Wednesday, December 24, 2008

माँ का पत्र



घर का दरवाजा खोलता हूँ 
नीचे एक पत्र पड़ा है 
शायद डाकिया अंदर डाल गया है 
उत्सुकता से खोलता हूँ 
माँ का पत्र है 
एक-एक शब्द दिल में उतरते जाते हैं 
बार-बार पढ़ता हूँ
 फिर भी जी नहीं भरता 
पत्र को सिरहाने रख सो जाता हूँ 
रात को सपने में देखता हूँ 
माँ मेरे सिरहाने बैठी बालों में उंगलियाँ फिरा रही है। 

- कृष्ण कुमार यादव-

Tuesday, December 23, 2008

सूरतपेक्स-२००३ की यादें

डाक टिकट संग्रह को लोगों विशेषकर युवाओं में अभिरूचि रूप में विकसित करने हेतु सूरत में प्रवर डाक अधीक्षक के रूप में भारतीय डाक सेवा के अधिकारी कृष्ण कुमार यादव ने 24 वर्षों के लम्बे अन्तराल पश्चात 22-23 दिसम्बर 2003 को जनपद स्तरीय डाक टिकट प्रदर्शनी ‘सूरतपेक्स- 2003’ का आयोजन किया, जिसे काफी सराहा गया। इस प्रदर्शनी की रोचकता का अन्दाज इसी से लगाया जा सकता है कि इसमें जहाँ 1854 में जारी भारत का प्रथम डाक टिकट प्रदर्शित किया गया, वहीं स्विटजरलैण्ड द्वारा जारी चाकलेट की खुशबू वाला डाक टिकट भी प्रदर्शित था। इस प्रदर्शनी में ‘सूरत रक्तदान केन्द्र व अनुसंधान केन्द्र‘ एवं ‘नेचर क्लब सूरत‘ पर विशेष आवरण जारी किये गये और सरदार वल्लभभाई पटेल पर एक बुकलेट जारी की गई, जिसमें उन पर जारी चारों डाक टिकटों को स्थान दिया गया। इन विशेष आवरणों व बुकलेट को http://www.geocities.com/indianphilately/pg200323?20082 पर देखा जा सकता है। सरदार वल्लभभाई पटेल पर जारी बुकलेट को ‘‘फिला इण्डिया गाइड बुक 2005‘‘ में भी अंकित किया गया है एवं इसे पृष्ठ संख्या 229 पर प्रदर्शित किया गया है। प्रदर्शनी की यादों को सहेजने हेतु इस अवसर पर एक स्मारिका भी जारी की गई, जिसमें तमाम ज्ञानवर्द्धक व रोचक लेखों के अलावा भारतीय डाक, प्रसिद्ध भारतीय नारियाँ, भारतीय फिल्म और ब्यूटी आफ इण्डिया पर जारी डाक टिकटों को समाहित कर इसे संग्रहणीय बना दिया गया। आज इस प्रदर्शनी को बीते पूरे पॉँच वर्ष हो गए, पर अपने प्रथम कार्यकाल की प्रथम प्रदर्शनी भला किसे bhulati है। सो अतीत के आईने से आप भी इस प्रदर्शनी की खूबसूरत तस्वीरों का आनंद इस लिंक पर जाकर उठाइए -http://www.geocities.com/indianphilately/pg200323?20082

Tuesday, December 9, 2008

डाक टिकट संग्रहकर्ताओं हेतु "फिला पोस्ट" का प्रकाशन

डाक टिकट संग्रहकर्ताओं के लिए खुशखबरी। भारतीय डाक विभाग और फिलेटलिक काँग्रेस आफ इण्डिया द्वारा संयुक्त रूप से एक त्रैमासिक पत्रिका ‘‘फिला पोस्ट‘‘ का प्रकाशन आरम्भ किया गया है। इसका प्रथम अंक अक्टूबर-दिसम्बर 2008 कुल 28 पृष्ठों में प्रकाशित है। फिलहाल इस त्रैमासिक पर कहीं भी कोई मूल्य अंकित नहीं है। डाक सचिव सुश्री राधिका दोराईस्वामी एवं फिलेटलिक काग्रेस आफ इंडिया के अध्यक्ष श्री दिलीप शाह ने अपने संदेश में पत्रिका को शुभकामनाएं देने के साथ-साथ इसके उद्देश्यों पर भी प्रकाश डाला है। फिलेटली पर विभिन्न लेखों के साथ-साथ इस पत्रिका में भारत में विभिन्न फिलेटलिक सोसाइटीज के इतिहास पर भी प्रकाश डाला गया है। वर्ष 2008 में जारी स्मारक डाक टिकटों, मिनियेचर सीट एवं प्रथम दिवस आवरण से सुसज्जित इस पत्रिका में 2008 एवं 2009 में जारी किये जाने वाले डाक टिकटों की सूची भी प्रकाशित है। 1973 से लेकर वर्ष 2007 तक जारी सभी मिनियेचर शीट का विवरण भी पत्रिका में प्रकाशित है। मधुबाला एवं इण्डो-चाइना ज्वाइंट इश्यू स्टैम्प से संबंधित चित्र पत्रिका को और खूबसूरत बनाते हैं। ग्लेज्ड पेपर पर प्रकाशित पत्रिका पहली ही नजर में आकर्षित करती है। निश्चिततः भारतीय डाक विभाग और फिलेटलिक काँग्रेस आफ इण्डिया द्वारा संयुक्त रूप से की गई इस पहल को सराहा जाना चाहिए और आशा की जानी चाहिए कि फिलेटली के क्षेत्र में यह पत्रिका मील का पत्थर साबित होगी।

Monday, December 1, 2008

डाक वितरण की स्थिति ई-मेल द्वारा अथवा वेबसाइट पर

डाक विभाग ने बल्क कस्टमर्स हेतु इलेक्ट्रानिक इन्टीमेशन आफ डिलीवरी सुविधा आरम्भ की है, जिसके तहत मात्र 50 पैसे अतिरिक्त देकर कोई भी बल्क कस्टमर अपनी डाक वितरण की स्थिति ई-मेल द्वारा अथवा वेबसाइट पर प्राप्त कर सकता है। इस सुविधा के साथ सामान्य डाक को भी स्पीड पोस्ट की भाँति ट्रैक-ट्रेस किया जा सकेगा। अभी तक यह सुविधा मात्र स्पीड पोस्ट और एक्सप्रेस पार्सल पोस्ट पर ही लागू है। इस सुविधा का उपयोग भारी संख्या में डाक भेजने वाले बैंकिंग, टेलीकाम, बीमा, वित्तीय क्षेत्र, समाचार पत्र समूहों इत्यादि के साथ-साथ आमंत्रण पत्र व ग्रीटिंग कार्ड भेजने वाले भी कर सकते है। इस हेतु पत्रों की न्यूनतम संख्या एक बार में निम्नवत् होनी चाहिएः-

आमंत्रण पत्र/ग्रीटिंग कार्ड - २००
पंजीकृत पत्र/पार्सल/वीपीपी - २००
बुक पोस्ट/पत्र/पोस्टकार्ड/अन्तर्देशीय पत्र - 5,०००
बिल मेल सर्विस/डायरेक्ट पोस्ट - 5,०००
समाचार पत्र - 5,०००
नेशनल बिल मेल सर्विस - 10,०००

‘‘इलेक्ट्रानिक इन्टीमेशन आफ डिलीवरी‘‘ सुविधा का लाभ चाहने वालों को डाकघर में पंजीकरण कराना होगा। तदोपरान्त ग्राहकों को 13 अंक के बार कोड संख्या आवंटित किये जायेंगे, जिनकी प्रिन्टिंग वे खुद करायेंगे और तदोपरान्त इस सुविधा के तहत पोस्ट की जाने वाली डाक पर इसे चिपका कर पिनकोड वाइज बुकिंग की जायेगी। इस बारकोड स्टिकर के आधार पर ही ग्राहकों को उनके डाक वितरण की जानकारी मुहैया करायी जायेगी। इस 13 अंक के बार कोड में प्रथम दो अंक सर्किल/रीजन, अगले चार अंक डिवीजन, अगले तीन अंक सम्बन्धित डाकघर और अंतिम चार अंक ग्राहको को चिन्हित करेंगे।

Friday, November 21, 2008

देश के प्रथम सांसद दंपति पर डाक टिकट

भारतीय डाक विभाग ने देश के प्रथम सांसद दंपति जोकिम और वाॅयलट अल्वा के सम्मान में २० नवम्बर 2008 को पॉँच रुपये का एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। गौरतलब है कि जोकिम का जन्म मद्रास में 21 जनवरी 1907 को हुआ था जबकि वाॅयलट 24 अप्रैल 1908 को अहमदाबाद में जन्मी थीं। दोनों की 1937 में शादी हुई। वर्ष 1952 में वायलेट राज्य सभा और जोकिम तत्कालीन बांबे राज्य से लोक सभा के लिए चुने गए थे।

फ्री-पोस्ट

डाक विभाग ने थोक डाक प्राप्तकर्ताओं द्वारा अपने ग्राहकों से बिना जवाबी कूपन, लेबल अथवा लिफाफा के जवाब/आर्डर प्राप्त करने हेतु ’’फ्री-पोस्ट’’ योजना आरम्भ की है। इसके अंतर्गत थोक जवाब/आर्डर प्राप्त करने वाले उपभोक्ता, प्रेषकों द्वारा बिना डाक शुल्क के भुगतान के ही, जवाब/आर्डर प्राप्त कर सकते हैं। इस डाक शुल्क का समायोजन थोक जवाब/आर्डर प्राप्त करने वाले उपभोक्ता द्वारा जमा रू 10,000/- की अग्रिम धनराशि में से रू0 5/- डाक शुल्क तथा रू0 1/- हैन्डलिंग के रूप में प्रत्येक प्राप्त फ्री डाक के लिए डाकघर द्वारा समायोजित किया जायेगा। फ्री-पोस्ट अन्तर्गत उपयोगकर्ता को एक विशेष कोड आवंटित किया जायेगा, जिसमें प्रथम तीन अंक पिनकोड के होंगे और शेष तीन अंक उस उपभोक्ता का विशिष्ट कोड होगा। इस स्थिति में यदि कोई ग्राहक मात्र उस कोड को ही पत्र पर अंकित कर दे और पता न लिखे, तो भी वह पत्र सम्बन्धित थोक डाक प्राप्तकर्ता तक पहँुच जायेगा।

इस सुविधा का लाभ लेने के लिए सम्बन्धित थोक डाक प्राप्तकर्ताओं को एक निर्धारित प्रपत्र पर आवेदन करना होगा और इसके साथ रू0 1,000/- डाकघर में अवर्गीकृत मद में जमा करना होगा। एक वित्तीय वर्ष के लिए मान्य इस रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण हेतु रू0 200/- का शुल्क प्रत्येक वर्ष मार्च में देना होगा। रजिस्ट्रेशन के समय इच्छुक ग्राहकों को इस सुविधा का उपभोग करने हेतु रू0 10,000/- की अर्नेस्टमनी सिक्योरिटी जमा/बैंक गांरटी के रूप में जमा करना होगा।

Saturday, November 15, 2008

शीर्ष डाक प्रशिक्षण संस्थान : पोस्टल स्टाफ कॉलेज

गाजियाबाद में स्थित पोस्टल स्टाफ कॉलेज, भारत में डाक अधिकारियों की सर्वोच्च प्रशिक्षण संस्था है। इसकी स्थापना डाक विभाग के प्रबंधन संवर्ग की प्रवेश-स्तरीय और सेवाकालीन दोनों प्रकार की प्रशिक्षण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए 27 सितंबर, 1977 को की गई थी। अप्रैल 1990 में पोस्टल स्टाफ कॉलेज संचार भवन, नई दिल्ली से गाजियाबाद में स्थानांतरित होने के बाद एक महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में विकसित हुआ। एक ओर आईसीटी आधारित इंटरएक्टिव प्रशिक्षण एवं शिक्षण परिवेश के लिए आवश्यक सभी नवीनतम सुविधाएं यहाँ मौजूद हैं तो वहीं परिसर की शांति और सुन्दरता प्रशिक्षण-कक्षों के गंभीर प्रशिक्षण कार्यकलापों के बिल्कुल अनुकूल है। पहली नजर में ही सोलह एकड़ में विस्तृत परिसर में चारों ओर विद्यमान हरियाली तथा विविध प्रकार की वनस्पतियांँ व मुक्त विचरण करते पक्षी ध्यान आकृष्ट करते हैं। हेतु यहाँ पर पूर्णतया सुसज्जित तीन व्याख्यान-कक्ष हैं, जिनमें पैंसठ प्रशिक्षणार्थी बैठ सकते हैं। इसके अलावा अलावा पैंतीस प्रतिभागियों के प्रशिक्षण के लिए पर्याप्त जगह वाले तीन सिंडिकेट कमरे भी हैं। लैन के अंतर्गत इंटरनेट कनेक्टिविटी सहित दो कम्प्यूटर लैब हैं जिनमें पैंतीस प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया जा सकता है। पुस्तकालय में हिन्दी तथा अंग्रेजी, दोनों भाषाओं में विभिन्न विषयों एवं शीर्षकों की उत्कृष्ट पुस्तकें तथा पत्रिकाओं का वृहद् संग्रह ज्ञानार्जन और अभिरूचियों के विकास हेतु लाभप्रद है। यहां पर बैडमिंटन, टेनिस, बिलियड्र्स, बास्केटबाॅल, टेबल टेनिस, शतरंज इत्यादि जैसी खेल सुविधाओं का जहाँ लोग आनन्द उठाते हैं, वहीं परिसर के भीतर बनाया गया एक किलोमीटर लम्बा भ्रमण-पथ लोगों को चुस्त-दुरूस्त रखता है। इस संस्थान में निदेशक, अतिरिक्त निदेशक, 3 संयुक्त निदेशक, 2 सहायक निदेशक सहित तमाम अधिकारी-कर्मचारी पदस्थ हैं। फील्ड-स्तर पर निदेशक-चीफ पोस्टमास्टर जनरल, अतिरिक्त निदेशक-पोस्टमास्टर जनरल एवं संयुक्त निदेशक-निदेशक स्तर का अधिकारी होता है। पहले यहाँ पर सिर्फ़ एक भवन खंड था जिसमें हॉस्टल, प्रशासनिक कार्यालय और क्लास-रूम भी अवस्थित थे, पर 2001 के बाद नए बहुमंजिली हास्टल भवन से काफी सुविधा हो गयी है. हर वर्ष भारतीय डाक सेवा के नव चयनित अधिकारियों के अलावा यहाँ पर ग्रुप-ए और ग्रुप-बी अधिकारियों हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. यहाँ पर विदेशों से भी डाक अधिकारी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए आते रहते हैं.

Wednesday, November 12, 2008

अब 'पिन कोड' की जगह 'पिन प्लस'

भूमण्डलीकरण एवं उदारीकरण के दौर में जैसे-जैसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विस्तार होता गया और संचार-प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में नई तकनीकों का आविष्कार होता गया, डाक विभाग भी इससे अछूता नहीं रहा। स्वतन्त्रता की 25वीं वर्षगाँठ पर 15 अगस्त 1972 को भारतीय डाक विभाग ने डाक सेवाओं को तीब्र बनाने हेतु छः अंको की पिन कोड व्यवस्था लागू की थी। इनमें से प्रथम 3 अंक सार्टिंग यूनिट और अंतिम 3 अंक वितरण डाकघर को चिन्हित करते हैं। व्यक्तिगत/घरेलू पत्रों के वितरण में पिनकोड व्यवस्था से काफी सहूलियत पैदा हुई। पर जैसे-जैसे चिटिठ्यों की बजाय मेल सेक्टर बिजनेस टू बिजनेस (B2B) और बिजनेस टू कस्टमर्स (B2C) की ओर प्रवृत होता गया, नई सेवाओं की आवश्यकता पड़ी। इसी क्रम में एक कदम आगे बढ़ाते हुए भारतीय डाक विभाग ने पिनकोड सेवा को व्यापक बनाते हुए ‘पिनप्लस‘ सेवा आरम्भ की है। 11 अंकीय पिनप्लस सेवा में प्रथम 6 अंक पिनकोड के होंगे और तत्पश्चात 5 प्लस अंक होंगे। इस 5 प्लस अंक में से प्रथम 2 अंक पोस्टमैन की बीट दर्शाते हैं और अंतिम 3 अंक वितरण विन्दु को दर्शाते हैं। पोस्टबाक्स व पोस्टबैग सेवा को भी पिनप्लस से जोड़ा गया है। इसमें 5 प्लस अंक में प्रथम 2 अंक 00 होंगे और अंतिम 3 अंक पोस्टबाक्स व पोस्टबैग संख्या को दर्शाते हैं। किसी भी प्रकार के संशय को दूर करने हेतु पिनकोड के बाद एक विभाजक रेखा खींची जायेगी, तत्पश्चात 5 अंक का प्लस कोड लिखा जायेगा। पिनप्लस सेवा आरम्भ होने के बाद जहाँ डाक वितरण में काफी आसानी हो जायेगी, वहीं इसके माध्यम से ज्यादा मात्रा में डाक प्राप्त करने वाले व्यक्ति/संस्थायें, विभिन्न सरकारी/कोरपोरेट संस्थानों का अपना एक अलग पिनप्लस कोड हो सकेगा। सीधे अर्थों में समझें तो जहाँ पिनकोड वितरण डाकघर तक की स्थिति दर्शाता है, वहीं पिनप्लस सेवा में न सिर्फ पोस्टमैन बीट बल्कि डाक प्राप्त करने वाले व्यक्ति/संस्थान को भी चिन्हित किया जायेगा। आदर्श स्थिति तो तब उत्पन्न होगी जब डाक भेजने हेतु नाम व पता लिखने की जरूरत नहीं पड़े, मात्र पिनप्लस कोड के आधार पर डाक पहुँच जाये। एक उदाहरण के माध्यम से इसे समझना आसान होगा। लखनऊ जी0पी0ओ0 के वितरण क्षेत्र में अवस्थित राज्यपाल कार्यालय को ले। लखनऊ जी0पी0ओ0 का पिनकोड 226001 है। यदि बीट नं0 45 का पोस्टमैन राज्यपाल की डाक बाटता है और राज्यपाल कार्यालय वितरण विन्दु को 222 कोड आवंटित किया जाता है तो पिनप्लस कोड होगा- 226001- 45222। यदि भारत के किसी कोने में बैठा व्यक्ति उत्तर प्रदेश के राज्यपाल को पत्र लिखता है और उसपर नाम व पता लिखने की वजाय मात्र पिनप्लस कोड- 226001-45222 अंकित कर दे तो उक्त डाक सुगमता के साथ राज्यपाल कार्यालय को वितरित हो जायेगी।

Tuesday, November 11, 2008

क्या है पिन कोड ??

हम सबका सामना कभी न कभी चिट्ठियों से जरूर होता है। इन चिट्ठियों में चाहे वे पोस्टकार्ड हों, लिफाफे या अंतर्देशीय पत्र, एक पता लिखने का स्थान तय होता है। इस स्थान में सबसे नीचे छह खाने बने होते हैं, जिस पर पिनकोड लिखा जाता है। आप जानते हैं कि यह पिन कोड क्या है और इसे लिखना क्यों जरूरी होता है? पिन कोड का अर्थ है- पोस्ट इंडेक्स नंबर और इसे लिखने से पत्र को सही स्थान पर पहुँचाने में मदद मिलती है। 

 दरअसल, हमारा देश अति विशाल है। यहाँ लाखों गाँव व कस्बे हैं। यहाँ एक ही नाम वाले दो या इससे भी अधिक स्थान हो सकते हैं। जैसे-औरंगाबाद महाराष्ट्र में है और बिहार में भी। जयपुर एक शहर भी है और एक गाँव भी। ऐसी स्थिति में डाक विभाग को चिट्ठी सही जगह और समय से पहुँचाने में बड़ी परेशानी होती थी। इससे बचने के लिए ही पिन कोड की व्यवस्था 15 अगस्त, 1972 से शुरू की गई। इस व्यवस्था के अंतर्गत देश को कुल आठ मुख्य क्षेत्रों में बांटा गया। फिर इसके उपक्षेत्र बनाए गए। अंत में डाक बांँटने वाले डाकघरों को भी एक कोड द्वारा निर्धारित किया गया। इस व्यवस्था में छह अंकों के पिन कोड का पहला अंक क्षेत्र को, दूसरा और तीसरा उपक्षेत्र या स्थान को तथा अंतिम तीन अंक वितरण केंद्रों को दर्शाता है। 

आठ मुख्य क्षेत्रों को एक से लेकर आठ संख्या तक निर्धारित किया गया है, जिसके अंतर्गत निम्न स्थान या क्षेत्र आते हैं- अंक 1- दिल्ली, चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा, हिमांचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर अंक 2- उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड अंक 3- राजस्थान, गुजरात, दमन-दीव, नागर-हवेली अंक 4- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गोवा अंक 5- कर्नाटक, आंध्र प्रदेश अंक 6- तमिलनाडु, लक्षद्वीप, केरल अंक 7- पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, मणिपुर, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा, सिक्किम, असम, अरूणाचल प्रदेश अंक 8- बिहार, झारखंड

Wednesday, November 5, 2008

भारतीय डाक: सदियों का सफरनामा

भारतीय डाक प्रणाली ने आम जनता को संचार का सबसे सस्ता और सुगम साधन सुलभ करा सामाजिक-आर्थिक विकास में अनूठी भूमिका निभाई है। बीती डेढ़ सदी में कई पड़ावों से गुजरती हुई, भारतीय डाक के बेमिसाल संस्था बन चुकी है। जाने-माने लेखक मुल्कराज आनंद ने डाक विभाग के शताब्दी वर्ष में वृहद आयामों को समेटे एक पुस्तक
‘‘ स्टोरी आफ द इंडियन पोस्ट आफिस‘‘ लिखी थी। इसके पश्चात डाक प्रणाली नित उन्नत और परिष्कृत स्वरूप में हमारे सामने आती गई। डाक विभाग के 150 वर्ष पूरा होने पर नेशनल बुक ट्रस्ट ने ‘‘ भारतीय डाक: सदियों का सफरनामा‘‘ नाम से एक पुस्तक प्रकाशित की, जिसके लेखक चर्चित फौजी पत्रकार अरविन्द कुमार सिंह। भारत जैसे विशाल और विविधता पूर्ण देश में सांस्कृतिक आदान-प्रदान, व्यापार, घरेलू अर्थव्यवस्था, सामाजिक एकीकरण को सहेजे डाक विभाग का विशाल तंत्र न केवल हर दरवाजे पर दस्तक लगाता है बल्कि इंटरनेट के इस युग में हाथ से लिखे गये शब्दों का भावनात्मक महत्व भी बरकरार रहता है। जिला डाक व्यवस्था, राजा महराजाओं की अनूठी डाक सेवा, हरकारा, कबूतर डाक सेवा, हवाई डाक सेवा, भारतीय सेना डाक सेवा, स्पीड पोस्ट सेवा के साथ-साथ बचत बैंक, मनीआर्डर, आर0एल0ओ0 जैसे तमाम पड़ाव इस पुस्तक में विवेचित हैं। भारत के सचार मंत्री, महानिदेशक की सूची के साथ-साथ भारतीय डाक प्रणाली की प्रमुख घटनाओं को एक नजर में प्रस्तुत करना इस पुस्तक को विशिष्टता देता है। 44 अध्यायों एवं 406 पृष्ठों में समाहित यह पुस्तक वाकई एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है जिसमें डाक सेवाओं के विभिन्न रंग दिखते हैं।

Monday, November 3, 2008

भारतीय मूल के दलीप सिंह के नाम पर अमेरिकी डाकघर

भारतीय मूल के प्रथम अमेरिकी सांसद दलीप सिंह सौंद के नाम पर अमेरिका के एक डाकघर का नाम रखा गया है। दलीप सिंह सौंद के नाम को पाने वाला यह डाकघर दक्षिण कैलीफोर्निया के टेमेकुला शहर में स्थित है। अमेरिकी इतिहास में यह पहली नजीर है जब किसी सरकारी इमारत को किसी एशियाई-अमेरिकी का नाम दिया गया है। गौरतलब है कि 20 सितम्बर 1899 को पंजाब के छजुलवाडी जिले के सिख परिवार में जन्में दलीप सिंह 1920 में कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय आये और वहाँ से गणित में एम0ए0 व पी0एच0डी0 की डिग्री हासिल की। अमेरिका में नागरिकता हासिल करने की लड़ाई को दलीप सिंह ने अंजाम तक पहुँचाया और इस हेतु इंडियन एसोसियेशन आॅफ अमेरिका की स्थापना की एवं इसके प्रथम अध्यक्ष बने। 1956 में कैलीफोर्निया की सीट से वे कांग्रेस के लिए चुने गये तथा अमेरिकी कांग्रेस के लिए निर्वाचित प्रथम एशियाई बने। हाल ही में अमेरिका संसद में भी उनका चित्र लगाया गया है।

ई-मनीआर्डर से झट मिलेगा धन

डाक विभाग की मनीआर्डर सेवा अब इलेक्ट्रनिक नेटवर्क से जुड़ गई है। जहाँ पहले मनीआर्डर देश के विभिन्न भागो में मैनुअली भेजा जाता था, वहीं अब यह कम्प्यूटर नेेटवर्क के माध्यम से भेजा जायेगा, ताकि मनीआर्डर प्रेषण की गति को तीव्रतम किया जा सके। इस सेवा में मनीआर्डर भेजने वाले को कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा। मनीआर्डर प्रेषक को बुकिंग कार्यालय द्वारा 18 अंक का एक पी0एन0आर0 नम्बर उपलब्ध कराया जायेगा, जिसके माध्यम से वह मनीआर्डर के पेमेन्ट के संबंध में ट्रैक एवं ट्रेस द्वारा जानकारी प्राप्त कर सकता है। भुगतानकर्ता डाकघर द्वारा प्रिन्टआउट निकाल कर डाकिया द्वारा तत्काल पेमेन्ट कराया जायेगा और उसी दिन भुगतानकर्ता डाकघर द्वारा नेट पर पेमेन्ट के संबंध में जानकारी डाल दी जायेगी और बुकिंग आफिस के पास भुगतान की सूचना तत्काल इलेक्ट्रानिक नेटवर्क द्वारा पहुँच जायेगी। इलेक्ट्रानिक मनीआर्डर सर्विस में साधारण मनीआर्डर फार्म की जगह अलग तरह के फार्म प्रयुक्त होंगे, जिसके लिए कोई शुल्क नहीं लिया जायेगा। मनीआर्डर में सन्देश की जगह को भी Standardised कर दिया गया है और विभिन्न कार्यो हेतु कुल 21 तरह के संदेश भेजे जा सकते हैं। मनीआर्डर भेजने वाला फार्म पर इस कोड मात्र को अंकित कर देगा।

गौरतलब है कि वर्तमान में एक बार में 5000 रूपये तक के मनीआर्डर भेजे जा सकते हैं और इसके लिए प्रति 20 रूपये हेतु मात्र 1 रूपये शुल्क रूप में लिये जाते हैं। इलेक्ट्रानिक मनीआर्डर के तहत भी मात्र यही शुल्क लिया जायेगा और इलेक्ट्रानिक ट्रान्समिशन हेतु ग्राहकों से कोई भी अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जायेगा।

धन प्रेषण हेतु डाक विभाग की अन्य प्रचलित सेवायें :-
१- तत्काल धनादेश सेवा- डाक विभाग की इस आनलाइन मनी ट्रान्सफर सेवा में न्यूनतम 1,000 रूपये से अधिकतम 50,000 रूपये तक एक बार में भारत में कहीं भी भेजे जा सकते हैं। इसमें प्रथमतः 1,000 - 5,000 हेतु रूपये 150 एवं तद्ोपरान्त प्रति 5,000 पर 20 रूपये अतिरिक्त शुल्क जुड़ते जायेंगे। अर्थात् मात्र 330 रूपये में 50,000 रूपये की राशि भेजी जा सकती है।

२-स्पीड पोस्ट मनीआर्डर सेवा- यह साधारण मनीआर्डर सेवा में वैल्यू-एडीशन है। साधारण मनीआर्डर शुल्क में मात्र 10 रूपये अतिरिक्त जोड़कर उसे स्पीड पोस्ट के माध्यम से भारत में भेजा जा सकता है।

३- इण्टरनेशनल मनी ट्रान्सफर सेवा- वेस्टर्न यूनियन कम्पनी के साथ समझौते के तहत विदेशों से चिन्हित डाकघरों के माध्यम से धन की प्राप्ति।

Saturday, November 1, 2008

भारतीय डाक का नया लोगो

India Post launched its new logo on Tuesday, September 23, 2008, that will be seen across all post offices and postal services of the country. The changed corporate logo for the Department of Posts was launched by the Minister of Communications & IT, Thiru A Raja in New Delhi. the unveiling of the logo marks a new beginning in the journey of India Post; it marks a new commitment in the ethos of the Department of Posts and sets the vision for a world class postal services।

The construct of the new logo (see attachment) is inspired by the fact that India Post carries emotion across physical distance। At first glance, it is an envelope and at the next glance, it is a bird in flight, unhindered and unrestricted। The bold strokes convey free flight। The choices of colours are Red and Yellow. Red has been chosen for its traditional association with the Postal Service. It embodies passion, power and commitment. Yellow communicates hope, joy and happiness. Evidence of the combination of the two colours is found across the country. India Post is the bridge across physical distance and is committed to deploy efficient means to reduce the time between sending a missive to receiving it. India Post is forward-looking and modern. It embraces change and incorporates services to fulfil the requirements of its customers. India Post makes social, commercial and industrial life possible in modern India. It is the recognition of this stellar service in a changed world that has prompted the refurbishment of the India Post Logo. The first insight that was brought on board was the evolution of design, which has become increasingly organic. This is a departure from straight lines, which the current logo is dominated by. There is an element of modernity that the refurbishment aims at. At the same time, there is a conscious effort to maintain an element of continuity. The ‘wings’ are the anchoring element that have been retained. With the introduction of the new logo India Posts embraces change to be a vibrant and dynamic organization, with modern and professional approach in its service to individuals and businesses. While M/S Oglivy and Mather worked for the new branding of India Post, Management Consultants, Mckinsey are associated with the restructuring process taken up by the Department of Posts. With more than 1,55,000 post offices covering the urban and rural populace, Indian Postal network is the largest in the world. With the launch of the new logo, India Post is poised for a major change in terms of new look Post Offices across India and new services.