पार्सल के लिए ट्रेक एंड ट्रेस सुविधा डाक विभाग में पहले से ही है। इन सबकी मॉनिटरिंग के लिए ’मेल नेटवर्क ऑप्टिमाइजेशन प्रोजेक्ट’ और ’पार्सल नेटवर्क ऑप्टिमाइजेशन प्रोजेक्ट’ आरम्भ किये गए हैं। हाल ही में डाक विभाग ने एक पृथक पार्सल निदेशालय भी खोला है, जो कि पार्सल के व्यवसाय में डाकघरों की भागीदारी में अभिवृद्धि सुनिश्चित करेगा।
डाकघरों का चेहरा बदला है तो कार्य में भी काफी परिवर्तन आया है। ’प्रोजेक्ट एरो’ ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने न सिर्फ डाकघरों में एकरूपता लाते हुए इसकी ब्रांडिंग की, बल्कि कार्य के स्तर पर भी सुधारात्मक पहल की। वित्तीय समावेशन की बात करें तो डाकघरों की बचत योजनाओं में निवेश अभी भी सर्वाधिक सुरक्षित है। इसे सीबीएस से जोड़ने के बाद डाकघर बचत बैंक ग्राहकों के लिए नेट और मोबाइल बैंकिंग सेवा भी आरम्भ की गई है। डाकघर और बैंकों के एटीएम को आपस में जोड़ने से लोगों को काफी सहूलियत हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी जी की महत्वाकांक्षी "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना के तहत बेटियों के सुकन्या समृद्धि खाते खोले जाने से लेकर अटल पेंशन योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना व जीवन ज्योति बीमा योजना तक में डाकघर अहम भूमिका निभा रहे हैं । भारतीय डाक ने समाज में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए लोगों के कारोबार और वित्तीय आवश्यकताओं के अनुरूप अनेक व्यावसायिक एवं वित्तीय कार्यकालापों को प्रारंभ किया। विभाग ने नए अवसरों का पता लगाने तथा नई सेवाओं को विकसित करने में अपने को संलग्न किया। व्यवसायिक प्रक्रियाओं को पुनः व्यवस्थित करने तथा प्रचालनात्मक कार्यकुशलता पर विशेष ध्यान दिया गया है। यही कारण है कि डाकघरों में जनसुविधा के मद्देनजर तमाम नई सेवाएं आरम्भ हुई हैं। आधार नामांकन व अपडेशन केंद्र, पोस्ट ऑफिस पासपोर्ट सेवा केंद्र, रेलवे के टिकटों की बिक्री, गंगाजल की बिक्री, सेनिटाइजर व मास्क की बिक्री, ऊर्जा संरक्षण हेतु एलईडी बल्बों की बिक्री, कॉमन सर्विस सेंटर , हर घर में बिजली पहुँचाने हेतु घरों का सर्वे जैसे तमाम कार्य आज डाकघरों के माध्यम से हो रहे हैं।
डाक विभाग का सबसे मुखर चेहरा डाकिया है। डाकिया की पहचान चिट्ठी-पत्री और मनीऑर्डर बाँटने वाली रही है, पर अब डाकिए के हाथ में स्मार्ट फोन है और बैग में एक डिजिटल डिवाइस भी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा सितंबर 2018 में इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के शुभारम्भ के बाद आर्थिक और सामाजिक समावेशन के तहत ग्रामीण पोस्टमैन चलते-फिरते एटीएम के रूप में नई भूमिका निभा रहे हैं। इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक गाँवो, कस्बों और दूरदराज के इलाकों में बैंकिंग सुविधाओं से वंचित तथा कम बैंकिंग वाले इलाकों में भुगतान बैंक के जरिए लोगों में अपनी पैठ बना रहा है।
डाक सेवाएं हमारे लिए कई बार गर्व के क्षण भी उत्पन्न करती हैं। लॉकडाउन और कोरोना के दौर में जब ट्रांसपोर्ट के सभी साधन बंद हो गए, उस समय डाक विभाग ने अपना रोड ट्रांसपोर्ट नेटवर्क विस्तारित करते हुए देश के कोने-कोने में जरूरतमंदों और अस्पतालों को दवाईयाँ, मास्क, पीपीई किट्स, वेंटिलेटर से लेकर कोविड 19 की टेस्टिंग किट्स तक पहुँचाई। यहाँ तक कि सामाजिक सरोकार के तहत डाक विभाग की लाल गाड़ियों के माध्यम से लोगों को राशन और अन्य खाद्य सामग्री का वितरण किया गया। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 'मन की बात' में डाक विभाग की इस पहल की सराहना की। कोरोना काल में लोगों को नकदी की समस्या से न जूझना पड़े, इसके लिए डाकियों और ग्रामीण डाक सेवकों ने आधार इनेबल्ड पेमेंट सिस्टम के माध्यम से लोगों को घर बैठे उनके बैंक खातों से राशि निकाल कर दी। इससे जहाँ बैंकों में भीड़ से निजात मिली, सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन हो सका।
वस्तुतः अपने नेटवर्क और आईटी टेक्नोलॉजी से युक्त डाकघर अपने देशव्यापी नेटवर्क के माध्यम से देश के कोने-कोने को कवर करते हुए एक प्रत्यक्ष लाभ अंतरण प्रदाता के रूप में स्थापित हो रहा है। आज डाक विभाग एक ऐसा विशालतम नेटवर्क बना रहा है, जिसने अपने सेवाओं के साथ बहुत से लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।
-कृष्ण कुमार यादव, पोस्टमास्टर जनरल, वाराणसी परिक्षेत्र
No comments:
Post a Comment