कृष्ण कुमार यादव : 10 अगस्त, 1977 को तहबरपुर, आजमगढ़ (उ. प्र.) में जन्म. आरंभिक शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय, जीयनपुर-आजमगढ़ में एवं तत्पश्चात इलाहाबाद विश्वविद्यालय से वर्ष 1999 में राजनीति शास्त्र में परास्नातक. वर्ष 2001 में भारत की प्रतिष्ठित ‘सिविल सेवा’ में चयन। सम्प्रति ‘भारतीय डाक सेवा’ के अधिकारी। सूरत, लखनऊ और कानपुर में नियुक्ति के पश्चात फिलहाल अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में निदेशक पद पर आसीन।
प्रशासन के साथ-साथ साहित्य, लेखन और ब्लाॅगिंग के क्षेत्र में भी प्रवृत्त। कविता, कहानी, लेख, लघुकथा, हाइकू, व्यंग्य एवं बाल कविता इत्यादि विधाओं में लेखन. देश की प्राय: अधिकतर प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं - समकालीन भारतीय साहित्य, नया ज्ञानोदय, कादम्बिनी, सरिता, नवनीत, वर्तमान साहित्य, आजकल, इन्द्रप्रस्थ भारतीय, उत्तर प्रदेश, मधुमती, हरिगंधा, हिमप्रस्थ, गिरिराज, पंजाब सौरभ, अकार, अक्षर पर्व, अक्षर शिल्पी, युग तेवर, शेष, अक्सर, अलाव, इरावती, उन्नयन, भारत-एशियाई साहित्य, दैनिक जागरण, जनसत्ता, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, स्वतंत्र भारत, अजीत समाचार, लोकायत, शुक्रवार, इण्डिया न्यूज, द सण्डे इण्डियन, छपते-छपते, प्रगतिशील आकल्प, युगीन काव्या, आधारशिला, साहिती सारिका, परती पलार, वीणा, पांडुलिपि, समय के साखी, नये पाठक, सुखनवर, प्रगति वार्ता, प्रतिश्रुति, झंकृति, तटस्थ, मसिकागद, शुभ तारिका, सनद, चक्रवाक, कथाचक्र, नव निकष, हरसिंगार, अभिनव कदम, सबके दावेदार, शिवम्, लोक गंगा, आकंठ, प्रेरणा, सरस्वती सुमन, संयोग साहित्य, शब्द, योजना, डाक पत्रिका, भारतीय रेल, अभिनव, प्रयास, अभिनव प्रसंगवश, अभिनव प्रत्यक्ष, समर लोक, शोध दिशा, अपरिहार्य, संवदिया, वर्तिका, कौशिकी, अनंतिम, सार्थक, कश्फ, उदंती, लघुकथा अभिव्यक्ति, गोलकोंडा दर्पण, संकल्य, प्रसंगम, पुष्पक, दक्षिण भारत, केरल ज्योति, द्वीप लहरी, युद्धरत आम आदमी, बयान, हाशिये की आवाज, अम्बेडकर इन इण्डिया, दलित साहित्य वार्षिकी, आदिवासी सत्ता, आश्वस्त, नारी अस्मिता, बाल वाटिका, बाल प्रहरी, बाल साहित्य समीक्षा इत्यादि में रचनाओं का प्रकशन।
इंटरनेट पर विभिन्न वेब पत्रिकाओं-अनुभूति, अभिव्यक्ति, सृजनगाथा, साहित्यकुंज, साहित्यशिल्पी, लेखनी, कृत्या, रचनाकार, हिन्दी नेस्ट, हमारी वाणी, लिटरेचर इंडिया, कलायन इत्यादि इत्यादि सहित ब्लॉग पर रचनाओं का निरंतर प्रकाशन. व्यक्तिश: 'शब्द-सृजन की ओर' और 'डाकिया डाक लाया' एवं युगल रूप में सप्तरंगी प्रेम, उत्सव के रंग और बाल-दुनिया ब्लॉग का सञ्चालन. इंटरनेट पर 'कविता कोश' में भी कविताएँ संकलित. 50 से अधिक पुस्तकों/संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित. आकाशवाणी लखनऊ, कानपुर व पोर्टब्लेयर, Red FM कानपुर और दूरदर्शन पर कविताओं, लेख, वार्ता और साक्षात्कार का प्रसारण।
अब तक कुल 5 कृतियाँ प्रकाशित- 'अभिलाषा' (काव्य-संग्रह,2005) 'अभिव्यक्तियों के बहाने' व 'अनुभूतियाँ और विमर्श' (निबंध-संग्रह, 2006 व 2007), 'India Post : 150 Glorious Years' (2006) एवं 'क्रांति-यज्ञ : 1857-1947 की गाथा' . व्यक्तित्व-कृतित्व पर 'बाल साहित्य समीक्षा' (सं. डा. राष्ट्रबंधु, कानपुर, सितम्बर 2007) और 'गुफ्तगू' (सं. मो. इम्तियाज़ गाज़ी, इलाहाबाद, मार्च 2008) पत्रिकाओं द्वारा विशेषांक जारी. व्यक्तित्व-कृतित्व पर एक पुस्तक 'बढ़ते चरण शिखर की ओर : कृष्ण कुमार यादव' (सं0- दुर्गाचरण मिश्र, 2009) प्रकाशित. सिद्धांत: Doctrine (कानपुर) व संचार बुलेटिन (लखनऊ) अंतराष्ट्रीय शोध जर्नल में संरक्षक व परामर्श सहयोग। ‘साहित्य सम्पर्क’ (कानपुर) पत्रिका में सम्पादन सहयोग। ‘सरस्वती सुमन‘ (देहरादून) पत्रिका के लघु-कथा विशेषांक (जुलाई-सितम्बर, 2011) का संपादन। विभिन्न स्मारिकाओं का संपादन।
विभिन्न प्रतिष्ठित साहित्यिक-सामाजिक संस्थानों द्वारा विशिष्ट कृतित्व, रचनाधर्मिता और प्रशासन के साथ-साथ सतत् साहित्य सृजनशीलता हेतु 50 से ज्यादा सम्मान और मानद उपाधियाँ प्राप्त। अभिरूचियों में रचनात्मक लेखन व अध्ययन, चिंतन, ब्लाॅगिंग, फिलेटली, पर्यटन इत्यादि शामिल।
बकौल पद्मभूषण गोपाल दास 'नीरज' - ‘श्री कृष्ण कुमार यादव यद्यपि एक उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी हैं, किन्तु फिर भी उनके भीतर जो एक सहज कवि है वह उन्हें एक श्रेष्ठ रचनाकार के रूप में प्रस्तुत करने के लिए निरन्तर बेचैन रहता है। उनमें बुद्धि और हृदय का एक अपूर्व सन्तुलन है। वो व्यक्तिनिष्ठ नहीं समाजनिष्ठ कवि हैं जो वर्तमान परिवेश की विद्रूपताओं, विसंगतियों, षडयन्त्रों और पाखण्डों का बड़ी मार्मिकता के साथ उद्घाटन करते हैं।’
6 comments:
बहुत खुबसूरत हाइकु...बधाई.
इसी बहाने हाइकु दिवस के बारे में भी पता चला...
इससे पहले कृष्ण कुमार जी के हाइकु वेब पत्रिका अनुभूति में पढ़े थे. आज पुन: कुछ नए हायकु पढना सुखद लगा. हाइकु की तो यही बात अच्छी लगती है, कम शब्दों में दिल की बात !!
हाइकु विधा ने हिंदी साहित्य में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है...सुन्दर हाइकु, सराहनीय प्रस्तुति !
पहली बार आपके हायकु पढ़ रहा हूँ कृष्ण जी...वाकई बेहतरीन और अर्थवान.
आपके हाइकु भी कमाल के हैं. ..चिट्ठियों को भी पिरो दिया.
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