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सवाल आस्था से जुड़ा हुआ है. कहते हैं आस्था में बड़ी ताकत होती है. अपनी आस्था प्रदर्शित करने के हर किसी के अपने तरीके हैं. कुछ लोग शांति के साथ पूजा करते हैं, तो कुछ मंत्रोच्चार के साथ अथवा भजन गाकर। लेकिन उड़ीसा के खुर्दा जिले में एक मंदिर ऐसा भी है, जहाँ लोग ईश्वर को पत्र लिखकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए आराधना करते हैं। भुवनेश्वर से 50 किलोमीटर दूर यह मंदिर हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे का भी प्रतीक है। गुंबद पर जहाँ अर्द्धचंद्राकार कृति है, वहीं चक्र भी बना हुआ है।
इस मंदिर में पत्र लिखने की परंपरा की शुरुआत कब हुई, इसकी जानकारी तो किसी को नहीं है, लेकिन ऐसी मान्यता है कि पत्र लिखकर आप कोई इच्छा व्यक्त करते हैं, तो आपकी मनोकामना पूरी होगी। आपकी जो भी मनोकामना हो उसे लिख डालें और फिर उसे मंदिर की दीवार पर लगा दें। 17 वीं शताब्दी के इस बोखारी बाबा के मंदिर में प्रतिदिन हजारों लोग पहुंचते हैं। इसे सत्य पीर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हिन्दू और मुस्लिम दोनों संप्रदाय के लोग पहुंचते हैं।
इस मंदिर की खासियत यह है कि यहाँ का पुजारी मुसलमान है, लेकिन दूध, और केले से बने भोग को हिन्दू तैयार करते हैं। यहाँ के धांदू महापात्र बड़े गर्व से बताए हैं कि हमारा परिवार पीढ़ियों से मंदिर में फूल पहुंचाता रहा है और अब मैं भी उसी परंपरा का निर्वाह कर रहा हूँ. यह स्थल सांप्रदायिक सद्भाव की जीती-जागती मिसाल है। यहाँ मुस्लिम श्रद्धालु चादर चढ़ाते हैं तो हिन्दू श्रद्धालु पुष्प अर्पित करते हैं। मंदिर के पुजारी सतार खान बताते हैं कि इस मंदिर में विभिन्न धर्मों के लोग आतें हैं।वे यहाँ कागज के टुकड़े पर अपनी मनोकामना लिखते हैं और फिर उसे दीवार पर लगा देते हैं। जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो दोबारा आते हैं और बोखारी बाबा को चादर अथवा फूल चढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि जो श्रद्धालु यहाँ आने में असमर्थ होते हैं, वे यहाँ पत्र भेज देते हैं और हम उसे दीवार पर लगा देते हैं। वाकई हम 21 वीं सदी में विज्ञानं के बीच भले ही जी रहे हों, पर ईश्वरीय आस्था जस की तस कायम है. यही हमारी परम्परा है, आस्था है, संस्कृति है...!!
21 comments:
अहा ! कितनी सुंदर परंपरा है ! मैंने इसे कहीं पढ़ा था पर आपने इतने विस्तार से और इतनी सुंदरता से लिखा कि आनंद आ गया ।
बहुत अच्छी जानकारी दी आपने।
सब श्रद्धा की बात है .. जानकारी अच्छी लगी !!
दिलचस्प....
दिलचस्प....
बहुत खूब...सब आस्था का सवाल है.
Wakai adbhut parampra...
आज से ही पत्र लिखना शुरू करता हू...
अद्भुत जानकारी....आस्था हो तो बड़े से बड़े काम हो जाते हैं ...
badhut badiya post laga aapka..
mere naye blog par aapka sawagat hai..apna comment dena mat bhooliyega...
http://asilentsilence.blogspot.com/
मैं भी भगवान जी को पाती लिखूंगी...
बहुत खूब...सब आस्था का सवाल है.
कृष्ण कुमार यादव जी को जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं
आरज़ू चाँद सी निखर जाए, ज़िंदगी रौशनी से भर जाए।
बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की, जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
…………..
Interesting...
जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं
जन्म-दिन की शुभकामनाओं के लिए आभार. आप सभी के स्नेह से अभिभूत हूँ.
जन्मदिन पर पापा को
मैंने भी दी खूब बधाई
सबसे अच्छे मेरे पापा
खुशियों की बारात आई।
NIce Post.
श्री के.के. यादव सर की रचनाएँ अक्सर पत्र-पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर पढता रहता हूँ, आप एक विद्वान और यशस्वी रचनाकार है. प्रभु आपको ऊंचाई दे. जन्म दिन की कोटिश: शुभकामनायें.
बात लिखने की है!!
अपने आप को लिखने से मनोरोग तक मिट जाते ऐसा कहाँ जाता है.
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